किसी तरह भी अगर हम इस तंबाकू, गुटखे एवं पान-मसालों की लत को करारी लात मार दें न..........
एक डाक्टर होने के नाते नित-प्रतिदिन तंबाकू, गुटखे एवं पान-मसालों द्वारा किए जा रहे विनाश के केस देखता रहता हूं- और दुःखी होता रहता हूं। मुझे दुःख इस बात का ज्यादा होता है कि इस लत से होने वाली सारी भयकंर बीमारियों से कितनी आसानी से बचा जा सकता है- बस अगर हम लोग यह ठान लें कि इस लत को लात मारनी ही है। अब आप तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन कर रहे उस बेचारे (बेचारा न कहूं तो और फिर क्या कहूं दोस्तो) बंदे की मानसिक स्थिति की आप कल्पना कीजिए जब वह किसी डाक्टर के पास मुंह में एक घाव को दिखाने के लिए जाए और डाक्टर को उस घाव को देखते ही मुंह के कैंसर का संदेह हो जाए। यही हो रहा है---- यकीन माऩिये, ये सभी तंबाकू मिले पदार्थ मानव जाति की सेहत से खिलवाड़(इस से भयंकर शब्द मुझे कोई सूझ नहीं रहा है) ही कर रहे हैं।
प्रिंट मीडिया में आप भी तो इन सब के विज्ञापन अकसर देखते ही रहते होंगे- इन के विज्ञापनकर्ता भी क्या शातिर-दिमाग होते हैं, इस का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य संबंधी वैधानिक चेतावनी का पाखंड पूरा किया जाता है लेकिन इस का भी विशेष ध्यान रखा जाता है कि इस कम से कम लोग ही पढ़ पाएं। इस का फांट इतना छोटा होता है, इस को इतने अजीब से ढंग से छापा जाता है, अजीब से हाशिये में रखा जाता है कि कोई इसे पढ़ने की अच्छी खासी ज़हमत उठाए तो ही इसे वह देख पाएगा। यह सब देख कर मुझे बड़ी फ्रस्ट्रेशन होती है कि यार हम लोग इतने पढ.-लिख कर अपने ही बंदों को न तो बीड़ी बुझाने के लिए ही मना पाए और न ही उन्हें पान मसाले की आदत को हमेशा के लिए थूकना ही सिखा पाए। कहीं यह हम लोगों का ही फेल्यर ही तो नहीं है--- ऐसा विचार अकसर मुझे परेशान करता रहता है।
मीडिया की बात चल रही है तो एक और बात निकली कि जब देश में फिल्मों में सिगरेट बीड़ी पीते हुए कलाकार दिखाने पर मनाही की बात चली तो जो हंगामा हुया उस के बारे में आप सब जानते हैं, दोस्तो। बात छोटी नहीं है, एक छोटा बच्चा दिन में कईं बार विभिन्न कलाकारों को कश पर कश खींचते देखेगा तो क्या उस के कोमल मन पर कुछ छाप रह नहीं जाएगी --जरूर रह जाएगी - क्योंकि आज कल, दोस्तो, बच्चों के रोल-माडल यही लोग बन गए हैं। कुछ कह रहे हैं कि ऐसे तो फिल्मों में पान खाते हुए भी दिखाना बंद करना होगा-- निःसंदेह सादा पान सुपारी वाला अथवा तंबाकू वाला दोनों सेहत के लिए हानिकारक हैं - फिर भी इस बात को फिल्मों के दृश्यों तक खींचना बाल की खाल निकालने के बराबर होगा। इन रोल-माडलों की हम बात ही क्या करें, ये तो किसी समारोह में जा कर लाल फीता काटते हुए प्लास्टिक मुस्कान बिखेरने का एक करोड़ रूपया ऐँठ लेते हैं।
सीधी सी बात है कि तंबाकू एवं जिन भी वस्तुओं में तंबाकू का उपयोग किया जाता है ( कुछ मंजनों एवं पेस्टों में भी तंबाकू मिला होता है--ध्यान कीजिए) उन का सेवन करना आत्मघात के बराबर ही है। तो चलें, थोड़ी इस के बारे में जानकारी फैलाएं - जब एक बंदा भी इस लत को लात मारता है न, तो उस बंदे से जुड़े बीसियों लोगों की ज़िंदगी में भी अच्छे के लिए एक बदलाव आता है। आप मानते है न ऐसा होता है ? वैसे जाते जाते आज की ही एक बात ध्यान में आ रही है- आज दोपहर मैं याहू आंसर्स में स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नों के उत्तर लिख रहा था तो एक अमेरिकी लड़के का एक प्रश्न था ---कि मेरे मुंह में घाव है , लेकिन इस के बावजूद भी क्या मैं नसवार की पोटली मुंह में रख सकता हूं ( वहां पर इस तरह के सूखे तंबाकू का युवाओं में बड़ा फैशन है) और साथ में उस ने यह भी रिक्वेस्ट की थी कि कृपया मुझे इस तरह के उत्तर मत दीजिए कि इस से मुंह का कैंसर होता है,इस से यह होता है , इस से वह होता है, ----तो दोस्तो ...मैंने भी उस के प्रश्न का जवाब कुछ इस तरह से ही देना ठीक समझा .................Dear, you already know the answer to your question, so good luck. At this juncture I dont have much to say to you except wishing you all the best !!!
एक डाक्टर होने के नाते नित-प्रतिदिन तंबाकू, गुटखे एवं पान-मसालों द्वारा किए जा रहे विनाश के केस देखता रहता हूं- और दुःखी होता रहता हूं। मुझे दुःख इस बात का ज्यादा होता है कि इस लत से होने वाली सारी भयकंर बीमारियों से कितनी आसानी से बचा जा सकता है- बस अगर हम लोग यह ठान लें कि इस लत को लात मारनी ही है। अब आप तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन कर रहे उस बेचारे (बेचारा न कहूं तो और फिर क्या कहूं दोस्तो) बंदे की मानसिक स्थिति की आप कल्पना कीजिए जब वह किसी डाक्टर के पास मुंह में एक घाव को दिखाने के लिए जाए और डाक्टर को उस घाव को देखते ही मुंह के कैंसर का संदेह हो जाए। यही हो रहा है---- यकीन माऩिये, ये सभी तंबाकू मिले पदार्थ मानव जाति की सेहत से खिलवाड़(इस से भयंकर शब्द मुझे कोई सूझ नहीं रहा है) ही कर रहे हैं।
प्रिंट मीडिया में आप भी तो इन सब के विज्ञापन अकसर देखते ही रहते होंगे- इन के विज्ञापनकर्ता भी क्या शातिर-दिमाग होते हैं, इस का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य संबंधी वैधानिक चेतावनी का पाखंड पूरा किया जाता है लेकिन इस का भी विशेष ध्यान रखा जाता है कि इस कम से कम लोग ही पढ़ पाएं। इस का फांट इतना छोटा होता है, इस को इतने अजीब से ढंग से छापा जाता है, अजीब से हाशिये में रखा जाता है कि कोई इसे पढ़ने की अच्छी खासी ज़हमत उठाए तो ही इसे वह देख पाएगा। यह सब देख कर मुझे बड़ी फ्रस्ट्रेशन होती है कि यार हम लोग इतने पढ.-लिख कर अपने ही बंदों को न तो बीड़ी बुझाने के लिए ही मना पाए और न ही उन्हें पान मसाले की आदत को हमेशा के लिए थूकना ही सिखा पाए। कहीं यह हम लोगों का ही फेल्यर ही तो नहीं है--- ऐसा विचार अकसर मुझे परेशान करता रहता है।
मीडिया की बात चल रही है तो एक और बात निकली कि जब देश में फिल्मों में सिगरेट बीड़ी पीते हुए कलाकार दिखाने पर मनाही की बात चली तो जो हंगामा हुया उस के बारे में आप सब जानते हैं, दोस्तो। बात छोटी नहीं है, एक छोटा बच्चा दिन में कईं बार विभिन्न कलाकारों को कश पर कश खींचते देखेगा तो क्या उस के कोमल मन पर कुछ छाप रह नहीं जाएगी --जरूर रह जाएगी - क्योंकि आज कल, दोस्तो, बच्चों के रोल-माडल यही लोग बन गए हैं। कुछ कह रहे हैं कि ऐसे तो फिल्मों में पान खाते हुए भी दिखाना बंद करना होगा-- निःसंदेह सादा पान सुपारी वाला अथवा तंबाकू वाला दोनों सेहत के लिए हानिकारक हैं - फिर भी इस बात को फिल्मों के दृश्यों तक खींचना बाल की खाल निकालने के बराबर होगा। इन रोल-माडलों की हम बात ही क्या करें, ये तो किसी समारोह में जा कर लाल फीता काटते हुए प्लास्टिक मुस्कान बिखेरने का एक करोड़ रूपया ऐँठ लेते हैं।
सीधी सी बात है कि तंबाकू एवं जिन भी वस्तुओं में तंबाकू का उपयोग किया जाता है ( कुछ मंजनों एवं पेस्टों में भी तंबाकू मिला होता है--ध्यान कीजिए) उन का सेवन करना आत्मघात के बराबर ही है। तो चलें, थोड़ी इस के बारे में जानकारी फैलाएं - जब एक बंदा भी इस लत को लात मारता है न, तो उस बंदे से जुड़े बीसियों लोगों की ज़िंदगी में भी अच्छे के लिए एक बदलाव आता है। आप मानते है न ऐसा होता है ? वैसे जाते जाते आज की ही एक बात ध्यान में आ रही है- आज दोपहर मैं याहू आंसर्स में स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नों के उत्तर लिख रहा था तो एक अमेरिकी लड़के का एक प्रश्न था ---कि मेरे मुंह में घाव है , लेकिन इस के बावजूद भी क्या मैं नसवार की पोटली मुंह में रख सकता हूं ( वहां पर इस तरह के सूखे तंबाकू का युवाओं में बड़ा फैशन है) और साथ में उस ने यह भी रिक्वेस्ट की थी कि कृपया मुझे इस तरह के उत्तर मत दीजिए कि इस से मुंह का कैंसर होता है,इस से यह होता है , इस से वह होता है, ----तो दोस्तो ...मैंने भी उस के प्रश्न का जवाब कुछ इस तरह से ही देना ठीक समझा .................Dear, you already know the answer to your question, so good luck. At this juncture I dont have much to say to you except wishing you all the best !!!
उभरने ही नहीं देतीं,
ये बेमाइगियां दिल की ,
नहीं तो कौन सा कतरा है,
जो दरिया हो नहीं सकता............