मंगलवार, 7 जुलाई 2015

ज्योतिष परामर्श ५०० रूपये में...

५ जुलाई २०१५ (रविवार)
रात आठ बजे
बंबई-पुणे एक्सप्रेसवे
स्थान...लोणावला

परसों रात लोणावला में जैसे ही हम लोग खाना खाने के लिए एक जगह पर रूके तो मेरा ध्यान उस रेस्टरां के पीछे बैठे एक ज्योतिषि टाइप बंदे पर गया...

ज्योतिष विद्या के बारे में मैं अपने विचार आप से साझा कर लूं पहले....मैं मानता हूं कि यह विद्या बहुत महान् है...लेकिन बस भविष्य और अतीत का पता करने के लिए....होनी अटल है, उसे बदला नहीं जा सकता...केवल ईश्वर ही चाहे तो होनी को बदला जा सकता है या फिर अमर-अकबर-एंथोनी।

ज्योतिष विद्या एक बहुत वैज्ञानिक विषय है, लोगों ने इस में पीएचडी भी की हुई है..लेकिन इस विद्या को जब कुछ ऐरे-गैरे इस्तेमाल करने लग जाते हैं....लोगों के भय को भुनाने के लिए तो मुझे अजीब सा लगता है।

जहां तक मेरी बात है, मैं और सारा परिवार ...  हम होनी अटल है वाली बात पर विश्वास करते हैं....इसलिए ज्योतिषों के पास कभी नहीं गए।

हां, तो उस ज्योतिषी जैसे पुरोहित दिखने वाले बंदे को देख कर मुझे जिज्ञासा हुई और मैं अपनी टेबल से उठ कर बाहर उस की तरफ़ चलने लगा...मैं उस का बोर्ड देख रहा था...तभी एक युवक आया (जिस की तस्वीर आप इस दूसरी फोटो में देख रहे हैं) ...उसने ज्योतिषी से पूछा कि क्या यह काम फ्री में होता है।



ज्योतिषी ने तुरंत जवाब दिया.. क्या कोई भी काम फ्री होता है!. वैसे तो मेरी फीस ११०० रूपये है, चूंकि आप मेहमान हैं, आप के लिए ५०० रूपये।

यह सुन कर वह युवक थोड़ा हंसने लगा...कहने लगा...ज़्यादा है। तो ज्योतिषी ने कहा...ज्यादा तो नहीं है, लेकिन अभी आप का अपना हाल जानने का योग नहीं है, तभी तो आप को यह रकम ज़्यादा लग रही है।

यह सुन कर युवक ने लगता है प्रेसटीज इश्यू बना लिया.....कहने लगा कि नहीं, ज्यादा तो क्या है! और झट से उस के सामने कुर्सी पर बैठ गया। मुझे भी उस ने कहा कि आप भी बैठ जाइए...लेकिन मेरी भटूरे चने की प्लेट आ चुकी थी, इसलिए मुझे उसे लपेटना भी जरूरी था। वैसे भी किसी की गोपनीय बातों से अपुन को क्या लेना-देना। लेकिन वह बंद ज्योतिष को यह ज़रूर कह रहा था कि जल्दी करिए महाराज, मेरे बच्चे खाना खा लेंगे तो मुझे जल्दी बंबई निकलना है।

मैं दूर से देख रहा था ...लगभग पांच सात मिनट तक वह ज्योतिष उस से बातचीत करता रहा....उस युवक ने ५०० रूपये का नोट निकाल कर उसे थमाया, प्रणाम किया और अपने बच्चों के पास लौट आया।

मैंने देखा कि मेरे वहां बैठे बैठे दो और लोगों ने अपना भविष्य जान लिया...

मैं यही सोच रहा था कि किस जगह पर बैठ कर कोई आदमी अपना धंधा कर रहा है, यही अहम् बात है....

मुझे यही बात बार बार कचोट रही है कि शारीरिक परिश्रण करने वाला मजदूर, रिक्शा चलाने वाला या कहीं किसी फैक्ट्री में काम करने वाला इंसान सारा दिन मेहनत करता है, पसीना बहाता है ......तो कहीं जाकर उसे तीस-चार सौ रूपये नसीब होते हैं।

यह भी सोच रहा हूं कि आज का इंसान डरा हुआ है.....वह भविष्य के बारे में जानने को बेहद आतुर है.....और इसी आतुरता को कैश करने के लिए लोग तैयार बैठे हैं।

लेकिन एक बात माननी पड़ेगी, ज्योतिषी महाराज का पहनावा बिल्कुल फिल्मों में दिखाए जाने वाले ज्योतिषियों की तरह का ही था...मुझे तो वही वक्त फिल्म का ज्योतिषी याद आ जाता है....जो बलराज साहनी को कहता है कि होनी अटल है, इंसान के हाथ में कुछ भी नहीं है, कईं बार चाय की प्याली और मुंह में भी फासला तय नहीं हो पाता.....बलराज साहनी मूड में है...कहता है, क्या बात करते हो पंडित, चाय की प्याली उठाता है और कहता है ...यह रही प्याली और य.........ह..................लेिकन जैसे ही उसे उठाता है एक भयानक भूचाल आ जाता है और सब कुछ स्वाह हो जाता है......बाकी कहानी तो आप जानते ही हैं.....