शनिवार, 12 मार्च 2016

रेलवे एग्ज्यूकेटिव हेल्थ चेक अप कैंप लखनऊ में


आज उत्तर रेलवे चिकित्सा विभाग की और से लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक श्री ए के लाहोटी की प्रेरणा से, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा अर्चना गुप्ता के कुशल मार्गदर्शन एवं  फिजिशियन डा.अमरेन्द्र कुमार एवं उन के साथ अस्पताल की सारी टीम के सहयोग से एक एग्ज़ीक्यूटिव हेल्थ चेक-अप प्रोग्राम आयोजित किया गया... इसे लखनऊ उत्तर रेलवे की ऑफीसर्ज़ क्लब में रखा गया था।


यह हेल्थ चेक-अप कैंप रेलवे के अधिकारियों एवं उन के परिवारजनों के लिए आयोजित किया गया था.. जिस का थीम ही यही था...Health at your doorstep - आप स्वस्थ, रेल स्वस्थ।

उत्तर रेलवे अन्य कर्मचारियों के लिए भी नियमित हेल्थ चैक-अप कैंप दफ्तरों में, हेल्थ यूनिटों में और विभिन्न रेल कारखानों में इस तरह के हेल्थ चैक-अप आयोजित करती रहती है ...मुझे ध्यान आ रहा कि जून २०१५ में तो रेल मंत्रालय की एक बेहतरीन पहल के अंतर्गत देश भर में रेलवे स्टेशनों पर भी रेल कर्मचारियों, परिवारों एवं यात्रियों के लिए भी इस तरह के हेल्थ कैंप लगाए गये थे....इस के साथ साथ स्वच्छता अभियान भी चलता रहा।
(बाएं से)..डा अर्चना गुप्ता, सीएमएस, श्रीमति ओझा, श्रीमति लाहोटी, डीआर एम श्री लाहोटी, एडीआरएम श्री ओझा 
डी आर एम श्री अनिल लाहोटी नियमित हेल्थ चेकअप के लिए सभी को प्रेरित करते हुए 
मंडल रेल प्रबंधक श्री ए के लाहोटी उद्घाटन समारोह के गेस्ट ऑफ ऑनर थे... उन्होंने आने वाले सभी अधिकारियों एवं परिवारों को साल में एक दिन हेल्थ चेकअप करवाने के लिए प्रेरित किया क्योंकि अगर रेलवे से जुड़े अधिकारी सेहतमंद रहेंगे तो ही रेलें भी स्वस्थ रह पाएंगी.. सही बात है रेलों के उत्तम परिचालन के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि सभी सेहतमंद रहें। उन्होंने यह भी इच्छा व्यक्त की कि इस तरह के आयोजन हर वर्ष होने चाहिए..
श्रीमति मीनू लाहोटी अध्यक्षा उ रे महिला कल्याण संगठन लखनऊ अपने विचार रखते हुए 
श्रीमति मीनू लाहोटी, अध्यक्षा, उत्तर रेलवे महिला कल्याण संगठन द्वारा इस चेक-अप कैंप का उद्घाटन किया गया..
उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लोग वार्षिक चैक-अप के लिए हज़ारों रूपये खर्च करते हैं लेिकन फिर भी उन पैकेजों की अपनी कुछ न कुछ सीमाएं होती हैं लेिकन यह एक ऐसा बढ़िया आयोजन हो रहा है कि सभी विशेषज्ञ एवं अन्य सेहतकर्मी आप के पास आये हैं इसी उद्देश्य के साथ कि आप स्वस्थ, रेल स्वस्थ ...इस का पूरा फायदा उठाना चाहिए।
डा अर्चना गुप्ता, सी एम एस अपनी बात रखते हुए....इन के साथ खड़े हैं डा अमरेन्द्र 
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के चिकित्सा विभाग की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक,  श्रीमति अर्चना गुप्ता ने भी आने वाले सभी अधिकारियों एवं उन के परिवार का स्वागत किया .. और इस तरह के आयोजन के उद्देश्य के बारे में बताया कि रेल अधिकारी हमेशा काम में व्यस्त रहते हैं, अपने लिए, परिवार के लिए उतना समय नहीं निकाल पाते, अपनी सेहत के प्रति तो इतना ध्यान दिया ही नहीं जाता ...और जब नियमित चेक-अप की बात आती है तो सब से बड़ी चुनौती यही होती है अकसर लोगों के लिए कि अलग अगल तरह के िवशेषज्ञों से मिलना, तरह तरह के टेस्ट करवाना, देखा जायेगा फिर कभी ...लेकिन अब उस का भी समाधान इस तरह के बेहतरीन आयोजन के रूप में निकाल लिया गया है।

डा कमल किशोर पैथोलॉजिस्ट लैब स्टाफ का उत्साहवर्धन करते हुए..
उस के बाद आने वाले सभी लोगों ने अपना पंजीकरण करवाया...सब से पहले जो लोग खाली पेट आये हुए थे, उन्होंने अपने रक्त का सैंपल दिया ..जो लोग खाली पेट नहीं भी थे, उन के भी रक्त का सेंपल लिया गया...इस से उन के विभिन्न टेस्ट किए जायेंगे जैसे कि हीमोग्लोबिन, ब्लड-ग्रुप, ब्लड-शूगर (खाली पेस्ट या रेंडम, जैसा भी मरीज रहा हो), लिपिड प्रोफाइल, थॉयरायड फंक्शन टेस्ट आदि।
   रक्त की जांच के लिए यहां पूरी सावधानी एवं स्वच्छता से सैंपल लिए गये 
लैब के सभी कामों को डा कमल किशोर,  पैथालाजिस्ट उत्तर रेलवे देख रहे थे ..

कान नाक गला रोग विशेषज्ञ डा ह्यंकी
ईनटी रोग विशेषज्ञ डा ह्यंकी ने ईएनटी रोगों के लिए रोगों की जांच की और उन का मार्गदर्शन किया कि वे सामान्य ईएनटी रोगों से कैसे बच सकते हैं।
दंत चिकित्सक
दंत रोग चिकित्सक (इस पोस्ट के लेखक) ने मुंह के रोगों की जांच की ... और उचित मार्गदर्शन किया..कैसा अनुभव रहा, किस तरह की तकलीफ़ें पाई गईं, इस के लिए एक अलग पोस्ट लिखूंगा..


हड़्डी रोग विशेषज्ञ डा रस्तोगी 
बीएमडी काउंटर 

हड्डी रोग विशेषज्ञ डा रस्तोगी ने लोगों की जांच की और मैंने देखा कि वे लोगों को विभिन्न हड्डी रोग के रोगों से बचने के लिए नियमित व्यायाम के साथ साथ कुछ विशेष एक्सरसाईज़ भी बता रहे थे। एक काउंटर आने वालों की BMD ..Bone Mineral Density चैक करने के लिए भी था, पैर के तलवे की तरफ़ एक सेंसर ऱखते ही कंप्यूटर पर रीडिंग आ रही थी...मैंने भी यह टेस्ट करवाया ..


आंखों के विशेषज्ञ डा हक ने आंखों का निरीक्षण किया, चश्मे की ज़रूरत के लिए भी प्रारंभिक जांच की, और आंखों के अंदरूनी हिस्से (फंडस) की भी जांच की । 

 सीएमएस डा गुप्ता, डा रितु सिंह महिलाओं का मार्गदर्शन करते हुए
डा उर्मी सरकार जो कि शिशुरोग विशेषज्ञ हैं, उन्होंने बच्चों को देखा और डा रितु सिंह जो महिला रोग विशेषज्ञ हैं उन्होंने डा अर्चना गुप्ता की कुशल देख रेख में महिलाओं को उन के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में उचित सलाह दी। शायद मैं यहां यह लिखना भूल गया कि डा अर्चणा गुप्ता जो कि उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक  हैं, वे एक कुशल हेल्थ एडमिनिस्ट्रेटर के साथ साथ एक प्रतिष्ठित एवं बेहद अनुभवी महिला रोग विशेषज्ञ हैं।
बच्चों और उन के पेरेन्ट्स ने शिशु रोग विशेषज्ञ डा उर्मी सरकार को खूब व्यस्त रखा 
 डा सुमित और डा महिमा घोष ने फिजिशियन मोर्चा संभाले रखा ..
कैंप में फिज़िशियन वाला कोना डा अमरेन्द्र की देख रेख में उन के सहयोगियों डा सुमीत सहगल और महिला डा. महिमा घोष की निरंतर मेहनत की वजह से खूब व्यस्त रहा। ईसीजी तक की सुविधा भी कैंप के दौरान उपलब्ध थी.. ईसीजी को फिजिशियन तुरंत देख कर उचित सलाह दे रहे थे। वजन करने की मशीनें भी थीं।
इस अनुभवी टीम ने डिजीटल ईसीजी पर अपनी सेवाएं दीं...
मैंने एक अधिकारी की कैंप वाले पर्चे पर एक अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट देखी तो पता चला कि जिन लोगों को इस तरह के टेस्ट की ज़रूरत थी, उन का इस तरह का टैस्ट भी आज ही अस्पताल में करवा दिया गया....निःसंदेह एक बहुत अच्छी पहल, वरना होता ऐसा है कुछ बार कि टेस्ट वाले दिन तो मरीज भी जोश में होते है, एक दूसरे से प्ररेणा लेते हुए सब कुछ एक साथ हो जाता है, वरना कुछ दिनों बाद फिर वही समय नहीं है, फिर देख लेंगे, अभी कोई तकलीफ़ नहीं है, इस तरह के बहाने हम अपने आप ही से करने लगते हैं, है कि नहीं?

सर्जन भी इस कैंप का हिस्सा थे... जो सर्जीकल परामर्श दे रहे थे..



एक बात जो बहुत प्रशंसनीय लगी वह यह थी कि सारे कैंप के दौरान एक ऑडियोविजुएल के द्वारा जीवनशैली से संबंधित कुछ न कुछ अच्छी बातें लोगों को बताई जाती रही...और वे बड़े प्रभावशाली विजुएल्स लग रहे थे..यह एक कंपनी के सहयोग से किया गया था। आने वाले सभी अधिकारियों एवं परिवारीजनों ने इन ऑडियोविजुएल्स को देखने में बड़ी रुचि ली।

नॉन मैडीकल लोगों की बात तो कर ली, डाक्टरों ने कुछ कुछ जांच करवाने में अपनी रूचि दिखाई...मेरे जैसे लोगों पर तो वह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है कि पर-उपदेश कुशल बहुतेरे....लोगों को नियमित जांच के लिए हमेशा प्रेरित किया करता हूं ...लेकिन अपनी जांच टालता रहता हूं...आप हैरान होंगे कि मैंने अपनी पिछली जांच २००७ में करवाई थीं. ...बस ऐसे ही टालमटोल करता रहा ...लेिकन आज इतना बढ़िया आयोजन देख कर मुझे लगा कि बहती गंगा में मैं भी हाथ धो ही लूं....मैंने भी इतने वर्षों बाद अपनी जांच करवाई...यह बहुत ज़रूरी तो है ही ..

मैंने यह पोस्ट क्यूं लिखी है और मैं इस के अनुभव मैं आप से इसलिए बांटना चाहता हूं कि शायद कुछ लोग इसे पढ़ कर अपने नियमित चेक-अप के लिए प्रेरित हो जाएं... और दूसरा यह कि इस तरह के बेहतरीन आयोजन - बिल्कुल एक परफेक्ट हेल्थ कैंप नियमित होते रहने चाहिए....हर महीने इस तरह के कैंप कहीं न कहीं, किसी कार्यस्थल पर या किसी रेलवे स्टेशन या किसी रेल कारखाने, यार्ड, हेल्थ यूनिट में होते रहने चाहिए... मेरा यही सुझाव है .. और मैं तो इस तरह के प्रोग्रामों के िलए सदैव तत्पर हूं..

ऊब गये होंगे आप इतनी लंबी रिपोर्ट पढ़ के ... कोई बात नहीं, इस की भरपाई मैं ज्वार भाटा फिल्म का एक सुपर-डुपर हिट अपना पसंदीदा गीत सुना कर किए देता हूं... मेरे लिए यह एक भजन के समान है...मैं इसे कितनी भी बार सुन लूं ..बिल्कुल भी नहीं ऊबता... आप भी सुनिए... वैसे सेहतमंद रहने के बहुत से फंडे तो इस गीत में भी हैं...मैं तो इसे सुनते ही मस्त हो जाता हूं..









पतंजलि के खाद्य पदार्थ -- कुछ विचार

कल मैं एक बैंक से बाहर निकल रहा था तो सामने पतंजलि के खाद्य पदार्थों की शॉप दिख गई...मुझे आंवला पावडर लेना था, मैं इसे कईं वर्षों से कभी कभी खा लेता हूं...कुछ साल पहले तो रोज़ ही खाता था।

आंवला पावडर नहीं मिला.. ऐसा पहली बार नहीं हुआ ..और इस के बारे में मेरी एक आब्ज़र्वेशन है कि जो सस्ती चीज़ें हैं पतंजलि की वे अकसर नहीं मिलती...मैं मार्केटिंग का बंदा नहीं हूं जो इसके कारण बता पाऊं...

मैं जैसे ही बाहर आने लगा तो मेरी नज़र उस स्टोर के काउंटर पर पड़े एक डिब्बे पर पड़ी...मैंने सोचा पता नहीं अब पतंजलि ने कौन सी नईं मिठाई लांच की है ...पतंजलि की सोन पापड़ी के बारे में तो मैंने आप से कुछ बातें पहले भी शेयर करी थीं...यह रहा वह लिंक


लेकिन जैसे ही ध्यान से उस डिब्बे की तरफ़ देखा तो पता चला कि यह तो पतंजलि ब्रांड गुड़ है। आश्चर्य हुआ...पहली बार मिठाई की डिब्बेनुमा पैकिंग में गुड़ देखा था... वरना तो गुड़ कैसे कैसे बिकता है आप से शेयर किया था इस पोस्ट में ...गुड़ नालों इश्क मिट्ठा। 



मैं नहीं जो भी दो तीन लोग दुकान में उस दौरान आए..वे गुड़ को इतनी उमदा पैकिंग में देख कर खुश तो हुए...लेकिन जब उस की पिछली तरफ़ रेट देखा तो वह खुशी थोड़ी थोड़ी काफूर हो गई..७० रूपये किलो में बिकता है यह गुड़। वैसे मार्कीट में गुड़ ४० रूपये किलो बिकता है .. लेकिन इस पर लिखा है कि यह रासायन मुक्त है और इस में तिल और मूंगफली भी है ...इतने सारे गुण एक साथ पढ़े तो एक डिब्बा खऱीद लिया....तिल और मूंगफली का स्वाद अभी तो खास आया नहीं, जब आयेगा तो आपसे शेयर करूंगा...चलिए, इतना तो है कि कैमीकल रहित है ...अब यह इतना कह रहे हैं तो होगा ही, वैसे मेरी पिछली पोस्ट पर एक महिला ने टिप्पणी करी थी, आप को अभी पढ़वाता हूं..

लगता तो मुझे भी अजीब सा ही है कि पतंजलि के बहुत से उत्पाद तैयार किसी और कंपनी द्वारा किये जाते हैं ...बस उन पर पतंजलि की मोहर इसलिए लग जाती है कि क्योंकि पतंजलि इन की मार्केटिंग करती है ...अब एक औसत हिंदोस्तानी इतने पचड़े में पड़ता नहीं कि पहले लेबल देखे, फिर उसे समझे...और वह भी इंगलिश में लिखा सब कुछ. वैसे यह गुड़ भी मुजफ्फरनगर की किसी कंपनी द्वारा तैयार किया गया है, मार्केटिंग पतंजलि की है।




दूसरा मुद्दा यह है कि इन उत्पादों की कीमत बहुत ज़्यादा है .. ४० रूपये की चीज़ ७० में बिक रही है, ज़्यादा तो है ही ...सब लोग इस तरह की चीज़ों को अफोर्ड नहीं कर पाते, और बहुत से जो अफोर्ड कर भी पाते हैं वे लेंगे नहीं..दाम की वजह से।

मैं पैसे देने लगा तो पास ही पड़े बड़े आकर्षक साबुनों की तरफ़ चला गया... वे भी खरीद लिए..उन के नाम ही इतने लुभावने थे कि मुझे ऐसा लगा जैसे किसी पर्फ्यूम को खरीद रहा होऊं...साबुन देख कर बीवी की यह टिप्पणी है कि यह कैसे मेक इन इंडिया है ...यह कैसा देशी ..एक साबुन ४५ रूपये में।

मैंने पैसे दिये...इतने में वह किसी दूसरे ग्राहक के साथ व्यस्त हो गया.. वह बर्तन साफ़ करने वाली बार लेने आया था... बड़ी जल्दी में था, उस से निपट कर दुकानदार बताने लगा कि यह बहुत बढ़िया बार आया है ...राख और नींबू से तैयार किया हुआ...इसे भी ज़रूर ट्राई करिएगा...और एक बार उसने रख दिया कि वैसे भी उस के पास छुट्टा नहीं है ..लेकिन अभी भी कुछ पैसे बचे थे, उसने झट से एक बिस्कुट का पैकेट मेरी तरफ़ बढ़ा दिया कि यह भी बहुत अच्छा है......मैंने सोचा कि इस बारे में तो हम लोग जो हेमा मालिनी कहेंगी, वही मानेंगे ....और वे कह रही हैं कि ये अच्छे हैं तो अच्छे होंगे ही।

दुकान से बाहर निकलते मैं सोच रहा था कि यह है असली मार्केटिंग पतंजलि की .. मैं २० रूपये का कुछ सामान लेने गया जिस की मुझे ज़रूरत थी, वह तो नहीं मिला ..लेकिन चार चीज़ें जिन की ज़रूरत भी नहीं थी अभी वे सब २०० रूपये में खरीद लाया...फिर ध्यान आया कि पहले श्री लालू यादव रेल के अचानक हुए "कायाकल्प" का राज़ भारत और विदेशों में जाकर प्रबंधन संस्थानों में शेयर किया करते थे ...अब बारी पतंजलि इंड्स्ट्रीज़ के मालिकों की है ... वे जाकर दुनिया को सिखाएं कि मार्केटिंग कैसे की जाती है....वह उदाहरण तो पुरानी हो गई ...गंजे को कंघी बेचने वाला ही सब से बड़ा सेल्समेन है...अब नये युग में ऩईं नईं बातें सीखनी होंगी।

पतंजलि के स्टोर में जाते ही कुछ न कुछ हमेशा ऐसा दिख ही जाता है जो पहले वहां नहीं दिखा होता...इस के लिए भी ये लोग बधाई के पात्र हैं..बासमती चावल, तरह तरह की दालें...कल एक पूछने आया था अरहर की दाल के बारे में...लेकिन यह वहां उपलब्ध नहीं थी।

अब पतंजलि की बातों को विराम देते हैं..थोडी इधर उधर की हो जाएं...माल्या की क्या बात करें, उनके ट्विटर पर जब लिख ही दिया है कि मैं न तो भागा हूं, न ही भगौड़ा हूं, तो बात को यही खत्म करिए...आ जायेंगे जब उन्हें आना होगा... ८०००करोड़ भी कोई रकम है! वैसे भी हमारी यादाश्त में यह सब कुछ दिनों के लिए ही तो रहता है .. जैसे ही कुछ और इस से सनसनीखेज़ मीडिया परोस देगा, माल्या साहब से ध्यान हट जायेगा...वैसे भी वह कह ही रहे हैं कि वे कहीं भागे थोड़े ही न हैं!..




इस बंधु के समोसे की टोकरी 
सब्र रखो यार...सब्र ....जैसे स्वाभिमान इंडिया के जो असली ब्रांड अम्बैसेडर हैं वे रखे रहते हैं....मैं इन्हें देख कर इन के सब्र, संतोष, तृप्ति के बारे में सोच कर दंग रह जाता हूं ...मुझे नहीं पता कि ये लोग अरहर की दाल कभी खरीद पाते होंगे िक नहीं लेकिन इन के चेहरे पर एक अलग ही तरह की खुशी देखता हूं ...स्वाभिमान इंडिया की इन विभूतियों को भी कभी कभी याद कर लिया करें..
िं
ये भी मेक इन इंडिया वाले ही हैं..
मेरे लिए यह भी स्वदेशी भारत का एक बड़ा एम्बेसेडर ही है..तीन रूपये में बेहतरीन गर्मागर्म चाय  की प्याली बेचते हैं ये घूम घूम कर

अब यहीं विराम लेते हैं...एक गाना लगा देते हैं..सुबह सुबह तो रेडियो वाले भी लगा देते हैं...लेकिन इस समय मेरे मन में इस गीत का ध्यान आ रहा है ..बाबा रामदेव की भ्रष्टाचार मिटाने, काले धन वापसी, पारदर्शिता लाने, स्वदेशी बढ़ाने आदि के लिए चलाये गये अभियानों का हम तहेदिल से स्वागत और सम्मान करते हैं...

टीवी में सरकारी विज्ञापन बार बार मुझे याद दिला रहे हैं कि दिल्ली बदल रही है ...दिल्ली बदल रही है ...मैं तो कहता हूं ....बदल रहा है इंडिया...धीरे धीरे ही सही ... पब्लिक सब जानती है ....









शुक्रवार, 11 मार्च 2016

जंक फूड भी किडनी की बीमारी के लिए है जिम्मेदार...

पब्लिक अगर किसी से इस तरह की बात सुनती है तो सोचती है कि लोग तो ऐसे ही जंक-फूड के पीछे हाथ धो कर पड़े हुए हैं...लेकिन अगर किसी विशेषज्ञ से वही बात सुनते हैं तो शायद मन को छू जाती है।

कल विश्व किडनी दिवस था..जगह जगह पर कार्यक्रम हुए...लखनऊ में एक पैदल यात्रा निकाली गई जिस में इन रोगों के बारे में जागरूक किया गया। सच में जागरुकता ही एक ऐसे हथियार है जिस से आप बहुत हद तक बच सकते हैं.,

वही सब की सब पुरानी बातें हैं ...केवल दोहरानी होती हैं ताकि मन में बैठ जाएं...फिल्मी गीत बार बार सुनते हैं कि नहीं, सुबह से शाम तक..रात तक...उनसे बोर नहीं होते तो इन बातों को सुनने से न बोर होने की भी आदत डाल लीजिए।

इस बार विश्व किडनी दिवस का थीम था ..बच्चों में इस बीमारी को कैसे रोका जाए...एक बात पर बार बार ज़ोर दिया गया कि अगर बच्चा तीन साल की उम्र के बाद भी बिस्तर गीला करता है तो इसे गंभीरता से लें..आम तौर पर बच्चे तीन साल की उम्र तक अपने ब्लैडर को कंट्रोल करना सीख लेते हैं... इस के बाद भी अगर यह न हो पाए तो पेशाब की जांच, रक्त की जांच होनी चाहिए.. कहीं पेशाब करते समय दर्द तो नहीं होता, बार बार बुखार, पेट में दर्द, सिर दर्द की शिकायत .... बच्चे को चिकित्सक के पास अवश्य ले कर जाइए....  a stitch in time saves nine!

जंक-फूड के सभी डाक्टर बहुत खिलाफ हैं..इन की किसी मैक्डोनॉल्ड, पिज्जा हट वाले से, किसी अन्य फास्ट-फूड चेन से या गली के नुक्कड़ पर खड़े हो कर मोमोज़ या नूडल्स बेच रहे बंदे से कोई दुश्मनी नहीं है ...ये लोग आप के फायदे के लिए ही कहते हैं...फिर भी फैसला तो आपने ही करना होता है ...

हम लोग पता नहीं अभी भी नहीं इन की बात मानेंगे तो कब मानेंगे ...छोटे छोटे बच्चों और युवाओं को उच्च रक्त चाप, किडनी स्टोन, डॉयबीटीज़ जैसी बीमारियां होने लगी हैं ... इन सब के लिए जीवनशैली तो जिम्मेदार है ही ...जंक फूड भी बड़ा विलेन है....

फास्ट-फूड में नमक की मात्रा बहुत ज़्यादा होने के कारण हमारे शरीर में कैल्शीयम की मैटोबोलिज़्म कुछ इस तरह से बिगड़ने लगती है कि पत्थरी होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है...

सोचने वाली बात है कि क्या हम लोग पहले से फास्ट-फूड, जंक-फूड के बारे में नहीं जानते ?...लेकिन फिर भी हम सोचते हैं कि यह सब हमारे लिए नहीं कह रहे... किसी और के लिए ये बातें कही जा रही हैं, अकसर हम ऐसा ही सोचते हैं।

बेहतर होगा अगर हम लोग जंक-फूड, फास्ट-फूड को त्याग दें...शायद ऐसा करना मुश्किल होता है, चाईनीज़ वाईनीज़ न भी खाते हों तो रोज़ कचौड़ी, खस्ता, समोसे खाने की इच्छा किसे नहीं होती, मुझे भी बहुत होती है ... लेिकन हर किसी के अपने अपने कारण हैं, मैं इसलिए नहीं खाता कि मेरा इन सब को खाते ही सिर दुखने लगता है, एसिडिटी बहुत बढ़ जाती है, और बहुत बार तो पेट खराब हो जाता है, इसलिए मैं शायद कुछ महीनों के बाद ही यह सब खाता हूं....आप भी कुछ कारण ढूंढिए यह सब कचरापट्टी को छोड़ने का ...मैं बहुत से लोगों को भी इस के प्रेरित करता रहता हूं... Again i am saying, Choice is yours! हमारा काम बस थोड़ा सा ढिंढोरा पीटना है।

पंजाबी में हम कईं बार मज़ाक में कह देते हैं ..कि फलां फलां बंदा तो रब दी जंज ते आया हुआ है... रब की जंज का मतलब की भगवान की शादी में बाराती बन कर आया हुआ हो कोई जैसे ... किसी भी बाज़ार से गुज़र जाएं जिस तरह से जंक-फूड के स्टाल चल रहे होते हैं और लोग यह सब खा पी रहे होते हैं तो एक बार तो लगता है कि ये लोग रब दी जंज पर आए हुए हो जैसे।

जंक-फूड खाने, ज़्यादा नमक खाने से कोई कुछ दिनों में बीमार नहीं होता, इन सब का क्यूमूलेटिव प्रभाव है, धीरे धीरे हमारी जीवनशैली बदल देते हैं ये सब... हमें यही खाना भाता है, फिर सोफे पर पसर कर हस समय बिना सिर पैर वाले सोप देखना, घर से बाहर निकलना नहीं... हो सके, तो बच लीजिए।

कुछ तस्वीरें लगाने की इच्छा हो रही है क्योंकि विशेषज्ञ बंधु किड़नी रोग के बारे में बहुत ही काम की बातें कह रहे हैं...

अच्छा, कुछ तो असर होता ही है . मैंने कल कहीं पढ़ा कि सुबह की शुरूआत एक गिलास पानी से करनी चाहिए...मैंने कल से सुबह उठ कर दो िगलास पानी पीना शुरू कर दिया है ... पहले मैं बिल्कुल नहीं पीता था, सब लोग कह कह कर हार गये थे...जब जो बात शुरू कर दें, उसे ही सवेरा जान लीजिए.... THERE IS NEVER A WRONG TIME TO DO THE RIGHT THING!






    डा आर के शर्मा देश के एक विख्यात किडनी रोग विशेषज्ञ हैं..










 इन्हें भी सुन लिया जाए..बाबा जी भी कुछ अच्छी नसीहत दे रहे हैं कि अब तो उठ जाओ... भोर हो गई ...

गुरुवार, 10 मार्च 2016

दांतों की झनझनाहट कोई इंटरनेशनल मसला लगने लगा है...

अभी दो तीन दिन पहले ही की बात है कि एक पेपर के पहले पन्ने पर बहुत बड़ा विज्ञापन था कि अब दांतों की झनझनाहट की वजह से आप में से जो लोग शर्म महसूस करने की वजह से किसी शादी-ब्याह पार्टी में नहीं जा सकते, अब आप की समस्या यह पेस्ट दूर कर देगी।

मुझे अपने उस्तादों का ध्यान आया कि उन्होंने यह बात तो हमें बताई नहीं, न ही किताबों में यह लिखा है ..

जिस तरह से आज कल महंगी महंगी पेस्टों के विज्ञापन दांतों में ठंडा गर्म का इलाज करने के लिए मीडिया में दिखने लगेंगे ..बड़ा अजीब सा लगता है। और इस तरह के बढ़िया बढ़िया विज्ञापन आते हैं कि लोग जा कर ये सब खरीद ही लेते हैं।

पहले जब हम लोग पूछा करते थे कि कौन सा पेस्ट इस्तेमाल करते हो तो लगभग एक पापलुर ब्रांड का नाम सुनने को मिलता था.. लेकिन अब तो लोग दवाई वाली पेस्टों के नाम बताने लगे हैं कि हम तो वे इस्तेमाल करते हैं, लेकिन फिर भी ठंडा गर्म में कुछ फायदा हुआ नहीं।

कितना बड़ी कहानी लिखूंगा ..चंद लफ्ज़ों में पूरी सच्चाई लिख कर छुट्टी करूं?...ध्यान से सुनिए...

ऐसी कोई भी पेस्ट मंजन न तो अभी तक बना है और शायद न ही कभी बन पायेगा जो कि पायरिया जैसे रोग को ठीक कर सके, यह असंभव है... कुछ समय के लिए कुछ पेस्टें-मंजन लक्षण शायद दबा दें, लेिकन उस से नुकसान तो आप का ही हुआ...अगर दांतों में पायरिया है, खून आता है..चाहे ब्रुश या दातुन करते वक्त ही, दांतों में ठंडा-गर्म-मीठा-खट्टा लगता है तो उस के लिए आप को किसी प्रशिक्षित दंत चिकित्सक के पास जाकर उचित इलाज करवाना होगा, सभी तरह की तंबाकू पान मसाला गुटखा आदि चीज़ों को छोड़ना होगा और दंत चिकित्सक से दांतों को साफ करने का ढंग सीखना होगा....और एक बात, रोज़ाना अपनी जुबान साफ़ करने का भी बहुत महत्व है...

ऐसा कैसे हो सकता है कि ये जो ठंडा गर्म वाली पेस्टें लोग इस्तेमाल करने लगें ... और सब कुछ ठीक हो जाए...यह असंभव है। एक बात है ..कभी कभी ठंडा तो हम सब को लगता ही है, किसी जगह पर आइसक्रीम खाते हुए हमारे सभी दांत चंद लम्हों के लिए झनझना जाते हैं...अगर यह झनझनाहट कुछ मिनटों तक रहती है, या किसी एक दो दांतों में ज़्यादा होती है या दिन में बार बार होती है तो भी आप को दंत चिकित्सक से संपर्क करना ही चाहिए...

दांतों में ठंडा-गर्म लगने के बीसियों कारण हैं, यह तो विशेषज्ञ ही बता सकता है कि आप को किस वजह से यह तकलीफ़ हो रही है। अपने आप ही तरह तरह के पेस्ट मंजन उठा कर ले आना और उसे घिसना चालू कर देना यह कोई समाधान नहीं है। हमें यही बताया गया है कि दांतों में ठंडे गर्म लगने वाली पेस्ट अगर दंत चिकित्सक ही इस्तेमाल करने की सलाह देगा, तभी आप उसे इस्तेमाल करिए....सेहतमंद दांतों के लिए इन पेस्टों का कोई काम नहीं है और पायरिया या अन्य बीमारी से ग्रस्त दांतों और मसूड़ों को जब तक आप दंत चिकित्सक से ठीक नहीं करवा लेंगे, आप की तकलीफ़ जस की तस बनी रहेगी..

मैंने तरह तरह के खुरदरे ..चालू किस्म के या बड़ी बड़ी कंपनियों की ठंडा गर्म लगने से निजात दिलाने वाली पेस्टों के इस्तेमाल के बावजूद हज़ारों मरीज़ परेशान होते देखे हैं..केवल अपने इन्हीं अनुभवों को लेकर एक १००-१५० पन्नों की किताब लिख सकता हूं .. इसीलिए प्रोफैशन में इतना साल बिताने के बाद मुझे अब इस बात का पूर्ण विश्वास है कि किसी मरीज़ को उस के दांत की सफाई करने का सलीका, जुबान साफ़ करने की प्रेरणा और तंबाकू-गटुखा-पान से दूर रख पाना ही दंत चिकित्सक की सब से बड़ी ड्यूटी है ..जब मैं किसी से पूछता कि आप ब्रुश कैसे करते हैं तो ९९प्रतिशत लोग ठीक से नहीं कर पाते, ठीक से नहीं कर पाते एक बात  है, लेिकन वे इस तरह से ब्रुश का इस्तेमाल करते हैं कि दांत बुरी तरह से कट जाते हैं....

बस थोड़ी खाली समय था, बैठ गया लिखने ..कोई खास बात तो है नहीं, लेिकन दांतों की झनझनाहट से इतना भयभीत मत होइए, किसी प्रशिक्षित दंत चिकित्सक को दिखा कर आइए....कईं बार, कईं बार क्या बहुत बार तो कुछ करने की ज़रूरत ही नहीं होती, हम लोग चालू किस्म के खुरदरे मंजन के बारे मे मरीज़ को समझा देते हैं और ब्रुश करने का तरीका समझा देते हैं और पंद्रह बीस दिनों में सब कुछ दुरुस्त हो जाता है .....it is as simple as that!

कल यहां गूगल की मीटिंग में भी मेरे कुछ मित्र मुझे कह रहे थे कि हम आप के ब्लॉग पर आते हैं तो बढ़िया बढ़िया ६०-७०-८० के दशक फिल्मी गीत सुनने को भी मिल जाते हैं.. दरअसल उस दौर के सभी गीत होते भी एकदम जबरदस्त थे ... एक एक गीत शायर के दिल की गहराईयों से निकला हुआ...




क्या आपके गुर्दे स्वस्थ हैं?

आज विश्व किडनी दिवस है...हिन्दुस्तान अखबार में एक बड़ा सा इश्तिहार सा आया है इसमें..लेिकन यह इश्तिहार कहें या फीचर या लेख, इस में किसी का कोई वेस्टेड इंट्रस्ट नहीं है...पीजीआई लखनऊ के नामगिरामी किडनी रोग विशेषज्ञ ने भी इस के बारे में चंद बहुत महत्वपूर्ण बातें शेयर की हैं... इस तरह के विशेषज्ञों की एक एक बात को दिल में बसा लेना चाहिए....इसी में ही भलाई है।

जब मैंने सुबह अखबार खोली तो मैंने सोचा िक इस सारे इश्तिहार को अपने ब्लॉग में पेस्ट कर दूंगा...लेकिन ब्लॉगिंग प्लेटफार्म की भी अपनी सीमाएं हैं...लगा तो दी है मैंने यह तस्वीर लेकिन इस से शायद कुछ भी पढ़ा न जाए... सोच रहा हूं कि इस तरह की तस्वीरों की पीडीएफ तैयार कर के ब्लॉग पर शेयर कर दिया करूं...शायद बहुत वर्ष पहले ऐसे किया भी करता था, फिर शायद कभी ज़रूरत नहीं पड़ी।



अगर हो सके, तो आज की हिन्दुस्तान अखबार ले कर आइए...वैसे तो शायद यह जानकारी अन्य अखबारों में भी होगी.. इस तरह की जानकारी सहेजने लायक होती है ...रिमांइडर का काम करती है ...मुझे भी देखिए याद आ गया कि मैंने भी ये जांच करवानी है।

आज मैंने भी सुबह उठ कर दो गिलास पानी पिया

गुर्दे स्वस्थ रहें, वैसे इस के बारे में हम जानते बहुत कुछ हैं, समस्या वही है कि मानते नहीं....याद आ रहा कि आज के दिन आठ साल पहले व्लर्ड किडनी फाउंडेशन ने एक ट्रेनिंग प्रोग्राम रखा था मद्रास में ...मुझे भी अपने इस ब्लॉग के कारण ही वहां जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था...तब मैंने वहां से आकर कुछ कुछ बातें शेयर भी की थीं, सोच रहा हूं िक आज उन बातों को ही दोहरा के काम चला लिया जाए...



उपयोगी लिंक्स को यहां लगा रहा हूं... फुर्सत में पढ़ने लायक है ..






मैंने ऊपर लिखा है न कि ये सब बातें हमारी लिए नईं थोड़े ही न हैं, वर्षों से सुनते आ रहे हैं...लेकिन वही बात है दिल जानता तो है पता नहीं कमबख्त मानता ही क्यों नहीं ...