शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

सकट पूजा भी संपन्न हुई...

तीन चार दिन पहले मेरे सहायक ने मुझे कहा कि वह आठ तारीख को छुट्टी लेगा.....क्योंकि उस दिन सकट व्रत है ..और उस का सारा सामान उसने स्वयं घर ही में तैयार करना होता है। बाज़ार में मिलावटी सामान बिकता है.. जल्दी जल्दी में उस ने बताया कि यह व्रत माताएं अपने बेटों की लंबी आयु के लिए रखती हैं। और जल्दी जल्दी में उसने तैयार की जाने वाली चीज़ों की लिस्ट भी बता दीं.....लईया के लड्‍डू, तिल के लड्‌डू, शकरकंदी, चने के लड्‍डू, राजदाना (सील)के लड्डू  आदि।

वैसे तो चार पांच दिन पहले हमें भी बाज़ारों में जब यह सब कुछ भारी मात्रा में बिकता दिखा तो यही लगा कि कोई व्रत-त्योहार ही पास होगा..

उसी दिन मैंने अपने सहायक से कहा कि यार, यह व्रत केवल लड़कों के लिए ही क्यों!  कहने लगा कि अब जो पुरातन समय से नियम चले आ रहे हैं वैसा ही चल रहा है, बेटों के लिए ही है केवल। मैं यही सोचता रहा कि सारे व्रत औरतें ही क्यों रखें....पति परमेश्वर के लिए करवा चौथ, बेटे के लिए सकट चौथ, भाई के लिए भैया-दूज ...और भी होंगे ज़रूर कुछ व्रत जो मेरे नॉलेज में नहीं होंगे।

लेिकन मैंने जा कल और आज इस सकट पूजा के बारे में अखबार में पढ़ा उस में मुझे कहीं नहीं लगा कि यह केवल बेटों के लिए ही रखा जाता है.. शायद समय करवट ले रहा है इसलिए खुल कर अखबार में नहीं लिखा गया है।
कल और आज की अखबार की कतरनें यहां चस्पा कर रहा हूं, आप भी देखिए...

हिन्दुस्तान ८ जनवरी २०१५ (पिक्चर पर क्लिक करिए) 

हिन्दुस्तान ९ जनवरी २०१५ (पिक्चर पर क्लिक करिए) 
आज सुबह मेरा सहायक मेरे लिए इस व्रत का प्रसाद ले कर आया जिसमें उसने सब कुछ अपने हाथ से बनाया था...बहुत बढ़िया....

सच में भारत त्योहारों-पर्वों का देश है......