शनिवार, 28 मार्च 2015

अटल जी की विलक्षण शख्शियत...

कल बहुत खुशी हुई...अटल जी को भारत रत्न सम्मान से नवाज़ा गया।

आज सुबह अखबार खोली तो उन के निजी सहायक शिव कुमार की लिखी दो बातें दिख गईं...आप से शेयर करना चाहता हूं...

शिव कुमार ने लिखा है...

"अटल जी सरिता की तरह सरल हैं। उनसे अगर कोई छोटी-सी भी गलती हो जाती है तो उसका मलाल उन्हें उस समय तक सालता रहता है, जब तक उस गलती को सुधार नहीं लेते। ये १९८०-८१ की बात है।  
तब मारूति कार बाज़ार मे नई-नई आई थी। हम और अटल जी उसी कार से आगरा जा रहे थे। रास्ते में फरा गांव के पास भैंसों का झुंड मिल गया। हमारे ड्राइवर ने किसी तरह भैंसों के झुंड से बचने की कोशिश की तो एक भैंस कार से टकरा गई और हमारी कार पलट गई।  
कार के नीचे आई भैंस ने पलटा मारा तो कार दूसरी तरफ जा पलटी। उसके बाद उस भैंस ने फिर पलटा मारा तो कार सीधी खड़ी हो गई। कार की विंड स्क्रीन टूट गई, लेकिन मुझे, ड्राइवर और अटल जी को खरोंच तक नहीं आई, पर भैंस मर गई।  
उधर से गुजर रहे एक टैक्सी ड्राइवर ने भैंस को मरा देखा तो हल्ला मचाने लगा। आसपास के गांव वाले लाठी-डंडे के साथ वहां इकट्ठे होने लगे। मैंने अटल जी से कहा कि आप गाड़ी के अंदर रहिए। गांव वाले गुस्से में हैं। अटल जी गाड़ी में बैठने को तैयार नहीं थे। किसी तरह उन्हें समझा-बुझा कर गाड़ी के अंदर किया गया।  
मैंने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल निकाल कर उससे हवाई फायर किया, तब जाकर भीड़ तितर-बितर हुई। मैंने ड्राइवर से गाड़ी जल्दी आगे बढ़ाने के लिए कहा। इसी बीच टैक्सी ड्राइवर ने सिकन्दरा थाने पर भैंस मरने की सूचना दे दी थी।  
मैं जब अटल जी के साथ सिकन्दरा थाने पर पहुंचा और थानेदार को गाड़ी से भैंस के मरने की जानकारी दी तो थानेदार को पहले से ही इस बारे में जानकारी थी।  
अटल जी ने थानेदार से कहा कि भई, भैंस के मालिक को बुलाओ, जो मुआवजा होगा, दे देंगे। थानेदार अटल जी को अच्छी तरह से जानता था। उसने कहा कि अरे साहब, आप जाइए। हम गांव वालों को समझा लेंगे और जो मुआवजा होगा, दे देंगे। अटल जी मान नहीं रहे थे , पर थानेदार के आश्वस्त करने पर मैं और वे आगरा चले गए।  
इस घटना के दो साल बाद एक नेत्रहीन कवि राम खिलाड़ी दिल्ली आए और उन्होंने २३ जनवरी को लाल किले में होने वाले कवि सम्मेलन में अपनी कविता पढ़ने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने अटल जी से कहा कि आप आयोजकों से मेरी सिफारिश कर देंगे तो हमें भी वहां कविता पढ़ने का मौका मिल जाएगा।  
अटल जी ने पूछा, कहां से आए हो?..उन्होंने कहा कि उसी गांव से, जहां आपकी कार से भैंस मर गई थी। यह सुन कर अटल जी ने कवि के सामने शर्त रख दी कि उन्हें कविता पढ़ने का मौका तभी मिलेगा, जब वे भैंस के मालिक को लेकर आएंगे। खैर, यह कवि भैंस मालिक को लेकर आ गए। अटल जी ने भैंस मालिक को भैंस मरने के मुआवजे के तौर पर १० हजार रूपये दिए।  
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अटल जी किसी भी कार्यकर्ता को निराश नहीं करते। उनके पास जो भी कार्यकर्ता अपनी दरख्वास्त लेकर आता, उस पर अपनी सिफारिश ज़रूर लिख देते। यूपी में एक जगह गए तो एक कार्यकर्ता अपनी एप्लिकेशन लेकर आ गया कि फलां साब से मेरी सिफारिश कर दीजिए। अटल जी ने उससे पूछा, वह साहब हमें जानते होंगे?..उसने कहा कि बस आप लिख दीजिए।  
अटल जी ने लिखा कि प्रिय महोदय, मैं आपसे परिचित तो नहीं हूं, लेकिन यह आवेदनकर्ता की इच्छा है कि मेरे लिखने से उसका काम हो जाएगा, इसलिए मैं इसकी सिफारिश कर रहा हूं। यकीन मानिए, उसका काम हो गया।  
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अटल जी को पशु-पक्षियों से बहुत प्रेम है। एक बार उन्होंने अपने आवास पर खरगोश पाला। उस खरगोश ने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे को देख कर अटल जी बड़े खुश हुए। उन्होंने उसे रुई से दूध पिलाया और संसद चले गए। इसी बीच बच्चा धूप में निकल आया। उसे लू लग गई और वह मर गया। अटल जी दोपहर में आए तो बच्चे को मरा देख कर उनकी आंख में आंसू आ गए। फिर उन्होंने अपने लॉन में स्वयं गड्ढा खोदा और उसे दफनाया। फिर उसके ऊपर एक पौधा लगा दिया।  
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अटल जी को लोगों से मिलने और उनके बीच बैठ कर बात करने में बड़ा आनंद आता था। प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल जी का एसपीजी का घेरा इस आनंद को छीनने की कोशिश करता था तो वह एसपीजी वालों को झिड़क देते।"
दोस्तो, जब हम लोग स्कूल में आठवीं दसवीं कक्षा में पढ़ते थे तो कोई भी कहानी जब हमें पढ़ाई जाती ...नमक का दारोगा, गोदान या कोई भी ...तो फिर हमारे मास्साब किसी किरदार का चरित्र-चित्रण करने को कहते। क्या अटल जी का चरित्र-चित्रण ऊपर वर्णित घटनाओं से नहीं होता!

निःसंदेह अटल जी एक ऐसी विलक्षण शख्शियत हैं कि उन की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। वे १२५ करोड़ लोगों के दिलों पर आज भी राज करते हैं....मैं आप से जल्द ही शेयर करूंगा कि इस महान नेता ने १९८४ के सिख दंगों, बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय और २००२ के गुज़रात दंगों पर क्या कहा था ..इन के जन्मदिन वाले दिन २५ दिसंबर को मैं लखनऊ से बाहर था...लैपटाप था नही...और मोबाइल पर मैं ज़्यादा लिखने के झंझट में पड़ता नहीं, सिर भारी हो जाता है... इसलिए मैंने हाथ से लिख कर इन घटनाओं पर अटल जी की प्रतिक्रिया को मीडिया डाक्टर के गूगल-प्लस पेज पर शेयर किया था... लेकिन यह अच्छे से पढ़ा नहीं जाता...मैं जल्द ही इस पर पोस्ट करता हूं...



एक अजीब लत चुकी है...पोस्ट को खत्म करते समय ...पब्लिश करते समय जो फिल्मी या गैर फिल्मी मेरे ज़हन में आता है, उसे मैं आपसे शेयर कर देता हूं..

आज अटल जी की बातें करते करते एक और महान् शख्शियत अशोक कुमार दी ग्रेट का ध्यान आ गया और उन पर फिल्माया गया यह गीत...याद होगा, टीवी सीरियल वाले हम लोग वाले दिन...हर एपिसोड के बाद दो मिनट के लिए उन की बेशकीमती नसीहत की घुट्टी पीने का किसे इंतज़ार नहीं रहता था!

तुम बेसहारा हो तो किसी का सहारा बनो, 
तुम को अपने आप ही सहारा मिल जायेगा..
कश्ती कोई डूबती पहुंचा दो किनारे पे..
तुम को अपने आप ही किनारा मिल जाएगा.....

वाह ...वाह.....लिखने वाले ने क्या गजब लिख दिया! इस के एक एक शब्द की तरफ़ ध्यान देने की ज़रूरत है। यह गीत भी मेरा फेवरेट है...मैं इसे हज़ारों नहीं तो सैंकड़ों बार तो देख सुन चुका ही हूं...और हर बार उतना ही आनंद आता है।