बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

वाट्सएप ज्ञान बहार १०.२.१६

कुछ समय पहले वाट्सएप पर यह मैसेज मिला...पहले कहीं पढ़ा था, लेकिन भूल चुका था, अभी फिर से याद आ गया..आप भी पढ़िए..

आदमी की सोच और नसीहत समय समय पर बदलती रहती है।
चाय में मक्खी गिरे तो चाय फेक देते हैं ।
देशी घी में गिरे जाये तो मक्खी को फेक देते हैं।

अभी मैं एक गीत बजा रहा हूं...मुझे अकसर Blogger Meets के दौरान पूछा जाता है कि आप को इतने पुराने पुराने गीत कैसे याद रहते हैं...इस का जवाब यही है कि ये गीत वे हैं जिन्हें सुनते सुनते हम बड़े हुए..यह टीवी से पहले वाले जमाने की बाते हैं...अपनी अपनी आदते हैं, मैं कभी भी रेडियो या टेपरिकार्डर लगाए बिना पढ़ाई करने भी नहीं बैठ पाता था...अब याद नहीं मैं कैसे मल्टीटॉस्किंग कर लेता था...लेिकन है सच...मैं आज भी नियमित रेडियो सुनता हूं ... i always feel that radio (now FM) is a great way of staying connected with our people! 

आज भी जब वाट्सएप पर जब जीवन जीने के कुछ टिप्स धड़ाधड़ मिले तो इन्हें पढ़ते हुए मेरा ध्यान सब से पहले जीने की राह के इस गीत की तरफ़ चला गया....पता नहीं दोस्तो सैंकड़ों या हज़ारों बार इसे सुना होगा... मैं तो ऐसा भी सोचता हूं कि शायद पुराने गीतकारों ने हमारे व्यक्तित्व के िवकास को भी --अच्छा या बुरा, यह पता नहीं, लेकिन प्रभावित किया तो होगा...संवेदनाओं को तो अवश्य झंकृत किया ही होगा....मैं भी आखिर क्यों इस तरह की  डिप्लोमेटिक भाषा लिखने लगा...होगा ..होगा...सीधे से क्यों नहीं कह देता कि बेशक जाने अनजाने में ही सही, हमारी शख्शियत इन सब गीतों से ढलती चली गई...मेरा तो ऐसा पक्का विश्वास है...हम लोग कभी किसी सत्संग में तो बचपन या युवावस्था में जाते नहीं थे, बस ये सब खूब सुन लिया करते थे.....वैसे कुछ कुछ बातें तो बिल्कुल सत्संग के सिलेबस से मेल खाती हुआ करती थीं पुराने गीतों में... यह भी मेरा एक फेवरेट गीत है .... हमेशा से... चेंज बस यही आया है कि पहले हम लोग स्कूल कालेज के जमाने में इन गीतों में कही बातों पर ध्यान नहीं देते थे इतना ....अब ज़्यादा ध्यान इन में ब्यां जीवन की सच्चाईयों की तरफ़ जाता है..


हां तो अब बारी है उन जीवन के टिप्स को शेयर करने की...तीन मैसेज आए हैं..इन के बीच बीच में मैं कुछ वीडियो भी शेयर कर रहा हूं जो आज वाट्सएप पर मिले....बीच बीच में इन्हें भी एम्बेड कर रहा हूं ...बिल्कुल वाट्सएप वाली फील देने के लिए...

जीवन जीने के टिप्स-1

गोमाता के दूध में, रुई भिगाओ आप
चूर्ण फिटकरी बांधिए, मिटे आंख का ताप

पानी में गुड डालिए, बित जाए जब रात
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात

धनिया की पत्ती मसल,बूंद नैन में डार
दुखती अँखियां ठीक हों,पल लागे दो-चार ।

ऊर्जा मिलती है बहुत,पिएं गुनगुना नीर
कब्ज खतम हो, पेट की मिट जाए हर पीर

सुबह-सुबह पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप ।

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार

सूर्य किरण, नेचुरल हवा, भोजन से स्पर्श
हेल्थ बनावें आपका, पग-पग देवें हर्ष 

भोजन करें जमीन पर, अल्थी पल्थी मार
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार

सुबह-सुबह फल जूस लो, दुपहर लस्सी-छांस
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश

दही उडद की दाल सँग, प्याज दूध के संग
जो खाएं इक साथ में, जीवन हो बदरंग

सुबह-दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार
तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार

भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार
डाक्टर, ओझा, वैद्य की, लुट जाए बाजार

देश, भेष, मौसम यथा, हो जैसा परिवेश
वैसा भोजन कीजिये, कहते सखा सुरेश

इन बातों को मान कर, जो करता उत्कर्ष
जीवन में पग-पग मिले, उस प्राणी को हर्ष
...........


सब से पहले तो यह वीडियो उस जवान का है जिसे सियाचिन ग्लेशियर से निकाला गया ...आज का दिन उस की सलामती की दुआ करने में ही निकला....जाको राखे साईंयां वाली कहावत बार बार याद आती रही..

जीवन जीने के टिप्स--2
*******************
घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर ।

अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास
पानी पीजै बैठकर,  कभी न आवें पास ।

रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय
कसम राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय

सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश

देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल
अपच, आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल

टूथपेस्ट-ब्रश छोडकर, हर दिन दोनो जून
दांत करें मजबूत यदि, करिएगा दातून

हल्दी तुरत लगाइए, अगर काट ले श्वान
खतम करे ये जहर को, कह गै कवि सुजान

मिश्री, गुड, शहद, ये हैं गुण की खान
पर सफेद शक्कर सखा, समझो जहर समान

चुंबक का उपयोग कर, ये है दवा सटीक
हड्डी टूटी हो अगर, अल्प समय में ठीक ।

दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ

हँसना, रोना, छींकना, भूख, प्यास या प्यार
क्रोध, जम्हाई रोकना, समझो बंटाढार

सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर

यदि सरसों के तेल में, पग नाखून डुबाय
खुजली, लाली, जलन सब, नैनों से गुमि जाय

आलू का रस अरु शहद, हल्दी पीस लगाव
अल्प समय में ठीक हों, जलन, फँफोले, घाव

भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ 
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड

जो भोजन के साथ ही ,पीता रहता नीर
रोग एक सौ तीन हों, फुट जाए तकदीर

पानी करके गुनगुना, मेथी देव भिगाय
सुबह चबाकर नीर पी, रक्तचाप सुधराय

मूंगफली, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल

नम्बर वन सेंधा नमक, काला नमक सु जान
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान

मैदे से बिस्कुट बने, रोके हर उत्कर्ष
इसे न खावें रोक जो, हुए न चौदह वर्ष ।।
.........


इसे देखकर शायद हम सब को लगेगा कि यह हम ही हैं...मुझे तो अपने लिए ऐसा ही लगा...हम लोग मोबाइल में अकसर इतने ही तल्लीन हो जाया करते हैं कि हमें आस पास चल रही हरकतों का पता ही नहीं चलता....ऐसे लगा जैसे यह वीडियो हम सब को एक आईना दिखा रहा हो... 

जीवन जीने के टिप्स-3
**************************

तेल वनस्पति खाइके, चर्बी लियो बढाइ
घेरा कोलस्टाल तो, आज रहे चिल्लाइ

जो जस्ता के पात्र का, करता है उपयोग
आमंत्रित करता सदा ,वह अडतालीस रोग ।

फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर

चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति

नींबू पानी का सदा, करता जो उपयोग
पास नहीं आते कभी, यकृति-आंत के रोग

दूषित पानी जो पिए, बिगडे उसका पेट
ऐसे जल को समझिए, सौ रोगों का गेट

रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय

भोजन करके खाइए, सौंफ, और गुड, पान
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान

लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान

हृदय रोग, खांसी और आंव करें बदनाम
दो अनार खाएं सदा, बनते बिगडे काम

चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खाव
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगाव

सौ वर्षों तक वह जिए, लेत नाक से सांस
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास

मूली खाओ हर दिवस, करे रोग का नाश
गैस और पाईल्स का, मिट जाए संत्रास ।

जब भी लघु शंका करें, खडे रहे यदि यार
इससे हड्डी रीढ की, होती है बेकार

सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान

हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान 
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान

अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर

तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग
मिट जाते हर उम्र में, तन के सारे रोग

मछली के संग दूध या, दूध-चाय, नमकीन
चर्म रोग के साथ में, रोग बुलाते तीन

बर्गर, गुटखा, सुरा अरु कोक, सुअर का मांस
जो हरदम सेवन करे, बने गले का फाँस

ध्यान रखें ये बात तो, मिट जाएं हर क्लेश
डाक्टर, ओझा, वैद्य से, रखते दूर.   🚩

Disclaimer.. मैं इन जीवन जीने की टिप्स में से कुछ से इत्तेफाक रखता हूं ..कुछ से बिल्कुल नहीं..(इस पर कभी विस्तार से बात करेंगे) .आप भी अपने विवेकानुसार इन पर अमल करिएगा...मैंने इन्हें शेयर इसलिए किया क्योंकि सेहत संबंधी संदेश पहुंचाने का यह दोहों वाला जरिया अच्छा लगा।


यह वीडियो देख कर मैं यही सोच रहा था कि हम हिंदोस्तानियों से भी ज़्यादा लोग जुगाड़बाड़ हैं....सच में! हम तो छोटे मोटे जुगाड़ कर के ही खुश हो लिया करते हैं..

जाते जाते एक वीडियो शेयर कर रहा हूं मुनव्वर राना साब का ...लखनऊ में रहते हुए इस महान शायर को सुनने का बहुत बार मौका मिला...आज यह शख्स गम में हैं...कल इन की मां का इंतकाल हो गया है ...मुझे इस वीडियो का लिंक मेरे बेटे ने भेजा है ...सुनिएगा...May his mother rest in peace!



कुछ तस्वीरें भी मिलीं आज वाट्सएप पर जिन्हें यहां पेस्ट करना लाज़मी है... 






यह बात केवल ढोंगी बाबाओं पर लागू हो सकती है!


मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

वाट्सएप ज्ञान सुरभि ..9.2.16

कल वाट्सएप में ये मैसेज मिले जिन्हें इस पोस्ट में शामिल कर रहा हूं.....लेिकन हैरानगी हुई कि टैक्स्ट में कोई भी ऐसा मैसेज वाट्सएप में नहीं दिखा जिसे इस पोस्ट में शामिल करने की मेरी इच्छा हुई हो...सब पुराना माल...दूसरों का मज़ाक उड़ाते, अजीब से ... जिन्हें एक बार पढ़ कर लगा कि काश! ये अभी के अभी भूल जाएं...

लेकिन ये फोटो यहां शामिल करने की इच्छा हुई..









और ये वीडियो भी वाट्सएप पर ही मिले हैं... 

सत्संग में यह गीत अकसर सुनने को मिलता है... रुह की असली खुराक

निदा फ़ाज़ली साहब के बारे में विविध भारती के उद्घोषक युनूस खान का लेख रेडियोवाणी पर दिख गया आज सुबह सुबह...पढ़ कर अच्छा लगा ..आप भी यहां इसे पढ़ सकते हैं.. मुंह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन!

 रेडियोवाणी की इसी पोस्ट से पता चला कि यह सुपर-डुपर फिल्मी गीत..अजनबी कौन हो तुम..जब से तुम्हें देखा है ....यह भी निदा फ़ाज़ली साहब का दिया हुआ तोहफ़ा है....मुझे जैसे ही यह पता चला, मैं इसे सुनने बैठ गया..(फिल्म- स्वीकार किया मैंने)...

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

निदा फ़ाज़ली साब को विनम्र श्रद्धांजलि


आज बाद दोपहर टीवी से पता चला कि निदा फ़ाज़ली साब नहीं रहे ...मन बहुत दुःखी हुआ...मुझे इन की शायरी बहुत पसंद है ...बिल्कुल जीवन से जुड़ी हुआ रोज़मर्रा की बातें जो किसी की भी समझ में आसानी से आ जाती हैं और उसे उद्वेलित भी करती हैं... अभी आठ दस दिन पहले ही तो निदा फ़ाज़ली साहब लखनऊ महोत्सव में अपनी शायरी का जलवा बिखेर कर गये हैं....मुझे हमेशा यह मलाल रहेगा कि मैं उस दिन उस प्रोग्राम में शिरकत नहीं कर पाया...मुझे इस की खबर ही नहीं था दरअसल।

मैं याद कर रहा था कि मैंने शायद १५ वर्ष पहले इन का वह शेयर कहीं पढ़ा था...मन को छू गया था...फिर किसी बुक प्रदर्शनी में इन की एक किताब हाथ लग गई थी... उसे भी पढ़ना एक सुखद अनुभव था।

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए 
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए

अब तो इंटरनेट पर यू-ट्यूब पर इन की शेयरो-शायरी के एक से बढ़ के एक वीडियो हैं ...बस, अब तो बड़ा मसला फुर्सत का है...शायद आज के इंसान को यही मयस्सर नहीं।

इन की बातें हमेशा ध्यान में रहेंगी... quite thought provoking and inspirational indeed!


दुनिया जिसे कहते हैं मिट्टी का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है


कभी कभी यूं भी हमने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को खुद नहीं समझे औरों को समझाया है


कोई मिला तो हाथ मिलाया, कहीं गए तो बात की
घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है


अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाए
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए

मुझे कुछ महीने पहले शेयरो शायरी -- inspirational- पढ़ने और लिखने का शौक चढ़ गया था....लिखना?...मतलब शायर की ही बात को अपनी नोटबुक में नोट कर लेने का शौक ..ताकि फ़ुर्सत के लम्हों में रेडियो सुनते हुए मैं उस का लुत्फ़ बार बार उठा सकूं....वह काम अभी तक तो हो नहीं पाया, बहरहाल वह शौक भी कुछ दिनों के बाद अपने आप ही ठंडा पड़ गया...अभी ध्यान आया तो स्टडी से इस नोटबुक को ढूंढा ...इस में जो निदा फाज़ली साहब के शेयर मैंने लिखे हुए हैं, यहां पेस्ट कर रहा हूं ...










अभी मैं यह लिख रहा हूं और मेरे कानों में किसी टीवी चैनल पर इन के बारे में चल रहे किसी प्रोग्राम की आवाज़ पड़ रही है ...इन्होंने ने हमें बेहतरीन हिंदी गीतों का भी तोहफ़ा दिया है.. अभी यह गीत बज रहा था इन्हीं का लिखा हुआ...याद आ रहा है हमारे कालेज के दौर का एक सुपर डुपर गीत...महीने में कईं कईं बार यह चित्रहार में दिख जाया करता था..



गीत तो इन के बहुत से हैं ..एक से एक बेहतरीन...आज दोपहर में सरफरोश का यह गीत भी बार बार बजाया जा रहा था ...फ़ाज़ली साब का ही लिखा हुआ...



ऐसे महान् फनकार कभी मरते नहीं हैं...जब तक कायनात रहेगी ये अपने अल्फ़ाज़ के माध्यम से दुनिया में जीवित रहेंगे और कईं पीढ़ियों को सही रास्ता दिखाते रहेंगे.....इन्हें विनम्र श्रद्धांजलि..... May his soul rest in peace! 

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

वाट्सएप ज्ञान भरमार ..७.२.१६

मैं सोच रहा था कि आज कुछ दिख नहीं रहा वाट्सएप पर शेयर करने लायक ...उसी ज्ञान को ही शेयर करूं जो पहले मुझे खुश करे ...यह कोई औपचारिकता तो है नहीं...

तभी अचानक वाट्सएप पर यह ज्ञान पहुंचा...इसे पहले भी देख-पढ़ चुके हैं लेिकन इस तरह की बातें बार बार पढ़ने में और आगे शेयर करने में अच्छा लगता है.. अपने आप को भी इस तरह की बातें समझाने-समझने का एक मौका तो मिलता ही है...और कुछ हो या न हो!

जब मैंने पहली बार यह मैसेज पढ़ा था तो मैं बड़ा रोमांचित हुआ था... मुन्नाभाई एमबीबीएस के कुछ डॉयलाग याद आ गये थे.. प्रवचन हम बहुत बड़े बड़े सुन लेते हैं, ज्ञान भी बटोर-बांट लेते हैं लेकिन बहुत बार अहम् इतना हावी हो जाता है कि इंसा को इंसा ही नहीं मान पाते ...

ज्यादा फिलासफ़ी नहीं, इस मैसेज को पढ़िए...

ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक फ्रीजर प्लांट में काम करता था । वह दिन का अंतिम समय था...वह भी  घर जाने को तैयार था... तभी प्लांट में एक तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गयी और वह उसे दूर करने में जुट गया । जब तक वह कार्य पूरा करता तब तक अत्यधिक देर हो गयी । दरवाजे सील हो चुके थे और लाईटें बुझा दी गईं । बिना हवा एवं प्रकाश के पूरी रात आइस प्लांट में फसें रहने के कारण उसकी बर्फीली कब्रगाह बनना तय था । घण्टे बीत गए तभी उसने किसी को दरवाजा खोलते पाया । 
क्या यह इक चमत्कार था ? 
सिक्यूरिटी गार्ड टोर्च लिए खड़ा था और  उसने उसे बाहर निकलने में मदद की। वापस आते समय उस व्यक्ति ने सेक्युर्टी गार्ड से पूछा "आपको कैसे पता चला कि मै भीतर हूँ ?" गार्ड ने उत्तर दिया "सर, इस प्लांट में 50 लोग कार्य करते हैँ पर सिर्फ एक आप हैँ जो सुबह मुझे नमस्कार और शाम को जाते समय फिर मिलेंगे कहते हैँ । आज सुबह आप ड्यूटी पर आये थे पर शामको आप बाहर नहीं गए । इससे मुझे शंका हुई और मैं देखने चला आया । 
वह व्यक्ति नही जानता था कि उसका किसी को छोटा सा सम्मान देना कभी उसका जीवन बचाएगा । याद रखेँ, जब भी आप किसी से मिलते हैं तो उसका गर्मजोश मुस्कुराहट के साथ सम्मान करें । हमें नहीं पता ...पर हो सकता है कि ये आपके जीवन में भी चमत्कार दिखा दे ।
कॉपी पेस्ट है.... अच्छा लगे तो आगे बढ़ाये...
और कुछ अन्य मैसेज भी जो मुझे अच्छे लगे वे भी यहां इस ज्ञान भरमार में चिपकाए दे रहा हूं...शायद मुझे इन्हें बार बार देखने समझने की आप से भी कहीं ज़्यादा ज़रूरत है..


यह मैसेज बहुत बढ़िया लगा... लेकिन यही लगा कि एक घँटा बहुत ज़्यादा समय नहीं है क्या?..शायद इसे १५ मिनट कर देना चाहिए...

इसे देख कर मुझे कुछ सरकारी बिल्डिंगों के वॉश-रूम का ध्यान आ गया.. इतना बुरा हाल तो नहीं, लेकिन इतना ज़रूर पाया कि 12x12 के वॉश-रूम के सीट को बिल्कुल किनारे पर दीवार से बिल्कुल सटा कर फिट किया जाता है..






बहुत बड़ा सच समझा दिया इस मैसेज ने..

इसे तो हमें रोज़ पढ़ने और चेते रखने की बहुत ज़रूरत है..





और एक वीडियो भी मिला जुगाड़ का ... देखिए इसे ट्राई मत कीजिएगा...प्लीज़... खतरनाक खेल!


आज की ज्ञान भरमार को यह वीडियो देख कर विराम देते हैं.....क्या ख्याल है ?

शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

आज की सुर्खियां.. ६.२.२०१६

वैसे तो सभी सुर्खियां अब रोज़ एक जैसी ही होती हैं.. मारधाड़, लूटपाट, छीना-झपटी, निर्मम हत्याएं..लेकिन फिर भी कभी कभी कुछ अलग सा हो जाता है ...जैसे सोनू निगम एपीसोड में हुआ।

चलिए, सोनू निगम की बात करने से पहले आप यह बिल्कुल छोटा सा वीडियो देख लीजिए...फिर बात करते हैं.. 


सोनू निगम ने दी असहिष्णुता की नई परिभाषा 

यह जो आपने वीडियो देखी है ..यह गाना सोनू निगम ने हवाई यात्रा करते हुए गाया... फ्लाईट के स्टॉफ ने उन्हें अपना माइक दे दिया...इसी चक्कर में पांच एयर-होस्टेस को निलंबित कर दिया गया....निलंबित का मतलब नहीं पता?...सुस्पेन्ड हो गईं वे अपनी सर्विस से। 

अब सोनू निगम कह रहे हैं यह तो सरासर असहिष्णुता है ..कॉमन सैंस की कमी है ...क्योंकि सोनू निगम ने कहा है कि उन्होंने तो दूसरे देशों में फ्लाईट के दौरान म्यूजिक कंसर्ट होते देखे हैं...


यह जो असहिष्णुता शब्द है न यह भी एक ट्रेंडी शब्द बन गया है, जिसे देखो इसे डिफाईन करने लगा है ...और इसी चक्कर में पंगा मोल ले लेता है.. 

सोनू निगम को यह समझने की ज़रूरत है कि अनुशासन कायम रखने को असहिष्णुता नहीं कहा जा सकता...न ही यह किसी कॉमन-सैंस की कमी ही है...जो लोग प्रशासन में शीर्ष जगहों पर बैठे हैं उनकी बहुत बड़ी जवाबदारी है...हर जगह का, हर सफर के अपनी कायदे-कानून हैं...उन का पालन तो होना ही चाहिए ..

अगर इन्हीं तीन चार मिनटों के दौरान अचानक मौसम में बदलाव होता, किसी तरह की कोई उदघोषणा करनी पड़ती या इस दौरान इतने सारे जो यात्री हमें इस वीडियो में दिख रहे हैं, इन में से कोई गिर-विर ही जाता तो क्या वह इस के लिए एयरवेज़ को दोषी नहीं ठहराता?....

एक बात है कि कल ही एक महान् एयरहोस्टेस नीरजा चौधरी के ऊपर एक फिल्म रिलीज़ हुई है... तो उस जांबाज़ नीरजा को याद करते हुए एक स्पेशल केस के तौर पर इन सभी निलंबित कर्मचारियों को बहाल कर दिया जाना चाहिए... एक चेतावनी के साथ ...वैसे भी लगता है कि सोशल मीडिया पर जिस तरह से यह वीडियो वॉयरल हुआ है, आगे से लोग न तो माईक थमाने वाले और न ही माईक थामने वाले ऐसी हिम्मत फिर से नहीं करेंगे.....और यही सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिए मुनासिब भी होगा। 

टायलेट सेना भी आई हरकत में 

टायलेट सेना का यह चक्कर है कि बरेली में जब कुछ गांव वालों ने सरकारी मदद से उन के घरों में तैयार किये गये शौचालयों में उपले और बर्तन रखने शुरू कर दिये और स्वयं पहले की ही तरह सुबह-सवेरे जंगल में ही जाने लगे तो वहां पर २५-३० लोगों की एक टॉयलेट सेना तैयार हो गई है ...बड़े-बुज़ुर्ग, बच्चे और महिलाओं की टोली ...जो सुबह पांच बजे से ही सक्रिय हो जाती है .. और तीन घंटे तक गश्त करती है ..जहां भी लोग बाहर खुले में अपने आप को हल्का करते दिखते हैं, यह सेना सीटी बजाना शुरू कर देती है और ज़रूरत पड़ने पर उन से पानी का लोटा भी छीन लेती है यह सेना। इस प्रयास से खुले में शौच करने वाले भाग निकलते हैं अपने अपने घरों की तरफ़। 

शायद हमारी बहुत सी समस्याओं के समाधान इसी तरह से हो पाएंगे....इन गांव वालों की ही बात नहीं है, महामना जैसी स्मार्ट ट्रेन में यात्रा करने वाले भी कम से कम इतने तो स्मार्ट होंगे ही कि वे गाड़ी की स्वच्छता का ध्यान रख सकें...लेकिन ऐसा नहीं होगा शायद क्योंकि सरकार को इस स्मार्ट ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों को थोड़ी तहज़ीब सिखाने की ज़रूरत महसूस हो रही है...

यह तो हमने सुना था कि पहले ही दिन कुछ टूटियां गायब हो गई थीं... अब रेलवे ने यह निर्णय लिया है कि जो लोग इस गाड़ी में गंदगी फैलाएंगे उन्हें दण्ड तो देना हो होगा...वैसे उन्हें साफ़-सफ़ाई के पाठ भी पढ़ाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। 

Wish we had a better civic sense!

शबाना आज़मी को मिला पुश्तैनी घर वापिस 

३८ साल के संघर्ष के बाद शबाना आज़मी को उन का पैत्तृक घर वापिस मिल गया है...आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट के जरिये से ..क्योंकि कैफ़ी साहब अपने लोगों पर जिन्होंने उस पर कब्जा कर रखा था..कोर्ट में केस नहीं करना चाहते थे...मैं सोच रहा था कि अगर ऐसे लोगों को इतना लंबा संघर्ष करना पड़ सकता है तो आम आदमी की तो बिसात ही क्या है।

कैफ़ी आज़मी साहब का जन्म इसी मकान मे हुआ था ..मिजवां नाम से जगह है यू.पी में। और शबान आज़मी इस गांव में बहुत से कल्याणकारी काम करती आ रही हैं..अब यहां इस घर में कैफ़ी साहब का म्यूज़ियम बनेगा। कुछ दिन पहले मैं एक समारोह में था तो यू पी के चीफ़ सैक्रेटरी ने शबाना के बारे में कहा (वे भी वहां मौजूद थीं) कि इन के गांव में ट्यूबवैल भी कहीं लगना हो तो यह मुझे संपर्क करती हैं...और उन्होंने कहा कि वह ट्यूबवैल लग गया था। 

शबाना आज़मी को इस जीत के लिए बहुत बहुत बधाईयां.....अच्छा लगा इन की यह तस्वीर देख कर उस पुश्तैनी घर में... 


अब जाते जाते वही गीत ही बजा देते हैं आज तो जिस को सुनने के चक्कर में सोनू निगम वाला इतना बवाल हो गया...पब्लिक भी न समझती नहीं, सब कुछ यू-ट्यूब पर तो इसीलिए पड़ा-धरा है कि ऐसे लोगों को गाहे-बेगाहे परेशान न किया करें...चुपचाप मोबाइल पर सुन लेते...और अगर फ्लाईट में सोनू को सुन ही लिया था तो फिर उस की वीडियो भी बनाने की क्या पड़ी थी, और अगर बना ही ली थी तो फिर आगे शेयर कर कर के उसे वॉयरल करने की क्या हड़बड़ी थी....फंसवा दिया न पांच कर्मचारियों को ... आगे से ध्यान रखिएगा... यात्री भी, एयरलाईन्स स्टॉफ भी और सोनू तू भी.... Having said all this, Dear Sonu Nigam, we are your big fans! You have given us golden melodies...God bless. take care!


वाट्सएप ज्ञान गंगा .. ६.२.२०१६

वाट्सएप ज्ञान गंगा के लिए मुझे भी वाट्सएप मैसेज ध्यान से पढ़ने होंगे...आज सुबह अभी मैंने वाट्सएप पर मिला यह वीडियो देखा तो इस के क्लाईमेक्स तक पहुंचते पहुंचते आंखें नम हो गईं...काश, हम सब की सोच ऐसी हो जाए...कैसी?....भागने वाले बच्चे की सोच जैसी, या फिर गाड़ी में सवार बच्चे के जैसी !!


यह वीडियो हमेशा मेरे ध्यान में रहेगी....it's a fact of life!

हां, पिछले दो दिन में कुछ मैसेज ऐसे भी आए जिन्हें भी याद रखना होगा...शायद आपने पहले भी इस तरह के पैट्रोल की घटतौली के बारे में पढ़ा हो..लेिकन इस में भी बड़ी स्पष्टता से सब कुछ वर्णन किया गया है...
कैसे पेट्रोल पंप वाले डालते हैं आपकी
 गाडी में कम पेट्रोल, जानकर चौंक पड़ेंगे आप"
जरा समझिए -
'कोहराम टीम' को काफी दिनों से
 पेट्रोल
 पम्पों द्वारा कम पेट्रोल डाले जाने की
 सूचनाआएँ मिल
 रही थी,लेकिन ये बात समझ में
 नहीं आ पा रही थी
 की जब मीटर चलता है तो ये पेट्रोल
 पंप वाले कम पेट्रोल कैसे डाल देते हैं इसी
 उधेड़बुन को लेकर कोहराम का एक रिपोर्टर
 पेट्रोल पम्प पर
 पेट्रोल डलवाने गया जहाँ से ये शिकायते आ
 रही
 थी.
पढ़िए रिपोर्टर की ज़ुबानी:-
जब मैं पेट्रोल पम्प पर पहुँचा तब मुझसे पहले दो
 और लोग
 पेट्रोल डलवा रहे थे इसीलिए मैंने भी
 अपनी बाइक लाइन में लगा दी और गौर
 से कर्मचारियों के पेट्रोल डालने का
 निरीक्षण करने
 लगा, मुझसे पहले मारुती स्विफ्ट वाला
 पेट्रोल डलवा
 रहा था, उसने एक हज़ार रुपए का नोट
 गाड़ी के
 अन्दर से ही कर्मचारी को दिया चूँकि
 बारिश हो रही थी इसीलिए
 ड्राईवर ने बाहर आना उचित नही समझा.
कर्मचारी ने पहले मीटर शून्य किया
 फिर उसमें हजार रुपए फीड किये और नोज़ल
 लेकर
 पेट्रोल डालने लगा इस समय मैं यह सोचने में
 व्यस्त था
 की जब मीटर में हज़ार रुपए
 फीड कर दिए गये हैं तो निसंदेह हज़ार का
 ही पेट्रोल निकलेगा, फिर मैंने सोचा अगर
 मीटर में कुछ गड़बड़ नही है तो फिर
 आखिर ये लोग कैसे लोगों को बेवक़ूफ़ बनाकर
 कम पेट्रोल डाल
 देते हैं? हो सकता है मुझे झूठी शिकायत
 मिली हो...!
बस यही सोचते-सोचते मेरे सीधा ध्यान
 नोज़ल पर था तभी मुझे अचानक से
 कर्मचारी के हाथ में कुछ हरकत महसूस हुई
 उसने इतने धीरे से हाथ हिलाया की
 पास खड़े शख्स को भी सँदेह न हो पाए लगभग
20 या 30 सैकिंड बाद फिर उसने वही हरकत
 दोबारा की, अब मुझे दाल में कुछ काला
 लगा कि आखिर
 इसने दो बार हाथ में हरकत क्यूँ की जबकि
 नोज़ल
 का स्विच एक बार दबा देने पर स्वत: पेट्रोल
 टंकी
 में गिरने लगता है. इतने में स्विफ्ट में 1000 Rs
का पेट्रोल
 डालने के बाद उसने मुझसे आगे वाली बाइक में
100
का पेट्रोल डालना शुरू कर दिया, उसने वही
 क्रिया
 फिर दोहराई पहले मीटर को शून्य किया
 फिर नोज़ल
 टंकी में डालकर पेट्रोल डालने लगा लेकिन
 अचानक
 से उसने हाथ में फिर हरकत की लेकिन इस बार
 की हरकत 20 या 30 सैकिंड की न
 होकर 8 से10 सैकिंड की थी. अब
 मुझे समझ में आ गया हो न हो इसके नोज़ल में
 ही कुछ गड़बड़ है.
खैर उसके बाद मेरा नम्बर भी आ गया मैंने 200
रुपए देकर पेट्रोल डालने को कहा उसने फिर
 मीटर
 जीरो किया और नोज़ल डालकर पेट्रोल
 डालने लगा,
इस बार मेरा पूरा ध्यान कर्मचारी की
 उंगलियों पर था अभी नोज्ज़िल डाले कुछ
 ही सेकंड बीते होंगे की
 उसने उंगलियों में कुछ हरकत की लेकिन में पहले
 से ही तैयार था तो उसके हरकत करते
 ही मैंने उसका हाथ पकड़कर नोज़ल बाहर
 खींच लिया, इस हरकत से कर्मचारी
 घबरा गया और मेरी बाइक भी लड़खड़ा
 गयी लेकिन ये क्या नोज़ल से तो पेट्रोल आ
 ही नही रहा था?
होता कुछ यूँ है की जिस नोज़ल से
 कर्मचारी पेट्रोल डालते हैं उसका सम्बन्ध
 मीटर से होता है अगर मीटर में 200
रुपए का पेट्रोल फीड किया गया है तो एक
 बार
 नोज्ज़िल का स्विच दबाने पर स्वतः 200
रुपए का पेट्रोल डल
 जायेगा उसे ऑफ करने की कोई ज़रूरत
 नहीं पड़ती, स्विच सिर्फ
 मीटर को ऑन करने के लिए होता है उसका ऑफ
 से कोई सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि
 मीटर फीड की हुई वैल्यू
 खत्म होने पर रुक जाता है अगर पेट्रोल डालते
 समय नोज़ल
 का स्विच बंद कर दिया जाएये तो मीटर
 चलता रहता
 है लेकिन नोज़ल बंद होने की वजह से पेट्रोल
 बाहर नहीं निकलता, इसी बात का
 फायदा उठाकर कर्मचारी करते ये हैं कि जब
 भी कोई पेट्रोल डलवाता है तो बीच-
बीच में स्विच-ऑफ कर देते हैं जिससे रुक-रुक
 कर पेट्रोल टंकी में जाता है और हम
 कंपनी को कम mileage की
 गाड़ी कहकर कोसकर चुप हो जाते हैं.
फर्ज़ कीजिये आप पेट्रोल पम्प पर गये और 200
रुपए का पेट्रोल डलवाया 200 रुपए का
 पेट्रोल डलने में
30-45 सेकंड का समय लगता है आपका सारा
 ध्यान
 मीटर की रीडिंग पढ़ने में
 निकल जाता है और अगर ये लोग 10 सेकंड के
 लिए
 भी स्विच ऑफ करते हैं तो समझ
 लीजिये आपका 50 रुपए का पेट्रोल कम
 डाला गया
 है.
कृपया सभी लोग आगे से जब भी पेट्रोल
 लेने जाएँ और आपके साथ भी ऐसा कुछ हो तो
 इसका कड़ा विरोध करें. इसे ज्यादा से
 ज्यादा share & forward
करें. धन्यवाद
.
(वाट्सएप से मिला यह संदेश)

संदेश एक और भी मिला लेकिन उस में थोड़ा सा बदलाव मैं अपनी तरफ़ से करना चाहता हूं ..अगर आप की अनुमति हो तो ...आप पहले इसे पढ़ लीजिए, बाद में बदलाव करता हूं...

सड़े हुए तेल से बने भटुरे और स्मोसे
सल्फर के तेज़ाब वाले पानी के गोलगप्पे
1 ही पत्ती से कई बार बनी चाय
डिटर्जेंट पाव्डर वाला दूध 
नाली किनारे बिकने वाली  सब्ज़ियाँ 
कभी न साफ़ हुई टैंकी का पानी पीने वाले 
शराब और सिगरेट पी कर फेफडो और लिवर को खराब करने वाले 
तम्बाकू खाकर मुहं का कैन्सर करने वाले 
खुज्लाते हाथो से बनी ढाबे की रोटियॉ खाने वाले 
बर्डफ्लु वाले मुर्गे खाने वाले लोग जब ये पूछते है क़ि
>>>>>>>>


medicine का कोई side effect तो नहीं 

तो मन ही मन बहुत हँसी आती है
बदलाव बस इतना सा ही करना चाहता हूं इस वाट्सएप मैसेज में कि मुझे हंसी नहीं आती इस सिचुएशन में, मुझ में करूणा के भाव उमड़ने लगते हैं ....ज्यादा काव्यमयी हो रहा हूं, कोई बात नहीं, अगले मैसेज बिल्कुल हल्के-फुल्के हैं...लेकिन जीवन का सार समेटे हुए..





सारा दिन दुनिया भर के संदेश इधर से उधर करते हांफ जाते हैं लेिकन अपने ही आस पास जो हो रहा है उसी से बेखबर रहते हैं...बिल्कुल मुन्ना भाई के इस बेहतरीन संवाद की तरह .. एक एक शब्द पर ध्यान देने की ज़रूरत है ... शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है, अगर जीना यही है तो मरना क्या है!






इसी बात पर मां की कला का एक नमूना हो जाए...मां ने यह कैप मेरी बहन के लिए तैयार की है ...God bless her...she is very creative and positive ...and full of life!.... मां की सब से बड़ी खूबी बताऊं...उन्होंने हम बच्चों को कभी पीटा नहीं ....सच में, एक बार भी नहीं...और कभी कुछ भी करने के िलए मना नहीं किया .. जीवन के हर लम्हे में बच्चों की खुशी में अपनी खुशी तलाशतीं!!

 मेरे विचार में वाट्सएप ज्ञान गंगा के नाम पर आज के लिए इतना ही काफी है...Enough food for thought for the day!  

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

वाट्सएप ज्ञान की अमृतवर्षा - ०५.२.२०१६

मुझे ध्यान नहीं आ रहा था कि वाट्सएप पर जो ज्ञान दिखे उसे अगर ब्लॉग पर सहेज कर रखना हो तो उसे क्या नाम दिया जाए...

अचानक बचपन के दिनों में अनेकों बार सुने शब्द अमृतवर्षा का ध्यान आ गया ..इसलिए पोस्ट का यही नाम रख दिया।

फ्लैशबैक... >>>>>>>>   अमृतसर शहर ...१९६० के दशक के आखिरी वर्ष और १९७० के शुरुआती वर्ष .. हमारे पड़ोस में शाम लाल अंकल जी के गृह में महिलाओं का दोपहर में कीर्तन हुआ करता था.. बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति वाला परिवार.. पूजा-पाठ-कीर्तन में लगे रहते थे।

प्रत्येक बुधवार को उन के आंगन में महिलाओं का कीर्तन होता था...हम सब लोग बाहर कंचे, पिट्ठूसेका, गुल्ली-डंडा खेला करते थे..हमें उस ढोलक चिमटों की आवाज़ के साथ गाए जाने वाले भजन सुनने अच्छे लगते थे..और अमृतवर्षा के समय खेल छोड़ कर आंगन के अंदर भाग जाना भी हमारे लिए ज़रूरी होता था.. क्योंकि शाम लाल आंटी जी के हाथ में अमृत से भरी एक गढ़वी हुआ करती थी...और वह अपने चुल्लू में उसे भर भर के सारी संगत पर छिड़का करती थीं...हमारे मन में तब तक यह बैठ चुका था कि अगर उस जल के कुछ छींटे ...चाहे एक दो ही क्यों न हों...अगर वे हमारे ऊपर पड़ गये तो ईश्वरीय कृपा है ...वरना मन थोड़ा ऐसा वैसा फील करने लगता था..लेकिन अकसर एक दो बूंदे पड़ ही जाया करती थीं...और अगर कुछ आंटियों पर यह बूंदें नहीं बरसीं तो वे दूध से ही शर्मा आंटी को कहती ....बहन जी, ऐधर वी ..बहन जी, ऐधर वी ...(बहन जी, इधर भी, इधर भी!)...और जो बात मैंने मेन शेयर करनी थी वह यह थी कि इस अमृतवर्षा होते हुए भी निरंतर ढोलक-चिमटों की आवाज़ के साथ साथ ...कीर्तन करने वाली महिलाएं निरंतर गाती रहती थीं....फुल्लां दी वर्षा...होई वर्षा अमृत दी ..होई वर्षा अमृत दी...(फूलों की वर्षा...अमृत की वर्षा हो गई)....फिर उस के बाद ही परशाद बांटा जाता था..

तो यह थी अमृतवर्षा की बैकग्राउंड... वाट्सएप को आए काफी अरसा हो गया...इस पर अकसर इतने इतने बढ़िया मैसेज टेक्सट, वीडियो, आडियो आते हैं कि उन्हें पढ़ते समय ही तमन्ना होती थी कि इसे आगे शेयर किया जाए और सहेज भी लिया जाए।

शेयर तो कर ही लेते हैं लेिकन सहेजने-वेजने वाला काम मुश्किल लगता है ... अपनी ही सहेजी चीज़ें हमें अलमारी में तो मिलती नहीं, कभी इच्छा होने पर इस वाट्सएप ज्ञान को कहां ढूंढते फिरेंगे ...और इतना सब्र भी कहां है! इसलिए अकसर एक बार देखी-पढ़ी बात फिर से देखने को मिलती नहीं ...

एक समस्या और भी तो है... वाट्सएप ग्रुप जिन में हम हैं, वे भी अधिकतर रेत के घर जैसे हैं...जैसे बचपन में हम लोग मेहनत से उन्हें बना कर फिर अगले ही पल उन्हें गिरा दिया करते थे..इसी तरह से पता ही नहीं चलता कब लोग किसी को ब्लॉक कर देते हैं, कब किसी को किसी ग्रुप से निकाल बाहर करते हैं ..और कब वह तैश में आकर तीन ग्रुपों से अपने आप बाहर हो जाता है .. ऐसे में क्या होता है, उस समय हम यह नहीं सोचते कि इस ग्रुप की चैट में कितना वाट्सएप ज्ञान भरा हुआ है ..हम गुस्से में उसे आर्काईव भी नहीं करते ....ऐसा ही तो करते हैं अकसर हम लोग। बस, सब कुछ उस क्षण चला गया हमेशा के लिए।

मैं अकसर सत्संग में देखता हूं कि सत्संगी लोग वाट्सएप ज्ञान को अपने मोबाइल से पढ़ कर शेयर करते हैं ...और सुन कर बहुत अच्छा लगता है .. तो मैंने सोचा कि मैं भी अपने ब्लॉग पर कुछ इसी तरह से करना शुरू करूं....अब रोज़ रोज़ मैं कहां से पोस्टें लिखने बैठूं... ऐसे ही रेडीमेड वाट्सएप माल भी कभी कभी पोस्ट के रूप में पेश कर देने में कोई बुराई नहीं है, मैं ऐसा सोचता हूं..

और एक बात...सच में बहुत सा वाट्सएप माल सहेजने लायक होता है...लेकिन समस्या यही है कि जो मैं सहेजूंगा..वह मेरी पंसद होगी, उसने मुझे ज़रूर उद्वेलित किया होगा, गुदगुदाया होगा, कुछ सोचने पर मजबूर किया होगा...तो आप भी अपने स्तर पर यह प्रयास कर सकते हैं.... यह ब्लॉग व्लॉग लिखना भी कोई कठिन थोड़े ही न है,  बस Bloggger.com या Wordpress.com पर जाइए, बस सब कुछ वे समझा देते हैं.... बस दो चार दिन की बात होती है और वैसे भी शुरूआत में आपने कुछ लिखना तो है नहीं बस वाट्सएप पर हो रही ज्ञान की अमृतवर्षा को कापी-पेस्ट कर के सहेजना ही तो है जैसा में आज कर रहा हूं....

यह चुटकुला मुझे आज दोपहर में मेरी श्रीमति जी ने सुनाया... उन्हें यह किसी ने वाट्सएप किया था... वह मुझे सुनाते हुए हंस रही थीं तो मैंने कहा कि इसे मुझे भी फारवर्ड कर दें ... मैंने सोचा इस अमृतवर्षा की शुरूआत इसी से ही कर ली जाए..

कस्टमर : अगर मैं आज चेंक जमा करू तो वो कब क्लियर होंगा?
क्लर्क : ३ दिन में.
कस्टमर : मेरा चेंक तो सामने वाली बैंक का है.., दोंनों बैंक आमने-सामने है फिर भी इतना समय क्यों?
क्लर्क : सर, ‘प्रोसिजर टू फोलो’ करना पड़ता हैं ना.  सोंचो आप कही जा रहे हों और बाजु में ही  शमशान हैं, अगर आप शमशान के बाहर ही मर गये, तो आपको पहले घर लेकर जायेंगे या वही निपटा देंगे?
कस्टमर बेहोश...😂

 कैसा लगा आप को यह चुटकुला ...वैसे बात तो उस कलयुक के बाबू ने ठीक ही कही...

     एक वाट्सएप ज्ञान उस महान कामेडियन चार्ली चेपलिन के बारे में भी मिला कल...दरअसल शायद कुछ महीनों पहले भी इस तरह का कुछ पढने को मिला था... विशेषकर जिन पंक्तियों में कहा गया है कि जिंदगी के हल पल का जश्न मनाओ... कल इसे फिर से पढ़ा तो बहुत अच्छा लगा..बिल्कुल जैसे किसी ने रिमांईंडर भेजा हो...सोचा, इन सब अच्छी बातों को ब्लॉग पर सहेजा जाए....

चार्ली चैपलिन ने एक चुटकुला सुनाया तो सभी लोग हँसने लगे....
चार्ली ने वही चुटकुला दोबारा सुनाया,  कुछ लोग फिर हँसे???
उन्होंने फिर वही सुनाया पर इस बार कोई नहीं हँसा...???
तब उन्होंने कुछ खास बात कही..
"जब आप एक ही चुटकुले पर बार-बार नहीं हँस नहीं सकते तो फिर आप एक ही चिंता पर बार बार रोते क्यों हैं"
इसलिए जीवन के हर पल का आनंद लो..!!
जिंदगी बड़ी खूबसूरत है।
आज चार्ली चैपलिन की 125वीं जयंती है जो इन तीन ह्रदयस्पर्शी बातों को दोहराने का दिन है -
(1) दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं.. हमारी परेशानियाँ भी नहीं।
(2) मुझे बारिश में चलना पसंद है ताकि कोई मेरे आँसू न देख सके।
(3) जीवन का सबसे व्यर्थ दिन वो है जिसमें हम हँसे नहीं।
हँसते रहो और इस मैसेज को उन सबसे शेयर करो जिन्हें आप मुस्कुराते देखना चाहते हो। 

कैसा लगी चार्ली चैपलिन की बात ...अगर यह अच्छी लगी तो फिर आप को अमिताभ बच्चन की यह बात भी निश्चय ही अच्छी लगेगी ...  जिंदगी हंसने गाने के लिए है पल दो पल...मेरा एक और फेवरेट गीत..



इस अमृतवर्षा में कुछ फोटो भी हो जाए तो तड़का लग जाए... ये भी मुझे वाट्सएप में भी मिली हैं इधर उधर से...






गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

पतंजलि की सोन पापड़ी ट्राई की क्या ?

दो दिन पहले दोपहर में मैंने जब एक खबरिया चैनल को लगाया (जिसे आम तौर पर मैं नहीं सुनता) तो बाबा रामदेव की प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी ..कुछ पतंजलि के घी का लफड़ा था...बाबा बता रहे थे कि बड़ी कंपनियां साज़िश कर रही हैं, भरवा रही हैं, बदनाम कर रही हैं पतंजलि के उत्पादों को, मैंने फलां फलां पर एफआईआर कर दी है, फलां पर केस कर दिया है....अब ऐसी साज़िश वाज़िश वाली बातें मुझे ज़्यादा समझ में आती नहीं, कौन क्या कर रहा है, यह सब सिरदर्दी की बातें हैं ...

बाबा लिस्ट बताए जा रहे थे कि फलां फलां पर केस कर दिया है ...और मेरे दिल की धड़कनें बड़ी जा रही थीं ..इस का एक कारण यह भी था कि मैंने भी दो दिन पहले बाबा की पेस्ट के बारे में किसी की लिखी एक फेसबुक पोस्ट पर लिखी पोस्ट पर टिप्पणी के रूप में अपनी एक पोस्ट का लिंक दिया था.. जिस में मैंने पतंजलि की पेस्ट-मंजन के बारे में अपनी जानकारी व्यक्त की थी...मैंने सब से पहले तो उस टिप्पणी को डिलीट किया ... यही सोच कर कि बाबा ने मुझे भी अंदर करवा दिया तो मुझे तो बड़ी दिक्कत हो जायेगी, मेरी तो कोई ज़मानत भी नहीं करवाया, यह सोच कर कि रोज़ सुबह-शाम ब्लॉग पर इस की बक-बक चालू रहती है, चलिए इसी बहाने थोड़ी राहत तो मिलेगी! 

वैसे मैंने उस लिंक को ही हटाया है, मेरा वह लेख इस ब्लॉग पर बिल्कुल मौजूद है ...२००७ से लिखे अपने किसी भी लेख को मैंने कभी डिलीट तो क्या किसी से छेड़खानी भी नहीं की...जो लिखा है सच ही लिखने की कोशिश की है...मेरा अपना सच..लेिकन उस दिन मैंने महसूस किया कि बाबा साहेब अंबेडकर जो कहते थे कि शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित बनो....यह बहुत अहम् बात है ...बिना किसी संगठन के तो आप अपनी सच बात भी कहीं रखते हुए भी डरते हैं...और यह जो हम जैसा छोटा मोटा बुद्धिजीवी वर्ग है यह तो कुछ ज़्यादा ही खौफ़ज़दा है .. हम लोग तो किसी को शिकायत तो क्या, किसी को चिट्ठी लिखते हुए भी डरते हैं ...

उस दिन जो मुझे लगा मैंने सच सच लिख दिया... लेकिन बाबा रामदेव का नाम आते ही बहुत सी यादें एक साथ आ जाती हैं...आज से लगभग १७-१८ साल पहले टीवी पर बाबा के प्रोग्राम आने शुरू होना, सारे हिंदोस्तान को सुबह शाम अपने नाखुनों को रगड़ते देखना ..बाल काले रखने के लिए, फिर बाबा का और पापलुर हो जाना, लोगों को योग-प्राणायाम् की आदत लग जाना, बाबा का लोगों को सेहतमंद खाने के बारे में प्रेरित किया जाना...पतंजलि की दुकानें खुल जाना..और मेरे जैसे लोगों का नियमित उन पर जाकर शक्कर, मुरब्बा, आंवला कैंडी और तरह तरह के चूर्ण लाना... मैं बहुत साल पहले आंवला कैंडी जैसे उत्पादों के बारे में लिख कर इस प्रयास की सराहना की भी थी। 

हां, एक याद और भी तो आ रही है कि लगभग हर कार्यक्रम में बाबा के तैयार किये हुए काले धन के आंकड़ें सुबह सुबह चाय की प्याली से ज़्यादा रोमांचित किया करते थे...बिल्कुल सांसे रोक कर जैसे हम सब लोग आंकड़ें सुन सुन कर आनंदित हुए जाते थे जैसे कि स्विस बैंकों से पैसा सीधा हमारे खातों में ही आने वाला है....बाबा का अपनी बात कहने का अंदाज़ भी इतना मनमोहक था...लेिकन पता नहीं अब इन आंकड़ों की कभी बात ही नहीं दिखती ...

मैं बहुत बार मानता हूं कि जब बाबा की मीटिंग थी उन दो तीन उस समय के केंद्रीय मंत्रियों से और वे भी मंजे हुए खिलाड़ी वकालत के ... अब उस में जो हुआ ...वह आप सब जानते ही हैं, दोहराने की ज़रूरत नहीं, लेकिन वे खिलाड़ी थे पक्के ...उस के बाद रामलीला मैदान वाला किस्सा जिस से बाबा अचानक अपनी जान बचा कर भाग निकले..

मैं यह समझता हूं कि बाबा ने देश की जनता को योग का एक बहुत अनमोल तोहफ़ा दिया......लोगों ने अपने सेहत के बारे में सोचना शुरू किया..अपने खाने-पीने के बारे में सजग हुए..देश का बच्चा बच्चा काले धन के आंकड़ों को रटने लगा...और यह एक अच्छा राष्ट्रीय टाईम-पास बन गया...सच में बड़ा ही मज़ा आता था यह सब सुन कर ... सभी की सुस्ती ऐसे काफ़ूर हो जाया करती थी कि क्या बताऊं!..शरीर में गर्मी आ जाया करती थी वे सब बातें सुन कर!...खास कर बड़े नोटो को बंद करने की बातें सुन कर जब यह कल्पना किया करता था देश कि अब रिश्वत की राशि ट्रकों में एक एक रूपये के नोटों में भेजनी पड़ेगी... 



बाबा अच्छा काम तो कर ही रहे हैं, योग को पापुलर कर रहे हैं और सेहतमंद विक्लप प्रस्तुत कर रहे हैं...लेिकन परसों शाम को जब हम लोग पतंजलि के एक स्टोर में गये तो वहां पर सोन पापड़ी भी दिख गई.. एक मांगने पर, दुकान में काम करने वाले लड़के ने सोन पापड़ी की सात तरह की वैरायटी सामने रख दी..एक ली, लेकिन उसे खा कर अपराधबोध हो रहा है कि यही कुछ नहीं खाना है, इसीलिए तो पतंजलि जैसी जगहों पर जाते हैं...मुझे लगता है कि बाबा को सोन पापड़ी जैसी चीज़ें बेचनी बंद कर देनी चाहिए...वैसे भी ये पतंजलि के द्वारा तैयार तो की नहीं गईं, केवल मार्केटिंग ही तो इस की है। 




मैंने ऊपर लिखा पतंजलि स्टोर... जान बूझ कर लिखा ...क्योंकि अब यहां पर किरयाने वाली लगभग सभी चीज़ें बिकने लगी हैं...अच्छी बात है, उस दिन मैंने देखा कि ३५४ वस्तुओं की लिस्ट डिस्पले कर रखी थीं...सब से आखिरी चीज़ के बारे में मेरे विचार अलग हैं.. मैंने दंत कांति पेस्ट मंजन के बारे में पहले भी लिखा है। 


नमक, मिर्ची, मसाले...सब कुछ बिकता है अब पतंजलि के स्टोरों में .. और स्कीम और उपहार की स्कीमें भी हैं, इन्हें पढ़ना और समझना मेरे से कभी नहीं हो पाता...इसलिए फोटू लगा रहा हूं.. थैला तभी मिलता है लेकिन जब ५०० रूपये की खरीद हो और वैसे तो होम डिलीवरी की सेवा भी मुफ्त है, शर्तों के साथ...अगर आप ५०० से ज्यादा की वस्तुएं खरीद रहे हैं और आप पांच किलोमीटर के दायरे में रहते हों तभी। 






बहुत पहले इसी चाय को पीते थे..अब फिर शुरू करेंगे
मेरा फेवरेट दलिया...जौ दलिया 
हम लोग पिछले कईं वर्षों से पतंजलि से बहुत सी चीज़ें लाते रहे हैं.. आंवला कैंडी, मुरब्बा तो है ही, पहले तो हम आटा, शक्कर भी पतंजलि की ही इस्तेमाल किया करते थे...और पुष्टाहार दलिया भी ..बहुत समय तक हम लोग दिव्य पेय पीते रहे..फिर छोड़ दिया...अब फिर से मन को समझाने की कोशिश कर रहे हैं...(they rightly say ..Habits die hard!....वारिस शाह न आदतां जांदियां ने ...) ..पिछले कुछ अरसे से पतंजलि के स्टोरों में जौ का दलिया भी बिकने लगा है .......मुझे यह बहुत पसंद हैं...हम इसे अकसर खाते हैं....बाबा ने ऐसी ऐसी चीज़ें देश के सामने रख दी हैं जिन्हें हम ने इतने बरसों तक कभी देखा ही नहीं था... जौ का दलिया भी वैसे कहीं नहीं बिकना तो दूर दिखता नहीं ...यह नाश्ते के लिए एक बहुत अच्छा विकल्प है, ट्राई करिएगा। 




म्यूसिली में ये सब कुछ है..wheat flakes, corn flakes, white oats, rice flakes, nuts etc.
हां, एक बात लिखना भूल रहा हूं ..पतंजलि की दुकान में  म्यूसली (muesli) पड़ी दिख गई उस दिन ...उसे भी खरीदा।कुछ दिन पहले आगरे के एक होटल में बुफे ब्रेकफॉस्ट करते हुए म्यूसली को पहली बार खाने का मौका मिला...अच्छा लगा.. लेकिन यह समझ में नहीं आई कि यह है क्या, क्या इस की अलग से पैदावार होती है ....यह पता नहीं चला था। कल जब पतंजलि की म्यूसली खरीदी तो पता चला कि बस नाम ही डराने वाला है, चीज़ें इस में वहीं हमारी जानी पहचानी, कार्न फ्लेक्स, व्हीट (गेहूं) फ्लेक्स, ओट्स आदि ...

बहुत सी चीज़ों के तो नाम ही से हम लोग डर जाते हैं...शायद!  

 म्यूसली जैसे उत्पाद अच्छे हैं, लेिकन महंगे हैं, शायद एक औरत भारतीय की पहुंच के थोड़े थोड़े अंदर, थोड़े थोड़े बाहर... वैसे भी पतंजलि के उत्पादों के बारे में लोगों में एक धारणा सी है कि ठीक है, गुणवत्ता है, लेिकन महंगे भी हैं..पब्लिक को पैसा खर्च करना ही है ..वह चाहे अंबानी के खीसे में जाए या बाबा रामदेव की गुल्लक में....लेकिन एक सुझाव है ..मैं चाहे अर्थशास्त्री नहीं हूं लेकिन इतना तो सुझाव दे ही सकता हूं कि पतंजलि के घरेलू उत्पाद थोड़े सस्ते में बिकने चाहिए... प्रॉफिट मार्जिन कम होना चाहिए, मुझे ऐसा लगता है... बाकी आंकड़ें तो बाबा के पास ही होंगे, ज़्यादा कुछ कह नहीं पाएंगे, डर लगता है, अंदर भिजवाए जाने के नाम ही से! 

उस दिन बाबा की प्रेस कांफ्रेंस में एक बात कान में यह भी पड़ी कि विदेशी कंपनियों कईं कईं लाखों की रिश्वत बांट कर पतंजिल के प्रोड्कट्स के बारे में साजिश रच रही हैं... मुझे इस के बारे में ज़्यादा नहीं पता लेकिन कम से कम मैंने किसी से कुछ नहीं लिया...मैंने तो कईं बरस पहले ही टुथपेस्ट-मंजन का कोरा सच लिख दिया है......वह अलग बात है कि मैं इन्हें बाद में कभी पढ़ता नहीं हूं....क्योंकि मैं सच सच अपनी बात कह देता हूं ....  



ये सब बड़े बड़े लोगों की बहुत बड़ी बड़ी बातें..साजिश करने वाले, साजिश का शिकार होने वाले, मेरे जैसे बिना वजह डरे-सिमटे रहने वाले...लेिकन इन सब से बेखबर एक सीधा-सादा हिंदोस्तानी बिल्कुल उस अंदाज़ में जिसको डांस नहीं करना, वो जा कर अपनी भैंस चराए...लखनऊ महोत्सव के बाहर खड़ा हुआ अंदर चल रहे मीत ब्रदर्ज़ या सोनू निगम की लाइव प्रफॉर्मैंस से बिल्कुल बेखबर रात के ११.३० बजे इतनी बढ़िया बढ़िया गर्मागर्म खताईयां ईमानदारी से तैयार कर बेचता हुआ कितनी सहजता से परसों रात अपने काम में रमा हुआ दिखा.....ऐसे लोग ही हैं भारत के सच्चे ब्रांड-अम्बेसेडर... दाल रोटी खा कर मस्त रहने वाले ...सच्चे हिंदोस्तानी...इन्हें दिल से सलाम करने की इच्छा होती है। मुझे ये खताईयां खा कर बहुत अच्छा लगा... बहुत अच्छा। हां, आप लखनऊ महोत्सव हो कर आए कि नहीं, जल्दी कीजिए... ७ तारीख को महोत्सव सम्पन्न हो रहा है। 


आज लैपटाप खंगालते हुए मुझे अपनी एक ३० साल पुरानी फोटू दिख गई... जब मुझे १९८५ में नया नया डैंटल कालेज में मास्टरी करने का शौक चढ़ा था...वे दिन भी क्या दिन थे....बीती हुई यादो हमें इतना न सताओ!
 आज यह फोटू दिखी तो लगा इसे ब्लॉग पर अभी सहेज लूं.. मास्टरी के दिनों की यादें