रविवार, 1 फ़रवरी 2015

कैंसर का खराब किस्मत से कोई नाता है क्या ?

कुछ दिन पहले की ही बात है जब लगभग सभी अखबारों में यह खबर सुर्खियों में रही ..कुछेक पर पहले पन्ने पर जिस में वैज्ञानिकों ने एक तरह से यह घोषणा कर दी कि कैंसर की बीमारी खराब किस्मत की वजह से होती है और लगभग दो तिहाई केसों में कैंसर का कारण बुरा मुक्द्दर ही है।

'Two-thirds of cancers due to bad-luck'

पढ़ी तो थी यह खबर....लेकिन यह पढ़ कर कुछ अजीब सा लग रहा था... बात हलक से नीचे नहीं उतर रही थी...और यह भी लग रहा था कि इस तरह की बात से तो लोग अपनी जीवनशैली बदलने के लिए कतई राजी नहीं होंगे, जब सब कुछ मुकद्दर का ही खेल है तो फिर जैसे चलता है चलने दें, यही सोचेंगे मरीज।

मरीज तो पहले से ही इतने तार्किक हैं कि एक कैंसर के मरीज़ को जब मैंने यह पूछा कि तुमने बंबई के टाटा अस्पताल में देखा होगा कि किस तरह से ये तंबाकू से होने वाले कैंसर कहर बरपा रहे हैं....उसने मुझे तुरंत कहा ...जो लोग इन सब का सेवन नहीं करते, वे भी बहुत से वहां इलाज करवा रहे थे। 

आज की टाइम्स ऑफ इंडिया देखी तो पहले ही पन्ने पर इस शीर्षक वाली एक न्यूज़-स्टोरी दिख गई....

मुझे ऐसा लगता है कि यह खबर सब को पढ़नी चाहिए ताकि अगर किसी के मन में कोई संदेह है तो वह भी निकल जाए कि बुरी किस्मत से नहीं, तरह तरह के प्रदूषण और हमारी जीवनशैली ही इस बीमारी का कारण बनती है। 

इस में भी टाटा अस्पताल के विशेषज्ञों के कथन ही छपे हैं। वे बताते हैं कि हिंदोस्तान में जो कैंसर होते हैं अगर हम लोग अपनी जीवनशैली ठीक रखते हैं और वातावरण की तरफ जागरूक रहते हैं तो उन से बचा जा सकता है..
टाटा अस्पताल के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में तंबाकू ४० से ५० प्रतिशत कैंसर के केसों का कारण है। 

दूसरी बात यह है कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में कैंसर रोग की दर काफी कम है .. भारत में हर लाख की जनसंख्या के पीछे ९० व्यक्तियों को कैंसर अपनी चपेट में ले लेता है जब कि गांवों में यह दर ४५ ही है....एक लाख के पीछे ४५ लोग....जब कि पश्चिमी देशों में यह दर है .. ३५० व्यक्ति हर एक लाख की जनसंख्या के पीछे। 

केवल हम लोग किसी व्यक्ति के जीन्स का हवाला देकर ही इस तथ्य को नहीं दबा सकते कि अधिकतर कैंसर उद्योग की वजह से होते हैं......तंबाकू बहुत बड़ा उद्योग है, फास्ट फूड भी एक बड़ा धंधा है जो हमारा मोटापा बढ़ा कर कैंसर का जोखिम बढ़ाता है। 

Theories about the exact reasons for cancer and why it affects certain people and not others has eluded scientists. Genetic reasons hold true only for around 5% of all cancers. The most heart-wrenching cancers- amount for only 3% of the total incidence. Moreover, what about cases in which a woman teacher, who has never smoked or chewed tobacco, gets oral cancer or a young father gets brain cancer? There seems to be no common thread linking all cancers. 

ध्यान देने योग्य बात है कि अधिकांश तौर पर कैंसर के रोग से बचा जा सकता है। कैंसर का रोग हर साल भारत में १० लाख लोगों को अपनी चपेट में लेता है और ७ लाख लोग इस बीमारी से हर साल अपनी जान गंवा बैठते हैं।