शनिवार, 16 मई 2015

सन्नी लिओन, मैगी और मजिस्ट्रेट का काला चश्मा...

आप को इस पोस्ट का शीर्षक कितना ऊट-पटांग लग रहा होगा..कोई बात नहीं, मुझे भी लग रहा है..लेकिन मुझे इस से बेहतर कोई सूझा नहीं।

दरअसल स्कूल के दिनों में ही मुझे छात्र-संपादक बना दिया गया...हंसी आती है अब वे दिन याद कर के...सुबह सुबह हिंदी, पंजाबी और इंगलिश के पेपर स्कूल के समय से १५ मिनट पहले देखने होते थे और उन में से मुख्य खबरों के हैडिंग एक कागज पर लिखने होते थे......फिर उन्हें गीली चाक से बड़े बड़े ब्लैक-बोर्डों पर लिखना होता था...बहुत समय तक यह सिलसिला चलता रहा।

मुझे यह सब काम करना अच्छा लगता था...मुझे यही रोमांचक लगता था कि मेरी पसंद की खबरों को रिसेस के समय सारे छात्र पढ़ेंगे।

तो आज भी अखबार देखी तो लगा कि ये तीन खबरों के हैडिंग आप से शेयर कर के पुराने दिनों की बातें याद कर लूं।
ये तीनों खबरें आज की टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने पर छपी हैं।


कहां से शुरू करें...चलिए सन्नी लिओन ने आज कल खासी धूम मचा रखी है, उसी की खबर से कर देते हैं। किसी महिला ने पुलिस में शिकायत कर दी है कि सन्नी लिओन भारत की संस्कृति को खराब कर रही है...आप स्वयं ही देख लें यह खबर....मुझे तो सब से अजीब यह लगा कि उस खबर में उस की विवादित पोर्नो साइट का यूआरएल भी दिया हुआ है, जिसे नहीं भी पता उसे भी पता चल जाए....दरअसल हमें कुछ भी पता नहीं होता कि परदे के पीछे क्या क्या चल रहा होता है।

वैसे आज कल के दौर में इस तरह के केस हास्यास्पद ही लगते हैं....किसे किसे रोक पाएंगे....सब कुछ इतना आसानी से उपलब्ध है। मुझे तो लगने लगा है कि अब लोग इस सन्नी लिओन नामक चीज को भी बख्श दें तो बेहतर होगा..कर रही है अपना काम, करने दीजिए। मैं बिल्कुल भी नसीहत देने में विश्वास नहीं रखता, लेकिन इतना ज़रूर कहना चाहता हूं कि हम जो चाहें वह देखें नेट पर .....लेकिन इतना हमेशा याद रखें कि जैसा कंटेंट दिमाग में जाएगा......आउटपुट भी शर्तिया वैसी ही होगी। यकीनन........सौ टका प्रामाणिक सच।

करो, सन्नी लिओन, तुम अपने काम पर ध्यान दो....


दूसरी खबर, छत्तीसगढ़ का कोई मजिस्ट्रेट है...उस ने बढ़िया से नीले रंग के कपड़े और रे-बैन का चश्मा लगा कर प्रधानमंत्री से हाथ मिला लिया तो उसे चेतावनी देते हुए एक चिट्ठी थमा दी गई है। सुबह जब मैंने इस खबर को देखा तो मुझे लगा कि इस में ऐसा खबर जैसा है क्या। पहन लिया यार उसे जो अच्छा लगता होगा, उसने पहन लिया....लेिकन शाम होते होते जब इस तस्वीर को तीन चार बार देखा तो कुछ अटपटा ही लगा...ठीक है, कोई ड्रेस कोड नहीं होता, लेकिन कुछ रवायतें भी तो होती हैं...अब एक अधिकारी देश के प्रधानमंत्री से इस अंदाज़ में हाथ मिलाते हुए थोड़ा अजीब सा लगा.......शायद हमने ऐसा कभी देखा नहीं ....लेकिन फिर भी जितना इस मामले को तूल दिया गया...जितना समाचारपत्रों में उछाला गया, यह बहुत ज़्यादा हो गया...ऐसी हरकतों से हम लोग सारी दुनिया के सामने उपहास का कारण बनते हैं...अब वह अफसर आकाश से तो उतरा नहीं उसी समय, उधर ही घूम रहा होगा प्रधानमंत्री के आने से पहले...उसे चुपचाप पहले ही कह िदया जाता कि भई, जा के कपड़े बदल ले, और चश्मा भी हाथ मिलाते हुए हटा लईयो। बात इत्ती सी थी.....लेकिन अखबारों ने तो ..। वैसे ड्रेस कोड तो बहुत से कर्मचारियों का भी नहीं होता, लेकिन फिर भी मौके को देख कर ही कपड़ों को सिलेक्ट किया जाता है। चलो यार इस बात पर मिट्टी डाल देते हैं, और ऊपर से उसे दुरमुट से कूट देते हैं.....मजिस्ट्रेट साब वैसे ही परेशान हो गये होंगे......बिना वजह का पंगा हो गया।

और हां, यह क्या मैगी की जांच से पता चला है कि उस में एमएसजी नामक कैमीकल पाया गया और लैड (lead) की मात्रा भी बहुत ज़्यादा पाई गई। अब यह सब कुछ किसी लैब ने जांच कर के रिपोर्ट दी है, आप इस खबर में पढ़ सकते हैं कि कंपनी कितनी हास्यास्पद सफाई दे रही है, इतनी इनोसेंट सफाई .......क्या कहें, बस इस तरह की चीज़ों से दूर ही रहें तो बेहतर है...वैसे हम पिछले कितने वर्षों से सुनते आ रहे हैं कि ऐसी चीज़ों में इस तरह के एमएसजी जैसे कैमीकल तो होते ही हैं.....कंपनी चाहे कुछ भी कहे, उन्हें अपना माल बेचना है........लेकिन फिर भी हम लोग विशेष कर बच्चे कहां सुनते हैं.......अभी दो दिन पहले एक अखबार में एक मेडीकल शोध छपा था कि जो बच्चे जंक फूड खाते हैं, उन में भोजन को पचाने वाले आंतडियों में मौजूद सेहतमंद जीवाणु बहुत कम हो जाते हैं.....जिस की वजह से वे लोग खाना भी नहीं पचा पाते। अब इस से ज़्यादा कोई क्या कहे!

मुझे लगने लगा है कि एक स्टेज के बाद ..भाषण वाषण देने के बाद.....हर किसी को उस की किस्मत पर छोड़ दिया जाना चाहिए। स्कूल के दिनों में बस हैडिंग लिखता था, आज तो बेकार की टिप्पणीयां भी लिख दीं....कोई बात नहीं..झेल लीजिए..