शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

17 साल के लड़के के 232 दांत

आज अभी बीबीसी की साइट पर इस खबर पर नज़र पड़ी कि बंबई में डाक्टरों ने एक १७ साल के लड़के के मुंह से २३२ दांत निकाले।

मैंने भी इस तरह की खबर पहली बार ही देखी है। यह लड़का किसी गांव में रहता था, एक महीने पहले उसे जबड़े में बहुत ज़्यादा दर्द हुआ। उस के पिता उसे इस डर से बंबई लेकर आ गये कि कहीं कैंसर ही न हो।

इस खबर के बारे में आप अधिक जानकारी इस लिंक पर क्लिक कर के बीबीसी की साइट पर देख सकते हैं। अभी भी लड़के के मुंह में २८ दांत बचे हैं।

India Doctors remove 232 teeth from boy's mouth

यहां यह बताना ज़रूरी होगा कि यह सब एक ट्यूमर की वजह से हुआ.....लेकिन यह ट्यूमर बिनाईन होता है, अब बिनाईन को कैसे बताऊं.....बस आप यही जान लें कि इस तरह की ट्यूमर खतरनाक नहीं होता, यह शरीर के दूसरे अंगों में फैलता नहीं है, और इस से सामान्यतः जान भी नहीं जाती। लेकिन लड़के की तो २३२ दांत उखड़वाने के बाद जान में जान आई होगी।

ईश्वर सब को सेहतमंद रखे।


शनिवार, 12 जुलाई 2014

आप की पर्सनल एमरजैंसी किट..

अकसर हम लोग यात्रा पर जाने से पहले अपनी दवाईयों की एमरजैंसी किट को इतना महत्व नहीं देते। लेकिन फिर जब अचानक इन में से कुछ की ज़रूरत पड़ती है तो अपनी गलती का अहसास होता है।
हर व्यक्ति को पता होता है कि उसे एमरजैंसी में किन किन दवाईयों आदि की ज़रूरत पड़ सकती है।
चलिए अपनी उदाहरण लेता हूं. मैं कुछ दिनों के लिए बंबई आया हुआ था, आज लौट रहा हूं। परसों रात को अचानक रात एक-दो बजे मेरे पेट में बहुत ज़ोर का दर्द होने लगा और साथ में शरीर दुःखने लगा और बुखार जैसा लग रहा था। दो बार बिल्कुल वॉटरी स्टूल्स भी हुए।

समझ में नहीं आया कि ऐसा तो कुछ खाया भी नहीं..अकसर खाने में अपनी तरफ़ से थोड़ी एहतियात ही बरतते हैं। बहरहाल, मेरे पास उस समय Norflox 400 mg की एक टेबलेट पड़ी थी, मैंने तुरंत ले ली और साथ में Tab Zupar (Ibuprofen and Paracetamol combination) ली, उस के बाद कोई मोशन नहीं आई ..लेकिन अगले दिन सारा दिन बदन दुखता रहा और बुखार जैसा लगता रहा। इसलिए मैंने Norflox-TZ का तीन दिन का कोर्स करना ही ठीक समझा।वैसे मैं यहां अपने ब्लॉग में दवाईयों के ट्रेड नेम नहीं लिखता लेकिन कुछेक का नाम तो लिखना ही पड़ता है जिन्हें अपने ऊपर अाजमाया हो।

आज अच्छा लग रहा है।

अकसर हम लोग इस तरफ़ कभी ध्यान नहीं देते कि सफ़र में जाते समय या बाहर कहीं जाते वक्त दो चार दवाईयां लेकर चलना चाहिए।

सफर के दौरान सिर दुःखना या फिर एसिडिटी जैसे लक्षण मुझे अकसर हो जाते हैं। मुझे याद है कि एक बार हम लोग दिल्ली से फिरोज़पुर जा रहे थे.. रास्ते में सिर दर्द शुरू हो गया ..भटिंडा पहुंचने पर मुझे इतना सिर दर्द हुआ कि मेरे में चलने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी लेकिन फिर भी मैं अपनी मां और तीन-चार साल के बेटे को प्लेटफार्म पर छोड़ कर बाहर एक डिस्परिन की टेबलेट लेने गया।

मैं लगभग पिछले कईं वर्षों से बाहर चाय नहीं पीता.....जब से यह मिलावटी दूध वूध के किस्से सुनने में आने लगे हैं, इसलिए कईं बार थोड़ा विदड्रायल सा होने की वजह से सिर दुःखता है सफर के दौरान या फिर एसिडिटी हो जाती है, इसलिए एसिडिटी के लिए भी ओमीप्राज़ोल कैप्सूल जैसी दवाईयां अपने साथ रखता हूं।

बस यही लिखना चाह रहा था आज इस पोस्ट में कि अपने साथ दो-चार दवाईयां जिन की हमें अकसर ज़रूरत पड़ती है लेकर ही चलना चाहिए। आप का क्या ख्याल है। रात के समय अकसर कैमिस्ट की दुकानें बंद होती हैं, दिक्कत होती है।