मंगलवार, 4 मार्च 2008

तब मैं अपने हाथ खड़े कर ही देता हूं !


सोच रहा हूं कि एक डाक्टर होने के नाते मेरे लिए कुछ पल बेहद निराशात्मक होते हैं .....उन क्षणों के दौरान मैं अपने आप को बेहद फ्रस्टरेटड महसूस करता हूं। उन में से एक नज़ारा जो मुझे परेशान करता है , वह यह है कि जब मैं किसी को भी मुंह में गुटखा उंडेलते देखता हूं.........मुझे एक बार तो उसी समय लगता है कि इस के लिए मैं ही उत्तरदायी हूं और मैं एक बार फिर अपना संदेश इस बदकिस्मत इंसान तक पहुंचाने में नकामयाब रहा। और अपने आप पर यह खुन्नस तो और भी ज़्यादा होती है जब किसी युवा को , किसी बच्चे को इस का इस्तेमाल करते देखता हूं। मैं ब्यां नहीं कर पा रहा हूं कि यह सब देखना कितना फ्रस्टरेटिंग अनुभव है।

यार, यह भी कोई डाक्टरी है कि पहले इन को गुटखों, तंबाकू, शराब से आत्महत्या करते देखते रहो, फिर जब ये बदकिस्मत इंसान( वैसे इमानदारी से बतला दूं तो इतनी सहानुभूति भी मुझे इन से कम ही होती है क्योंकि मैं समझता हूं कि मान भी लिया पढ़ाई लिखाई नहीं आती, किसी बड़े –बुजुर्ग ने बताया ही नहीं , लेकिन वह जो सारा दिन एफएम वाला 100रूपये में खरीदा डिब्बा चिल्ला कर कहता रहता है उस की भी तो सुनो। वह सैक्स में संयम रखने की सलाह दे रहा हो, गुटखे, तंबाकू, शराब से बचे रहने की सलाह दे रहा है, बड़े से बड़े विशेषज्ञों को यह रेडियो आप की खाट पर आप के तकिये के किनारे खड़ा कर देता है.........तो फिर भी इन की बेशकीमती बातें अच्छी नहीं लगतीं क्या.................बस, वही गाना ही अच्छा लगता है..........थोड़ी सी जो पी ली है, चोरी तो नहीं की है.....इतना सब कुछ यह रेडियो बतला रहा है....................और 100 रूपये में क्या इस की जान ही निकाल लोगो क्या ?............................................हां, तो मैं बात कर रहा था....जब ये सब पदार्थ अच्छी तरह इस्तेमाल करने के बाद.....अपने फेफड़े खतरनाक हद तक सिंकवाने के बाद, लिवर को बुरी तरह से जला लेने पर, मुंह के कैंसर या मुंह की किसी अन्य गंभीर बीमारी हो जाने पर, या दिल को एक-आध छोटा-मोटा झटका लगने के बाद होश में आये तो क्या खाक होश में आये.....................सोच रहा हूं कि ज़्यादातर केसों में इन सब नशीली वस्तुओं के प्रभाव लंबे समय तक चलने वाले होते हैं या कईं बार तो स्थायी ही होते हैं.....................ऐसे में चिकित्सक के पास ऐसी कौन सी संजीवनी बूटी है जिसे पिलाने के बाद पिछला सब हिसाब छु-मंतर हो जायेगा।

नहीं, नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा, .....जब तक इस प्रकार की सभी लतों को पूरे ज़ोर से लात नहीं मारी जायेगी, कुछ नहीं होगा। अब सांस लेने में दिक्कत होगी, चलने पर सांस फूलेगा तो डाक्टर कोई टैबलेट थमा ही देगा....लेकिन यह कब तक चलेगा। दारू पी पी कर अगर लिवर ही जल गया तो क्या कर लेगा डाक्टर......................मुझे तो नहीं लगता कि कोई भी इलाज प्रभावी होगा अगर कोई बंदा यह अधिया मारना बंद नहीं करेगा...................तंबाकू से जनित मुंह के रोग क्या तंबाकू बिना छोड़े ठीक हो जायेंगे? ---यह आप भी जानते हैं।

Oh, my goodness, day in and day out ….this all is so very much frustrating. We keep on seeing these souls consuming all sorts of harmful stuffs recklessly, we keep on seeing all other high-risk activities…………………But I always ask myself what else to do… to make them aware of all this is your duty and that you have done…………….What else?

I had read something very interesting somewhere which I want to share …..

Cancer cures smoking !!!

आज जब मैं यह लिख रहा हूं तो मेरी अंतर्रात्मा ने मुझे यह कह कर झकझोरा है तू करता तो है बहुत कुछ .......लेकिन यह तेरी हाथ खड़े करने वाली बात मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आई। मेरा मन मेरे से पूछ रहा है कि तू इस बात की कल्पना कर कि अगर कल को तेरा बेटा ही यह गुटखा शुरू कर दे तो क्या हाथ पर हाथ रख कर बैठा रहेगा या फिर बेबसी से तब भी अपने हाथ खड़े कर देगा....................नहीं, नहीं,....................मेरी अंदर से आवाज़ आई......मैं तो उस की यह लत छुड़वाने के लिए ज़मीन-आसमां एक कर दूंगा।

तो फिर अपने आप से जो प्रश्न किया वह यही था कि क्या तू इस देशों के लाखों बच्चों के लिए भी ज़मीन-आसमां एक नहीं कर सकता...............तुझे ऐसा करने से कौन रहा है................ये भी तो किसी के बच्चे हैं ....किसी के सगे हैं....................सो, ऐसे हाथ खड़े करने से काम नहीं चलेगा। चल उठ जा, और इन नशीले पदार्थों के विरूद्ध छेड़ी जंग को पूरी बहादुरी से बिना किसी बात की परवाह किये बिना लड़।

इसलिए अब तो वह हाथ खड़े करने वाली बात के बारे में कभी सोचूंगा भी नहीं... क्योंकि अभी तो इस जंग की शुरूआत ही हुई है।