शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

हिस्ट्रैक्टमी पर चर्चा गर्म है...


हिस्ट्रैक्टमी के बारे में तो आप सब जानते ही हैं ..महिलाओं में किया जाने वाला आप्रेशन जिस में उन का युटर्स (uterus) –आम बोलचाल की भाषा में जिसे बच्चेदानी कहते हैं—पूरी तरह या कुछ भाग निकाल दिया जाता है और कईं बार इस के साथ महिला के अन्य प्रजनन अंग जैसे कि ओवरी, सर्विक्स, एवं फैलोपियन ट्यूब्स भी निकाल दी जाती हैं।
मैंने बहुत बार इस तरह की चर्चाएं होती सुनी हैं जिस में इस बात का उल्लेख आता है कि फलां फलां महिला चिकित्सक तो किसी अस्पताल में सर्जरी में हाथ साफ़ करने आती है—कहने का मतलब यही होता है कि सिज़ेरियन आप्रेशन (डिलीवरी हेतु किया जाने वाला बड़ा आप्रेशन) और हिस्ट्रैक्टमी आदि के लिए। कोई माने या ना माने सरकारी अस्पतालों में यह सब करने की एक तरह से खुली छूट सी होती है। कोई पूछ के देखे तो इस मरीज़ में फलां फलां आप्रेशन करने की इंडिकेशन क्या थीं? …..तेरी यह मजाल कि अब तूने डाक्टरों के निर्णय को चुनौती देनी शुरू कर दी।
जो भी हो, पब्लिक भी बेवकूफ़ नहीं है, वह भी अखबार पढ़ती है, इलैक्ट्रोनिक मीडिया से जुड़ी रहती है, सब समझती है लेकिन फिर भी जब कोई बीमारी आ घेरती है तो कमबख्त उस की कहां चलती है। ना कुछ समझ, ना कुछ निर्णय लेने की ताकत, ना ही ऐसा सामाजिक वातावरण, विशेषकर महिलाओं के मामले में तो स्थिति और भी चिंताजनक है।
महिलाओं में कुछ आप्रेशन होने हैं तो इस का निर्णय ‘दूसरे’ करेंगे, अगर कुछ नहीं करवाने हैं तो भी वह स्वयं नहीं लेती यह निर्णय, यहां तक किसी महिला तकलीफ़ के लिए डाक्टर के परामर्श लेना है कि नहीं, यह फैसला भी उस के हाथ में नहीं।
इन सब बातों का ध्यान मुझे दो चार दिन पहले तब भी आया जब मैंने एक खबर देखी कि नैशनल फैमली हैल्थ सर्वे में हिस्ट्रैक्टमी से संबंधित डैटा इक्ट्ठा करने की मांग की जा रही है। पाठक स्वयं इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि स्थिति कितनी विकट होगी कि सेहत से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ताओं को इस तरह की मांग उठानी पड़ी।
हैल्थ एक्टिविस्टों की मांग इसलिए है कि एक बार आंकड़े पता तो लगें ताकि इस सूचना को इस आप्रेशन के लिए तैयार किए जाने वाले दिशा-निर्देशों (guidelines) के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
“The demand comes following concern over rising cases of hysterectomies reported from across the country, particularly among younger women, and by some unscrupulous doctors for monetary gains”
अधिकतर फैमली प्लानिंग आप्रेशन तो होते हैं सरकारी संस्थाओं में लेकिन 89प्रतिशत के लगभग हिस्ट्रेक्टमी आप्रेशन प्राईव्हेट अस्पतालों में होते हैं… इस का मतलब तो यही हुआ कि सरकारी सेहत तंत्र केवल राष्ट्रीय सेहत कार्यक्रमों तक ही सीमित है और अन्य सेहत से संबंधित मुद्दे में इस की रूचि नहीं है……………यह मैं नहीं कह रहा हूं, पेपर में ऐसा साफ़ लिखा है..
Majority of tubectomies are performed in public health system, where as 89 per cent of hysterectomies were conducted in private.  This indicates that public health system is meant only for national programme and less interested in other health programme. This also raises questions whether hysterectomies are justified and whether the higher percentage of hysterectomies in the private sector reflect economic and commercial interest of some groups.”
आंध्रप्रदेश में एक स्टडी की गई थी जिस के अनुसार जिन महिलाओं का हिस्ट्रेक्टमी आप्रेशन किया गया उन में से 31.2 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीं जिन की उम्र 30 साल से कम थी, 52 प्रतिशत महिलाएं 30-39 वर्ष की ब्रेकेट में थीं, जब कि 83प्रतिशत महिलाओं में यह आप्रेशन रजोनिवृति से पहले (pre-menopausal) ..उन की चालीस वर्ष की अवस्था से पहले किया जा चुका था।
यह खबर जिस दिन देखी, उस के अगले ही दिन –20 अगस्त 2013 की अखबार में यह खबर दिख गई कि अब हिस्ट्रेक्टमी आप्रेशन से संबंधित जानकारी को नेशनल फैमली हैल्थ सर्वे में शामलि कर लिया गया है. अच्छा है, इस से संबंधित आंकड़े मिलेंगे तो इस से संबंधित गाईड-लाइन तैयार करने में मदद मिलेगी। इस रिपोर्ट में यह भी लिखा है..
“ It was pointed out that unscrupulous doctors were performing hysterectomies on pre-menopausal and even women younger than 30 years for monetary gains”.
महिलाओं के प्रजनन अंगों से जुड़ी समस्याओं का केवल बच्चेदानी निकाल देना ही समाधान नहीं है, इस के लिए विभिन्न मैडीकल उपचार भी उपलब्ध हैं, और हैल्थ ग्रुप्स द्वारा यह मांग भी अब आने लगी है कि इस तरह के आप्रेशन का मशविरा महिलाओं को तभी दिया जाए जब इलाज के बाकी सभी विकल्प कामयाब नहीं हो सके।
औरतें की सेहत के बारे में सोचे तो भी यह एक छोटा मोटा फैसला नहीं है, कम उम्र की महिलाओं में बिना ज़रूरत के केवल कमर्शियल इंटरेस्ट के लिए हिस्ट्रैक्टमी आप्रेशन करने से उन महिलाओं में अन्य शारीरिक बीमारियां जैसे की दिल से संबंधित रोग आदि होने का रिस्क बढ़ जाता है।
लिखते लिखते दो किताबों का ध्यान आ गया …
Whose health is it anyway?
Taking health in your hands
एक्टिविस्ट कर रहे हैं अपना काम लेकिन क्या ही अच्छा हो कि देश में महिलाओं की साक्षरता दर भी खूब बढ़े – साक्षरता रियल वाली …जो नरेगा के लिए अपना नाम लिखने तक ही सीमित न हो, ताकि महिलाओं अपने फैसले स्वयं लेने में सक्षम हो पाएं और प्रश्न पूछने की ज़ुर्रत तो कर सकें…. आमीन!!
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