गुरुवार, 1 अगस्त 2013

चिल्लर पार्टी का आरटीआई-आरटीआई खेल

कुछ दिन पहले मेरे स्कूल में पढ़ते बेटे ने बताया तो था कि उन के स्कूल में लखनऊ की ही प्रसिद्द लॉ यूनिवर्सिटी से कुछ छात्र आये थे और उन को आर टी आई के बारे में अच्छे से बताया था।


इसलिए आज की दैनिक हिन्दुस्तान अखबार में इस के बारे में खबर भी दिखी तो अच्छा लगा, अच्छा काम कर रहे हैं ये युवा लोग जिस तरह से स्कूल स्कूल में जा कर बच्चों को इस के बारे में बता रहे हैं, समझा रहे हैं और उन की झिझक दूर करने का उमदा काम अंजाम दे रहे हैं।

यहां तो ठीक है, लेकिन .........लेकिन मुद्दे पर आने से पहले चलिए आप पाठकों से एक प्रश्न ही हो जाए। आप मुझे यह बताईए कि क्या कोई बच्चा या यूं कह लें कि नाबालिग बच्चा आर टी आई कानून के अंतर्गत किसी जन सूचना अधिकारी को आवेदन कर सकता है, आप का क्या जवाब है?

..........जी नहीं, आप गलत सोच रहे हैं, आर टी आई कानून ने कोई आयु सीमा की बंदिशें नहीं लगाई हैं। कोई भी किसी भी उम्र में अपना आवेदन भेज सकता है। मुझे भी इस बात का पता न था, लेकिन जब मैंने नियमित उस बेहतरीन वेबसाइट पर जाना शुरू किया तो मुझे रोज़ाना नई नई बातें पता चलने लगीं। वही साइट जिस का मैं उल्लेख अपनी पिछली कुछ पोस्टों में कर चुका हूं... www.rtiindia.org

हां तो बात चिल्लर पार्टी की चल रही थी ... आज के अखबार  में जो खबर दिखी कि किस तरह के कुछ कार्यकर्ता इस मशाल को जलाए ऱख रहे हैं तो साथ ही एक छोटी सी खबर भी दिखी जैसा कि आप इस तस्वीर में भी देख सकते हैं जिस का शीर्षक ही यही था.... बच्चे तो निकले सब से आगे।

इस में यह लिखा गया था िक एक स्कूल के बच्चों ने १००० आर टी आई आवेदन लगा दिये ---इस बात को बड़ा ग्लोरीफाई सा किया गया दिखा कि बच्चों ने सरकार से पूछा कि पिछले इतने इतने वर्षों से जो पैसा भलाई के कामों के लिए आया, उसे किस तरह से खर्च किया गया।

मानता हूं, सवाल पूछने में बुराई नहीं है। लेकिन यह बात विचारणीय है कि क्या यह ज़रूरी था कि स्कूल के १००० बच्चे ऐसे प्रश्न पूछ डालें।

मुझे ध्यान आ रहा है बड़े शहरों में कुछ बढ़िया स्कूल बिल्कुल छोटे छोटे बच्चों को जब पोस्ट आफिस, पुलिस स्टेशन आदि के बारे में पढ़ाते हैं तो वे उन्हें वहां टीचर के साथ टूर पर भी एक दिन ले जाते हैं ... अच्छा आइडिया है ना, लेकिन यह मतलब तो नहीं कि पुिलस स्टेशन में जाने वाला हर बंदा एफआईआर भी लिखवाए।

ठीक उसी तरह अब स्कूली बच्चों ने अगर १००० आवेदन आर टी आई के लगा दिये तो विभिन्न दफ्तरों की तो सिरदर्दी बढ़ ही गई ...उन्होंने तो हर एक आवेदन का जवाब देना ही है, यह नहीं कि ये बच्चे हैं।

लेकिन एक बात और भी है कि अगर बच्चों ने जैन्यूनली कुछ पूछना है तो उन्हें कौन रोक सकता है, आर टी आई अधिनियम सब का अभिनंदन करता है। मेरा सुझाव है कि इस तरह की जो आरटीआई एवेयरनैस वर्कशाप होती हैं उन के दौरान बच्चों को मिल जुल कर आरटीआई आवेदन लिखवाने का अभ्यास करवाया जा सकता है और अगर दो-चार आवेदन बच्चों की ज़रूरत या एवेयरनैस के अनुसार विभिन्न जन सूचना अधिकारियों को बच्चों की तरफ़ से भिजवा भी दिए जाएं तो मुनासिब सा लगता है लेकिन अगर हज़ारों बच्चे इस तरह के आवेदन इन वर्कशापों के दौरान भिजवाने लगेंगे तो बड़ी मुसीबत हो जायेगी। 

चिल्लर पार्टी फिल्म का ध्यान आ गया था पोस्ट लिखते समय ..इसलिए वही शीर्षक उचित लगा ..बच्चों के लिए एक अच्छा संदेश ले कर आई एक बेहतरीन फिल्म....