गुरुवार, 8 जनवरी 2015

ज्ञान बांटने की होड़ लगी हो जैसे..

अभी मैं अखबार पढ़ रहा था.. रेडियो सिटी चल रहा था।

तभी रेडियो सिटी की आर जे बोलीं कि जिसे देखो आज ब्लड-प्रेशर हो रहा है, जिसे देखो कहता है..मैं चल नहीं सकता... ऐसे में आप को करना क्या है, आप को अपनी दवाई रात में सोने से पहले खानी होगी... इससे इस बीमारी के ऊपर कंट्रोल ज़्यादा बढ़िया होता है और हार्ट-अटैक आदि का खतरा कम हो जाता  है।

रेडियो जॉकी तर्क यह दे रही थीं कि रात में में कोई काम तो करना नहीं होता, बस आराम ही करना होता है, इसलिए एक बार अगर रात में दवाई ले ली तो उच्च रक्त चाप का बेहतर कंट्रोल हो पाएगा।
Photo credits/nlm.nih.gov
यह तर्क बिल्कुल बेबुनियाद सा लगा... वैज्ञानिक तथ्यों से रहित.....मुझे अपना समय याद आ गया...१९९४ के आसपास की बात है, मुझे थोड़ा रक्तचाप रहने लगा था...बंबई में रहते थे तब...उन्हीं दिनों मैंने प्राणायाम् और मेडीटेशन (ध्यान) सीखा....मेरी कोशिश रहती थी कि प्राणायाम् के तुरंत बाद तो कभी कभी रक्त चाप की जांच करवा ही लूं।

उसी दौरान दो चार बार तो मुझे अपनी मिसिज़ के अस्पताल भी बाद दोपहर जाने का अवसर मिला.....कईं बार जब लंच-ब्रेक होता.. तो मैं पहले वहां पर १५-२० मिनट के लिए मेडीटेशन करता और फिर ब्लड-प्रेशर को नपवा लेता....सामान्य आने पर राहत महसूस होती।

फिर मुझे समझ आने लगी कि यह बात अजीब सी है...बी.पी का स्तर तो सारे दिन ही सामान्य रहना चाहिए...ठीक है सुबह और शाम की रीडिंग में थोड़ा अंतर हो सकता है, लेकिन इस तरह से प्राणायाम् अथवा ध्यान के तुरंत बाद बी पी जांच करवा के आश्वस्त हो लेना पूरी तरह से ठीक नहीं है।

फिर जब धीरे धीरे यह बी पी का लफड़ा समझ में आने लगा तो अपना ज्ञान इस तरह से झाड़ दिया...

हाई-ब्लडप्रेशर का हौआ.. भाग १

दोस्तो, माफ़ करना....सच में मुझे पता नहीं कि कुछ साल पहले क्या लिखा था इन पोस्टों में.....लेकिन इतना इत्मीनान है सच के अलावा कुछ न लिखा होगा। हलवाई को अपनी मिठाई का पता रहता है, इसलिए वह नहीं खाता उसे.....बरसों बाद मेरा भी अपने लेखों के साथ व्यवहार कुछ कुछ इसी तरह का ही होता है।

हां, तो उस रेडियोसिटी की आर जे की बातों पर वापिस लौटते हैं...उसने भी आज यही कहा कि आप ज़िंदगी का आखिर उखाड़ क्या लेंगे, क्या कोई अभी तक कुछ उखाड़ पाया है!

हाई-ब्लडप्रेशर का हौआ.. भाग२

व्हाट्सएप पर एक जोक आया था.....कि सतसंग में तो इस मौसम वही जाने की इच्छा होती है जहां ब्रेड-पकोड़े का प्रसाद मिले....वरना ज्ञान तो फ्री में व्हाट्सएप में कुछ बंट रहा है। यहीं नहीं, सारे सोशल मीडिया पर और मॉस-मीडिया (जन संचार) पर भी जैसे होड़ सी लगी हुई है..

इन माध्यमों की पहुंच बहुत ज्यादा है.... लेिकन इस तरह के ज्ञान का इस्तेमाल ज़रा सोच समझ कर के ही करिएगा.....जैसे अगर कोई विशेषज्ञ आप को दवाई लेने के समय के बारे में इस तरह की बात कहे तो उस की बात बिना किसी किंतु-परंतु के मान लीजिए... वरना इस तरह की हल्की-फुल्की बातें को गंभीरता से लेते हुए कहीं मान ने लें!

जहां तक दवाईयों लेने के समय की बात है...यह केवल और केवल आप का डाक्टर जानता है... खाली पेट, खाने के तुरंत बाद, खाने के दो घंटे बाद, रात को सोने से पहल, दिन में कितनी बार लेनी है ... पानी के साथ, दूध के साथ... बहुत तरह की बातें होती हैं, इस के पीछे वैज्ञानिक कारण होते हैं...इन्हें नज़र-अंदाज़ नहीं किया जा सकता है। एक बात पल्ले बांध लें कि हर दवाई का अलग मिजाज है....हां, बिल्कुल लोगों की तरह.......और इस मिजाज को रेडियो जाकी नहीं, अनुभवी चिकित्सक ही जानते हैं।

लेकिन एक बात ज़रूर है....ये रेडियो जॉकी आप को खुश रखने की कला में निपुण होते हैं......यार, ऐसे में वे भी तो हम सब के हाई ब्लड-प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद तो कर ही रहे हैं जिस के लिए ये सब साधुवाद के पात्र हैं। सुबह सुबह अपनी चटपटी बातों से लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने आ जाते हैं.

बस, यही बात करने की आज सुबह सुबह इच्छा हो गई...वैसे आज कल ब्लड-प्रेशर की जांच करने के लिए नये नये डिवाईस आ रहे हैं...कभी फिर इन के बारे में चर्चा करेंगे......बस, आप ज़रूरत से ज़्यादा न सोचा करें..यह एकदम सुपरहिट फार्मूला है।

आज सुबह यह गाना सुन लें?...बर्फी फिल्म का बहुत सुंदर गीत है... इत्ती सी हंसी, इत्ती सी खुशी....प्रियंका चोपड़ा और रणबीर कपूर को इन की बेहतरीन एक्टिंग के लिए १०० में से १०० अंक......याद है फिल्म देखते कितनी बार आंखें नम हो गई थीं (सच कहूं तो बस नम ही नहीं...) ...इतने संवेदनशील विषय को इतनी परपेक्शन के साथ परदे पर उतारने के लिए....