गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

क्या सच में तंबाकू खाने से कैंसर नहीं होता?

पिछले आठ दस दिनों में मेरे पास दो ऐसे लोग आए जिन्हें तंबाकू वाकू चबाने की लत थी...ऐसे तो बहुत से लोग आते हैं...अब मुंह में ही झांकने का काम है तो यह सब तो सब से पहले दिखता ही है...लेकिन इन दोनों की बिल्कुल छोटी छोटी बच्चियां थीं... लगभग चार साल के करीब।

एक तो आया था अपने बीवी के इलाज के लिए और दूसरा आया था अपनी बेटी के इलाज के लिए... पता नहीं कैसे उन बच्चियों से बात छिड़ी कि वे अचानक कहने लगीं......अंकल, पापा तंबाकू बहुत खाते हैं, छोड़ते नहीं। और दोस्तो, जितनी उस बच्ची की आवाज़ में मजबूरी छुपी थी, वह मेरे लिए ब्यां करना आसान नहीं है।

और जो दूसरी बच्ची दो तीन पहले आई ..उसने तो इतना भी कहा कि हम जैसे ही देखते हैं, हम छीन कर फैंक देते हैं... तो मैंने उस बच्ची को कहा..तुम, बहुत अच्छा करती हो ...ऐसे ही किया करो। तो झट से उस की मां बोली...और इस से बाद यह बहुत झगड़ा करते हैं।

मैंने इन दोनों पुरूषों को अच्छे से समझाया...एक के तो जेब में तंबाकू का पाउच था. मैंने कहा कि देखते हो कि यह कैसी तस्वीर है ...फिर भी कैसे हिम्मत कर लेते हो......खैर वह तो उसे तुरंत मेरे डस्टबिन में फैंक कर गया....और दूसरे दिन जो दूसरा आदमी आया था, उसने भी उसी दिन तौबा कर ली थी...जब मैंने उस के मुंह के अंदर के हिस्से को आइना के सामने खड़े हो कर उसे दिखाया।

समय तो लगता है ...किसी को तंबाकू छुड़वाने के लिए प्रेरित करना है ना तो लगभग १०-१५ मिनट लग जाते हैं मुझे ...मैं इस काम को िबल्कुल एक मिशन की तरह लेता हूं....मुझे यही होता है कि दांत की फिलिंग एक हफ्ता बाद भी हो जाएगी तो पहाड़ नहीं टूट पड़ेगा.....दांतों की पालिश नहीं भी होगी तो कोई बात नहीं.....आज तो मौका है, अगर यह वापिस न आया तो यह भी गया...मुंह के कैंसर से बच भी गया तो अनेकों तरह की अन्य शारीरिक एवं मानसिक तकलीफ़ों में फंसा रहेगा.....इस से तंबाकू छुड़वाना मेरी प्रायर्टी है.....वैसे यह मेरी ड्यूटी के किसी लक्ष्य में नहीं है कि मैंने हर तंबाकू-गुटखा इस्तेमाल करने से इतना समय बिता कर उसे इस लत को लात मारने पर मजबूर करना ही है...लेकिन मैं इसे अपनी ड्यूटी का सब से अहम् हिस्सा मानता हूं..और जितना हो सकता है यह काम पूरे दिल से करता हूं और हमेशा यह सुनिश्चित करता हूं कि मैं ऐसे व्यक्ति से बात अकेले में करूं।

बहुत लंबा अरसा हो गये यह तंबाकू छुड़वाने का काम करते हुए.....इतने ही साल हो गये मुंह के कैंसर के मरीज़ों को तिल तिल मरते देखते हुए...इलाज के लिए परेशान हो जाते हैं...इतना लंबा खिंचने वाला जिस पर इतना खर्च आ जाता है...


अब बात करते हैं परसों दिखी एक फेसबुक पोस्ट की...पाबला जी की पोस्ट थी....मुझे तो इस का हैडिंग पढ़ कर ही इतनी परेशानी हुई... लिखा था कि तंबाकू खाने से कैंसर नहीं होता। पाबला जी बड़े वरिष्ठ हिंदी के लेखक हैं...उन्होंने एक तरह से इस व्यक्तव्य पर कटाक्ष ही किया था...

तंबाकू खाने से कैंसर होने के सारे सर्वे और शोध विदेशों में किये गये थे! इसलिए हटा ही देनी चाहिए तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर छपने वाली चेतावनी!
आज तक यह साबित नहीं हो पाया है कि चेतावनी देख कर किसी ने तम्बाखू खाना पीना बंद कर दिया.
फिर ये खाना पीना तो सारे भारत की संस्कृति में भी है   (एक फेसबुक पोस्ट से) 

मुझे उत्सुकता हुई तो मैं उस लिंक को खोला......तो सारा माजरा समझ में आया... एक वेबसाइट ने एक संसद सदस्य का ब्यान छापा था कि तंबाकू खाने से कैंसर नहीं होता. तंबाकू खाने से कैंसर नहीं होता, सारे सर्वे और शोध विदेशी हैं.

उसी समय लगा कि दाल में कुछ काला तो है ही ... अब यह चेतावनियां हटेंगी या कहीं न कहीं से इन पर स्टे ले लिया जायेगा और फिर पता नहीं ...लेिकन एक बात से मैं बिल्कुल सहमत हूं कि मुझे नहीं लगता कि इन चेतावनियों को देख कर कोई डरता होगा......मुझे तो आज तक कोई नहीं मिला जिसने कहा हो कि तंबाकू-गुटखे के पाउच पर छपी चेतावनी से वह इतना डर गया कि उसने पाउच को वहीं के वहीं फैंक दिया और मुंह में रखा तंबाकू थूक दिया। लेकिन इस का यह मतलब भी नहीं कि शासन उन पर वैधानिक चेतावनी छापने की बाध्यता ही समाप्त कर देगा।

लेकिन कल जब टाइम्स आफ इंडिया देखी तो लगा कि धीरे धीरे Cigarettes and Other Tobacco Products Act 2008 की धार को कुंद करने की कोशिश जारी हैं...संसदीय कमेटी इस मामले में काम कर रही है ..तब तक सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सिगरेट तंबाकू के पैकेटों पर वैधानिक चेतावनी का साइज फिलहाल नहीं बढ़ाया जाएगा... Govt defers increase in warning signs on cigarette packs.

लेकिन सारे विश्व में प्रसिद्ध है कि भारतीय मीडिया अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाना जानता है ...और इस का प्रमाण आज की टाइम्स आफ इंडिया खोलते ही सामने दिख गया....
Sunita Tomar, face of anti-tobacco drive, loses fight with cancer. 

सुनीता तोमर की मौत की खबर थी... पहले पन्ने पर.....सुनीता तोमर के नाम से वाकिफ नहीं हैं? ..कोई बात नहीं, टीवी पर दिखाये जाने वाले एक विज्ञापन में एक कम आयु की महिला मुंह के कैंसर से ग्रस्त ..जो तंबाकू की लत का शिकार थी ...वह कल अपने चल बसी..अगर अभी भी याद नहीं आया तो यह वीडियो देखें, याद आ जायेगा...



जैसे सुनामी के आसार पहले से नज़र आ जाते हैं.. मुझे लगता है कि आने वाले समय में तंबाकू विरोधी लॉबी कमज़ोर पड़ जाएगी.....लेिकन अब लोगों को स्वयं भी जागना पड़ेगा......अपनी मनपसंद पार्टी, अपने मनपसंद नेता चुनने का माद्दा रखते हैं तो फिर आखिर तंबाकू को हमेशा के लिए छोड़ने का निर्णय क्यों नहीं ले पाते!....बात सोचने वाली है।

गुमराह करने वाले लोग तो हर जगह हैं.....सेहत के लिए अच्छी खराब चीज़ें हर तरफ़ बिखरी पड़ी हैं.....चुनाव हमने करना है ..और वही बात को कांटें बिखरे पड़े हैं इस धरा पर.....अब सारी धरा पर तो चटाई नहीं बिछाई जा सकती .. क्योंकि न स्वयं ही अच्छे से जूते पहन कर कांटों से बच लिया जाए।

वैसे मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि चेतावनी हटने से लोग और भी बिंदास हो कर इसे खाने-चबाने लगेंगे, लेकिन अगर कुछ भी लोग .. विशेषकर युवा पीढ़ी के इन चेतावनियों को देख कर इन से दूरी बनाए रखते हैं तो चेतावनियां छपना अच्छी बात ही है।

मैंने जो भी ऊपर कहा है उस के प्रमाण के रूप में मेरे तीन ब्लॉग्स पर सैंकड़े लोगों की आप बीतीयां दर्ज हैं (हरेक की पहचान गुप्त है...आज मुझे भी नहीं पता कि कौन सा मरीज क्या शेयर कर गया था जिसे मैंने अपने ब्लॉग में सहेज लिया था ताकि दूसरे पढ़ने वाले प्रेरणा ले सकें) ...किस तरह से तंबाकू, गुटखे, पानमसाले ने उनकी ज़िंदगी में ऊधम मचा दिया... इसी मीडिया डाक्टर ब्लॉग में, सेहतनामा ब्लॉग में और शायद आप को ताजुब्ब होगा कि मैं इंगलिश भी लिख लेता हूं... यह ब्लॉग है ..Healthy Scribbles... लेकिन अपनी च्वाईस के कारण ही हिंदी में ही लिखना पसंद करता हूं...तंबाकू की विनाश-लीला के ऊपर किताब छपाने के लिए कईं लोग कह रहे हैं ..वे कहते हैं किताब का मोल २५०-३०० रखना होगा......मैं कह रहा हूं ५० रूपये से ज़्यादा नहीं होना चाहिए...हो सके तो फुटपाथ पर बिकने दीजिए..मुझे कुछ नहीं चाहिए, जिन लोगों को इस किताब की ज़रूरत है उन के हाथ में पहुंचे तो।

I stand by the authenticity of each post of these blogs!

इतनी लंबी खिंच गई यह पोस्ट ......आप को भी नींद आ रही होगी.......लेकिन चलते चलते मैंने व्हाट्सएप पर आई दो फोटो आपसे शेयर करने हैं.....बहुत अच्छी लगीं..




और जाते जाते सुनीता तोमर की याद में ......उस को श्रद्धांजलि के रूप में ..