बुधवार, 4 मई 2011

हुक्का पार्लर का नशा .... दम मारो दम !

आज एक युवक ने मेरे से पूछा कि यह जो शहर में हुक्का-ज्वाईंट खुला है, उसके बारे में मेरा क्या ख्याल है। मैं बड़ा हैरान हुआ यह सुन कर कि हमारे जैसे छोटे शहर में भी यह खुल गया है, विदेशों में और महानगरों में तो सुना था कि इस तरह के पार्लर खुल गये हैं, लेकिन छोटे छोटे शहरों में भी अब यह सब !!

वह युवक मुझे बता रहा था कि यह ज्वाईंट आजकल कालेज के छात्र-छात्राओं में पापुलर होने लगे हैं। उस ने यह भी बताया कि अकसर ऐसी जगहों पर जाने वालों का कहना है कि इस तरह का “मीठा हुक्का” गुड़गड़ाने से कुछ नहीं होता, इस का कोई नुकसान नहीं है।

कालेज की उम्र होती ही नई नई चीज़ों को ट्राई करने के लिये है ...ऐसे में इस तरह के हुक्का पार्लर खुलना अपने आप में खतरे का संकेत है। और जहां तक हुक्का पीने की बात है, तंबाकू तो है ही जिसे पिये जा रहा है, तो फिर ज़हर तो ज़हर है ही ....इस में कोई दो राय हो ही नहीं सकती।

Planning to bunk classes to gang up at a hookah parlour?

मुझे तो यकीन है कि ऐसे पार्लर खोलने के पीछे युवकों को तंबाकू की लत लगाने की साज़िश है, जिन युवकों की ज़िंदगी तंबाकू के बिना सीधी लाइन पर चल रही है, क्यों उन की ज़िंदगी में ज़हर घोलने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। कुछ ही दिन ये हुक्का-वुक्का गुड़गुड़ाने के बाद ऐसा हो ही नहीं सकता कि उन्हीं युवकों के हाथ में सिगरेट न हों, जब कि हमें पता ही है कि सिगरेट की लत लगाने के लिये मज़ाक मज़ाक में केवल एक सिगरेट पिया जाना ही काफ़ी है।

उस युवक ने कहा कि यह जो हुक्का पीने के लिये सभी लोग एक ही पाइप का इस्तेमाल करते हैं, यह भी सेहत के लिये ठीक नहीं होगा, बिल्कुल यह भी सेहत के लिये खतरा है क्योंकि कितनी ही ऐसी बीमारियां हैं जिन के कीटाणु/विषाणु लार में मौजूद रहते हैं।

और इस तरह के पार्लरों को युवकों में लोकप्रिय करना कोई मुश्किल काम थोड़े ही है, इस तरह का धंधा करने वाले सभी तरह के हथकंडे अपनाने से कहां चूकने वाले हैं। इसलिये युवकों को ही इन सब से बच कर रहना होगा।

जब हम लोग पांचवी छठी कक्षा में पढ़ा करते थे तो हमारे स्कूल के पास एक दुकान हुआ करती थी जिस के आगे से निकलना बहुत मुश्किल सा लगा करता था ... भयानक बदबू निकला करती थी उस दुकान से.....धीरे धीरे पता चला कि उस दुकान पर तंबाकू बिका करता था, उन दिनों इतना यह सब पता नहीं होता था कि इस का लोग क्या करते हैं, लेकिन अब ध्यान आता है कि वह सूखे तथा गीले तंबाकू (Tobacco leaves, Moist tobacco) की दुकान थी जहां पत्थरों जैसे दिखने वाले काले जैसे रंग के गीले तंबाकू के बड़े बड़े ढेले पड़े रहते थे। इन्हें हुक्के में इस्तेमाल किया जाता होगा और सूखे तंबाकू की पत्तियों को चूने के साथ रगड़ के चबाया जाता होगा।


इन हुक्का पार्लरों से मन जब जल्दी ही युवकों का मन ऊब सा जाएगा तो शायद इस के आगे की स्टेज यह गीत दिखा रहा है .....


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