कल विश्व स्वास्थ्य दिवस था..मुझे अभी इन ९१ वर्षीय शख्स का ध्यान आ गया ..पिछले दिनों इन को तीन चार बार मिलने का मौका मिला...हर बार ऐसे लोगों से कुछ सीखने का मौका मिलता है..
इन्हें रिटायर होते हुए ३०-३५ साल हो चुके हैं..९१-९२ वर्ष के हैं...अपने ६५ साल के करीब के बेटे के साथ आते हैं..
इन का स्वास्थ्य, इन की गर्मजोशी, सूझ-बूझ, आवाज़ की बुलंदी और मस्त, बेपरवाह अंदाज़ देख कर इन से कुछ सीख लेने की इच्छा हुई ...
पिछले दिनों जब ये कुछ दांत उखड़वा रहे थे...एक दिन फुर्सत थी तो मैंने इन से इन की दिनचर्या पूछ ली...
९१ वर्षीय शर्मा जी अच्छी नसीहत दे गये उस दिन.. |
शायद इन्हें इस तरह के प्रश्न बहुत से मौकों पर पूछे जाते होंगे.. इन्होंने दो तीन मिनट में अपनी बात पूरी कर ली..
यह सुबह जल्दी उठते हैं..पानी पीने के बाद घर में ही थोड़ी एक्सरसाईज कर लेते हैं, टहलने नहीं जाते क्योंकि टांग में पुरानी चोट लगने की वजह से कुछ दिक्कत हैं, लेकिन इन्हें इस से कोई शिकायत नहीं ...इस से क्या किसी से भी इन्हें कोई शिकायत नहीं..
नाश्ते में अधिकतर दलिया या कार्न-फ्लेक्स लेते हैं...बस...१०-११ बजे कुछ फल-फ्रूट या फलों का रस....दोपहर में सामान्य खाना दाल रोटी सब्जी..शाम में चाय बिस्कुट और रात में एक चपाती...यह है इन की खुराक दिन भर की .. एक दम फिट है वैसे तो लेकिन अब उम्र के हिसाब से बीपी थोड़ा ऊपर रहने लगा तो उस की दवाई ले लेते हैं..
एक बहुत ज़रूरी बात यह है कि इन्होंने कभी भी तंबाकू, गुटखा, पान, सिगरेट, बीड़ी, शराब को नहीं छुआ...कभी नहीं, और शर्मा जी पक्के शाकाहारी हैं.. कभी मांस-मछली नहीं खाई।
खुश मिजाज ऐसे कि मैंने इन्हें कहा कि आप के साथ फोटो खिंचवाने की इच्छा हो रही है...तुरंत राजी हो गये..
टाईम पास करने की कोई दिक्कत नहीं है.. अपनी कालोनी की जो प्रबंधन समिति है उस का काम काज भी देखते हैं...
पूरी तरह से सचेत हैं...कानों से सुनाई पूरी अच्छी तरह से देता है...टीवी पर न्यूज़ देखना बहुत पसंद है..
मिसिज़ के दो साल पहले चले जाने का गम है ... उन की बात करते हुए इन की आंखें नम हो गईं।
मेरा सहायक भी मेरी जैसी बातें करने लगा है ...और शायद मैं उस जैसी ...सोहबत का असर है ...मेरा सहायक मैट्रिक पास नहीं है, लेकिन ज़िंदगी के इम्तिहान में मेरिट-लिस्ट पर है...इतना आत्मविश्वास..बैंकों के काम दूसरों के भी तुरंत करवा देता है, एक तरह का Dr Fixit ..अपने साथियों की हेल्प करने का जज्बा भी बहुत है उसमें...अंग्रेजी के बहुत से भारी-भरकम शब्द भी जानता है ...मैं अकसर उससे मजाक में कहता हूं कि सुरेश, ईश्वर जो करता है, अच्छा करता है..अगर तुम तीन या चार कक्षाएं और पास कर जाते तो खड़े खड़े आते जाते फतेहअली चौराहे का सौदा कर आते... हंसने लगता है ...उस दिन भी यह बुज़ुर्ग जाने लगे तो इन्हें बड़े प्रेम से पूछने लगा ..बाबू जी, जीवन से जो सीखा हम से भी बांट दीजिए।
मैं इन की तरफ़ देखने लगा... कहने लगे, सीखा यही है कि खुश रहो, मस्त रहो, ईमानदारी में बड़ी ताकत है, झूठ मत बोलो..और एक बात कि किसी भी बात को बढ़ाओ मत, उसे जहां तक संभव हो प्रेम से (he used the word 'amicably') सुलटा लो....और एक बात पर विशेष ज़ोर दिया इन्होंने कि नेकी कर कुएं में डाल।
अच्छी खुराक मिल गई थी बहुत दिनों तक सोच विचार करने के लिए...
अभी पब्लिक का बटन दबाने लगा तो ध्यान आया कि हम लोगों की ज़िंदगी ..हर इंसान की ...एक नावल सरीखे है...हम लोग अपने आस पास के नावलों को पढ़ते हैं..हरेक से सीख मिलती है...लेकिन यह नावल तभी पढ़े जा सकते हैं अगर हम इतने खुलेपन में विश्वास रखते हों कि हम अपनी ज़िंदगी की किताब से भी कुछ पन्ने शेयर करने से न घबराएं...it's always a two-way communication!