बुधवार, 14 मार्च 2018

सोना कितना सोना है ...

आज सुबह पहली मरीज़ थी एक महिला ५० साल के करीब की उम्र की ... आध घंटे पहले अपने पति के साथ अस्पताल ही आ रही थी कि लखनऊ के ईको गार्डन के पास दो लुक्खे आए ...और उसके एक कान की सोने की बाली खींच के हवा में उड़ गये ...(ईको गार्डन यहां का एक पॉश एरिया है)...

पति ने बताया कि वह अकसर ३५-४० की स्पीड से ही स्कूटी चलाते हैं...और जो दो लुक्खे आये उन की पल्सर मोटरसाईकिल की स्पीड बहुत तेज़ थी .. उन्होंने एक झपट्टे में ही यह काम कर डाला ... पीछे से आ रहे एक मोटरसाईकिल वाले को उन्होंने कहा कि इन का पीछा करो भाई ... कुछ दूर तक उसने उन लुक्खों का पीछा तो किया ..लेकिन लुक्खे तो ठहरे लुक्खे, कहां किसी की पकड़ में आते हैं...

इस महाशय ने १०० नंबर पर फोन किया ...दारोगा अपनी कार में पहुंच गये .. और डॉयरी वॉयरी में कुछ रपट लिख ली उन्होंने ...
यह सब बातें एक सरदार जी सुन रहे थे जो भी एक मरीज़ थे ...उन्होंने अपना अनुभव शेयर किया कि जिस एरिया में वे लोग रहते हैं वहां तो मियां-बीबी सैर कर रहे होते हैं ...तो पीछे से अचानक मोटरसाईकिल सवार लुक्खे आते हैं और धक्का देकर आदमी को गिरा देते हैं और औरत के ज़ेवर नोच कर उड़ जाते हैं..

सरदार जी ने बताया कि अभी हाल का ही एक वाकया है कि एक औरत से चैन और कंगन की झपटमारी हुई ...उसके साथ उस की एक सहेली थी .. अभी वे लूट कर जा ही रहे थे और सहेली ने ज़ोर२ से शोर मचाया तो उस ने उसे कहा ...चुप कर, नकली ही थे। जैसे ही यह आवाज़ उन लुटेरे के कानों में पड़ी, वे लोग वापिस लौटे और महिला के मुंह पर कस के दो कंटाप मार गये कि नकली ज़ेवर पहन कर निकलती हो ...

बात वही है रोज़ ये जेवर लूटे जा रहे हैं...और हर शहर में ये घटनाएं हो रही हैं....अखबारें गवाह हैं ...शायद अब तो लोग ऐसी खबरें पढ़ते भी नहीं ... यह एक आम सी बात हो गई है ... और आज में सोच रहा था कि जो लोग इस तरह की लूट का शिकार औरतों से सहानुभूति दिखाते हैं वह भी काफ़ी हद तक सतही ही होती है ...कहीं न कहीं मन में सब के यही रहता है कि सारी दुनिया जानती है कि इस तरह की लूट अब बहुत आम बात हो गई है, ऐसे में हम लोग गहने-ज़ेवर पहन कर निकलते ही क्यों हैं....

बात सुनने में बड़ी अजीब सी लगती है कि लूट की घटनाएं होती हैं इसलिए औरतें ज़ेवर पहनना ही बंद कर दें ... ठीक है, अगर नहीं कर सकतीं तो ऐसी लूट के लिए तैयार भी रहें ... कानून व्यवस्था हम सब जानते हैं..कितने लुटेरे कब पकड़े जाते हैं और कितना माल उनसे बरामद होता है, यह आप और हम जानते हैं .... सरकार को Z plus security देनी है ...व्ही आई पी लोगों को भी ऐसे माहौल में सुरक्षित रखना है ...और भी बहुत से इंतजाम करने होते हैं...!!

मुझे कभी यह समझ नहीं आता कि इस तरह के हालात में लोग ज़ेवर पहनते ही क्यों हैं....बात सिर्फ़ लूट की ही नहीं है, जो लूटने निकला है ...वह पूरी तैयारी से निकला है ... और जो शिकार है वह एकदम निहत्था...वह शख्स कह रहा था कि हम तो शुक्र मनाते हैं कि हम लोग स्कूटर से गिरे नहीं ...अगर इस को (बीवी की ओर इशारा कर के कह रहा था) ब्रेन-हेमरेज हो जाता तो हम क्या कर लेते! आम आदमी कैसे अपने मन को तसल्ली दे लेता है!!

उसने बताया कि कुछ समय पहले उस की बेटी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ ..वह लड़कियों को स्कूटर चलाना सिखाती हैं और काफी साहसी है, ऐसे ही मोटरसाईकिल पर तीन लुक्खे आए, उस की सोने की चेन झपट कर दौड़ने लगे ...उसने भी अपनी स्कूटी तेज़ की और उन के पास जैसे ही पहुंची, एक ने तमंचा उस की तरफ़ कर दिया ...बस, वह अपनी जान बचाने के चक्कर में पीछे हट गई।

यह दोनों मियां बीबी मेरे पास अपने दांत उखड़वाने आए हुए थे ... दांत तो वे उखड़वा ही गये ... लेकिन बीच में एक बार झल्ला कर कहने लगा वह शख्स कि मैं तो कहता हूं कि असली सोना पहनना ही नहीं चाहिए... नकली ही पहनना चाहिए...
मैंने कहा कि पहनना ही क्यों चाहिए, और क्या गारंटी है कि नकली सोना पहनने वाले सुरक्षित रहेंगे ....जो भी इस तरह के सिरफिरे होते हैं वे पूरी तैयारी के साथ आते हैं... मैंने कहा कि हमारी तो एक अंगूठी पहनने की हिम्मत नहीं होती.... कब, कौन, कहां रोक ले क्या भरोसा....वैसे भी हम कौन सा  "शक्तिमान"  हैं...

 हां, तो इस से बचने का एक ही उपाय है कि लोग सोना पहन कर बाहर निकलना बंद कर दें ...अगर मेरी बात बुरी लगे तो अपनी सेफ्टी का इंतज़ाम भी स्वयं ही कर के निकलिए ....वरना उस शख्स की तरह उम्मीद ज़िंदा रखिए जैसे वह मुझे जाता जाता कह गया ..डाक्साब, मैंने भी उन्हें देख तो लिया है, आते जाते ध्यान रखूंगा ...और कभी तो मेरे हत्थे चढ़ ही जाएंगे....उस की इस बात से आज फिर लगा कि सच कहते हैं दुनिया आस पर टिकी है ..हम सब के अपने घरों में या बिल्कुल आसपास इक्का दुक्का किस्से हो चुके हैं, लेकिन हम हैं कि बाज़ ही नहीं आते सोना पहनने से .. अपनी जान तो जोखिम में डालते ही हैं, साथ में जाने वाले के लिए भी मानो खतरे की माला पहन कर चलते हैं... क्या ख्याल है आपका?

PS...सोने वोने से मुझे तो लगता नहीं कि कुछ होता है ...कुछ लोग पांच रूपये की मोती की माला में भी चमकते हैं और कुछ सोने लादे हुए भी ....Thank God beauty is not skin deep! Beauty is a very holistic concept...you know what I want to convey!

बर्फी फिल्म के इस गीत की तरह ही हम सब लोगों की हंसी-खुशी है ....क्या आप को ऐसा नहीं लगता? It has a very big message!!



5 टिप्‍पणियां:

  1. सोने के ज्वलित पहन कर सड़क पर निकलना तो ऐसा है जैसे कन्धे पर लाठी रख कर उसके एक सिरे पर सुतली से बाँध कर एक-दो लाख रुपये लटका कर सरेआम चलना, झपटमार को न्योता देने वाली बात ही हुई । किसी ने ठीक ही कहा है
    "Common sense is very uncommon.:

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    1. जनाब, आप ने तो चंद अल्फ़ाज़ में इस लेख का निचोड़ निकाल दिया।
      शुक्रिया।।

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  2. सोने के जेवरात पहन कर सड़क पर निकलना तो ऐसा है जैसे कन्धे पर लाठी रख कर उसके एक सिरे पर सुतली से बाँध कर एक-दो लाख रुपये लटका कर सरेआम चलना, झपटमार को न्योता देने वाली बात ही हुई । किसी ने ठीक ही कहा है
    "Common sense is very uncommon.:

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  3. जब कोई दिल की बात लिखता है तो हिज्जों की परवाह किसे होती है!!
    बहरहाल, आप ने इसकी ज़हमत उठाई, शुक्रिया, एक बार फिर।

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  4. ਤੁਹਾਡੀ ਗੈਰਹਾਜ਼ਰੀ ਚੁਭਦੀ ਹੈ

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