रविवार, 21 दिसंबर 2014

मसूड़े अचानक ही बहुत ज़्यादा सूज सकते हैं





यह जो तस्वीरें आप यहां देख रहे हैं ये एक २०वर्ष की युवती के मुंह के अंदर की हैं....यह तीन चार  दिन पहले आई थी...परेशानी यह कि बुखार टूट नहीं रहा था और फिर अचानक मुंह में मसूड़े इतने सूज गये, मुंह में इतने छाले हो गये और यह परेशानी गले तक पहुंच गई कि कुछ भी खाना इस के लिए दुश्वार हो गया था।

इस के रक्त भी सभी जांचें सामान्य थीं.....इसे ऐंटीबॉयोटिक दवाईयां दी जाने लगीं....यह युवती अपनी इस तकलीफ़ से इतनी परेशान थी कि कैप्सूल-गोली तक भी निगल न पा रही थी। इसलिए इसे ऐंटीबॉयोटिक भी आई-व्ही लाइन से ही शुरू किए गये। जिसे कहते हैं बहुत बीमार और परेशान.....यही इस की अवस्था थी।

इसे कुल्ला करने के लिए बीटाडीन नामक माउथवॉश दिया गया, मुंह के अंदर छालों पर लगाने के लिए कोई दर्दनिवारक-ऐंटीसेप्टिक जैल, और चूंकि यह कुछ दिन ब्रुश नहीं कर पाएगी, इसलिए दांतों आदि को प्लॉक से बचाए रखने के लिए हैक्सीडीन नामक माउथवॉश करने की सलाह दी....इस के साथ ही इसे जो कुछ भी यह आसानी से खा या पी सके, बिना मिर्च-मसाले का.....उसे लेने को कहा गया।

हां, एक बात उस की जुबान पर कुछ परेशानी नहीं थी, इसलिए उसे आहिस्ता से जुबान रोज़ साफ़ करने की सलाह दी गई थी.....यह भी बहुत ही ज़रूरी होता ...बुखार में या निरोगी हालात में रोज़ाना जुबान साफ़ करना .....इससे भी मुंह में कीटाणु कम करने में बहुत ही ज़्यादा महत्वपूर्ण मदद मिलती है।

दो दिन बाद कल फिर दिखाने आई थी.....काफ़ी ठीक लग रही थी, बुखार भी उतरा हुआ था और उस से ठीक से बोला भी जा रहा था।

यह अगले दो दिन में बिल्कुल ठीक हो जाएगी.

अब सोचने की बात यह है कि आखिर इसे यह सब हुआ कैसा ?... कईं तकलीफ़ों का बिल्कुल एग्जेक्ट कारण पता नहीं लग पाता, यह केस भी उन में से ही एक था। आते हैं ऐसे मरीज़ --बहुत काम......अगर साल में छःसात हज़ार मरीज़ देखता हूं तो शायद दो-चार मरीज़ ऐसे आ जाते होंगे, इतना कम दिखता है यह सब.....इतनी तकलीफ़ और अचानक..लेकिन इतना पता तो रहता है जो भी है, जब रक्त की जांच सामान्य है तो जल्द ही ३-४ दिन में ठीक हो जाएंगे, खाने लगेंगे .

मैंने ऊपर कहा कि यह दो दिन में ठीक हो जाएगी........कहीं आप को भी नहीं लगता कि इस के मसूड़े आदि भी बिल्कुल ठीक हो जाएंगे.......नहीं, नहीं, ये अपने आप ठीक नहीं होंगे, इस का उपचार करेंगे तो दुरूस्त होंगे।

आम तौर पर लोगों को जब बुखार के दौरान या बाद में मुंह या होंठ पर कोई छाले वाले होते हैं तो वे अकसर यही कह कर टाल देते हैं कि बुखार से मुंह आ गया....और यह दो तीन में अपने आप ठीक भी हो जाता है।

लेकिन इस युवती में ऐसा नहीं था.........जो मुझे लगा कि बुखार की वजह से इस की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में कमी आई ... और इस के पहले ही से रोगग्रस्त मसूड़ें अचानक यह सब झेल नहीं पाए.....और १-२ दिन में ही इस के मुंह का यह हाल हो गया। इसे लग रहा था कि इस ने एक दिन बाज़ार से लाए गए नूडल्स खाए थे, शायद इसलिए ऐसा हो गया होगा। लेकिन मुझे ऐसा लगता नहीं, यह तो सच है कि नूडल्स खाना सेहत के लिए खराब तो है ही और बाज़ार में िबकने वाले नूडल्स किस किस तरह के हानिकारक तेल और मसाले (अजीनोमोटो उन में से एक होता है..जिसे चीनी मसाला भी कह देते हैं...यह सेहत के लिए खराब होता है) डाल देते हैं कि इस तरह के एलर्जिक रिएक्शन भी उस की वजह से हो सकते हैं।

दुर्भाग्य है कि भारत में फूड-एलर्जी के बारे में लोग अभी उतने जागरूक हैं नहीं........वह एक अलग मुद्दा है।

बहरहाल इस लड़की बात कर रहे थे, इस में ध्यान रखने योग्य बात यही है ..जैसा मैंने पहले भी लिखा है कि इस के मसूड़े पहले ही से खराब थे.....मुंह में गंदगी तो पहले ही से थी......और तब अचानक एक दिन इस ने उग्र रूप धारण कर लिया...अब यह फूड एलर्जी थी, बुखार की वजह से था, बैक्टीरिया की इंफेक्शन की वजह से था या वॉयरस ने हल्ला बोला था, कुछ भी नहीं कहा जा सकता, सिवाए इस के कि इसे ठीक होने के बाद अपने मसूड़ों को दुरूस्त करवाना होगा.......और ये मसूड़े देखने में जितने भी खराब से लग रहे हैं, इस छोटी आयु में ये कुछ ही दिनों में इलाज से बिल्कुल ठीक हो जाएंगे और साथ में इसे अपने दांतों की सही देखभाल भी करनी होगी, ताकि यह परेशानी फिर से न घेर ले।

मसूड़ों में अचानक कभी कभी कुछ हो जाता है .....जो लोग खून पतला करने वाली दवाईयां लेते हैं जिन्हें ओरल-ऐंटीकोएग्यूलेंट कहते हैं ...दिल की कुछ बीमारियों के लिए .... इन में कभी अचानक डोज़ इधर-उधर होने पर पेशाब से और मसूड़ों से अपने आप खून आने लगता है, फिजिशियन द्वारा डोज़ ठीक किए जाने पर ठीक हो जाता है....
ब्लड-प्रेशर बहुत ज़्यादा बढ़ जाने पर भी कईं बार ऐसा देखा गया है कि मसूड़ों से खून आने लगे.......और डेंगू के मरीज़ों में भी प्लेटलेट्स कम होने की वजह से कईं बार मसूड़ों से खून अपने आप निकलने लगता है.....कारण की तरफ़ ध्यान देने से यह ठीक भी हो जाता है।

मेरे विचार में इस पोस्ट के लिए इतना ही काफ़ी है, कहीं मैं कुछ ज़्यादा ही डाक्टरी झाड़ने लगूं तो मुझे प्लीज़ रोक दिया करें।