शुक्रवार, 18 मार्च 2016

माल्या के मायाजाल से हमें क्या लेना देना...

पिछले दिनों मुझे मेरा आयकर जोड़ने की तरफ़ इतना ध्यान नहीं था, जितना यह पता करने में मन बेचैन था कि आखिर किन किन बैंकों के करोड़ों निकल गये...है कि नहीं बिना वजह अपने दिमाग पर जोर देने वाली बात... माल्या के मायाजाल से मुझे क्या लेना देना...यह बहुत बड़ी खेल है, मंजे खिलाड़ियों के बस का है यह सब ...आम आदमी के तो छोटा मोटा हज़ारों का लोन लेने में जूते घिस जाते हैं ...इतनी औपचारिकताएं, यह लाओ, वो लाओ. यह गवाही, वह कागज़ात, इतनी फोटो...आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर कार्ड.

दो िदन पहले मुझे माल्या की बहुत याद आ रही थी..मैं यही सोच रहा था कि उस बंदे ने इतना बड़ा काम कैसे कर लिया...यहां मुझे तो बैंक में इंक्म टैक्स जमा करवाना था, पानी बरस रहा था, उस बंदे ने मेरा ऐसा इंटरव्यू लिया ..कहां का खाता है, आप कहां रहते हो, यह इंक्म टैक्म इस ब्रांच से पहली बार भर रहे हो...बस, वह जैसे मुझसे यह जाना चाह रहा हो कि मेरे पास इस समय क्या नहीं है। आखिर सवाल में मैं पकड़ लिया गया, जैसे ही उसने पूछा कि पैन कार्ड है, मैंने कहा, इस समय तो नहीं है...उस ने बस उसी आफिस आफिस सीरियल की तरज पर कह दिया ..नहीं हो पायेगा तब तो। मैंने कहा कि भाई, सीबीएस ब्रांचें हैं आज कल... पैन दिया तो ही खाता खुला ...

ऩहीं, वह नहीं माना.. मैंने कहा, अच्छा मैं लेकर आता हूं...उसे उस में भी तकलीफ़, कहां रहते हो, मैंने कहा ..यहां से पांच मिनट की दूरी है, आ जाऊंगा...कहने लगा, ले आओ, देखते हैं, अगर टाइम हुआ तब तक तो .....मैं गया, पैन ढूंढा, कापी करवाई, उस के पास पहुंचा, उस ने पैन की तरफ़ देखा भी नहीं, साथ बैठी अपनी एक महिला कुलीग की तरफ़ मुझे भेज दिया कि इन का भी टैक्स भरना है।

हो गया, लेकिन फिजूल की धौड-धूप ...पता नहीं मुझे तो अब बैंक के नाम से ही डर लगने लगा है...कापी अपडेट करवानी हो तो आटोमैटिक प्रिंटिंग मशीन या तो ठीक नहीं होती, या तो उस में पासबुक फंस जाती है, दो तीन बार मेरे साथ हो चुका है, नहीं तो पासबुक प्रिंट करने वाला प्रिंटर खराब चल रहा है, अगर वह ठीक है तो नेटवर्क नहीं है, अगर नेटवर्क है तो स्लो है, अगर सब कुछ है तो आज उस सीट पर कोई है ही नहीं...और भी कईं तरह के पचड़े हैं, मुझे तो बैंक जाने में ही बड़ा आलस आता है ..मजबूरी होती है, पांच छः महीने में एक बार तो जाना ही पड़ता है ...वरना एटीएम बढ़िया है...

हां, तो बात तो माल्या साहेब की हो रही थी, बीच में मैं अपने संस्मरण कहां से ले आया?...तीन दिन पहले मुझे पता चला कि एक लिस्ट आई है पेपर में बैंकों की लिस्ट के साथ कि किस किस बैंक ने कितने कितने करोड़ कर्ज दिया...

कल फिर से पेपर में यह देखा तो इत्मीनान हुआ.... अपनी आंखों से देख कर ... स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इस लिस्ट में टॉप कर रहा है, इसने माल्या को १६०० करोड़ का उधार दे दिया। इस सूचि में टोटल १७ बैंक हैं जिन्होंने ५०- ६०-१५०-३००-४००-५००-६००-८००करोड़ का कर्ज़ माल्या साहेब को दे दिया..

सोशल मीडिया पर लोग खूब मजे ले रहे हैं..लिख रहें हैं लोग कि जो किसान बेचारे हज़ारों का कर्ज़ लेते हैं, न चुका पाने की दशा में फंदे पर झूल जाते हैं.. ऐसे में उन्हें माल्या से ट्रेनिंग दिलवानी चाहिए कि बैंकों के भारी कर्ज़ के बावजूद भी अपना वजूद कैसे बनाए रखा जाए... जब माल्या साहेब गये तो कुछ दिनों बाद पेपर में आया कि वह कह रहे हैं कि मैं न भागा हूं न भगोड़ा हूं, दो तीन दिन बाद पेपर से पता चला कि वे कह रहे हैं कि अभी हालात मेरे लिए वापिस लौटने के लिए मुफ़ीद नहीं हैं, फिर पता चला कि वे ईडी के सामने पेशी के लिए टाइम मांग रहे हैं, कल केन्द्रीय मंत्री ने डिक्लेयर कर दिया है कि पाई पाई ले लेंगे ...आज अभी टीवी बता रहा है कि ईडी (प्रवर्त्तन निदेशालय) ने २ अप्रैल तक माल्या को हाज़िर होने की मोहलत दे दी है ...अब वही बात है ..सन्नी दयोल का वह डॉयलाग .. तारीख पे तारीख ... तारीख पे तारीख...अब इस केस में यह सिलसिला चलता रहेगा..


हां, इस सब पर मुझे ब्लाग लिखने का ध्यान पता है कैसे आया ?.... कल की एक अखबार के पहले पन्ने पर एक फुल पेज विज्ञापन है ...स्टेटबैंक ऑफ इंडिया का .. पता नहीं यह कोई डैमेज कंट्रोल एक्सरसाईज़ है या क्या है, मुझे नहीं पता... एसीबाई कह रहा है कि 50 लाख फेसबुक फोलोअर हो गये हैं और अभी भी जुड़ रहे हैं.. और अपने आप को इस विषय में विश्व में प्रथम स्थान पर डिक्लेयर कर रहा है ....नीचे बड़ा सा हैडिंग है .. डिजिटल इंडिया का बैंक...

लेकिन मैं इस से ज़रा भी इंप्रेस नहीं हुआ...डिजिटल इंडिया का बैंक तो है, निःसंदेह ... जहां कुछ भी काम करने के लिए इस तरह का टोकन मिलता है ...और अगर बारी निकल गई तो निकल गई...फिर से ऐसा ही टोकन लीजिए...लेिकन बात सोचने लायक या छानबीन लायक यह है कि इतनी मुश्तैदी और इतने कड़कपन के बावजूद इतना बड़ा लोन - 1600 करोड़ का कोई ले कर चला गया...और वसूली का अभी तो कुछ अता पता नहीं ..कल निलामी थी माल्या की 200 करोड़ रूपये की एक किंगफिशर इमारत की बंबई में ...किसी ने बोली में भाग ही नही लिया....लोग क्या करें, उन के पास पहले ही से बहुत पचड़े हैं, कौन समझदार आदमी इस तरह के लफड़े वाले सौदे में पड़ना चाहेगा..
एसबीआई के पचास लाख फॉलोअर कुछ खास कहां हैं वैसे भी...  मेरे जैसे बिल्कुल रद्दी लेखक के गूगल प्लस फॉलोवर की संख्या ही अढ़ाई लाख के करीब हो चुकी है ...आप स्वयं इसे इस लिंक पर जाकर चैक कर सकते हैं..

कुछ बातें न कहने में अच्छी लगती हैं न लिखने में ...  लेिकन समझते हम सब हैं कि क्या हुआ होगा और आगे क्या होगा...पूरी समझ रखता है देश का हर नागरिक...

जाते जाते ध्यान आ रहा है ..माल्या साहेब को पार्टी शार्टी में बड़ी दिलचस्पी है ..खूब महंगी, हाई फाई वाली पार्टीयां ..वैसे एक छोटी मोटी पार्टी यहां भी तो चल रही है .. काका जी की बात में दम तो है ...