tag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post6384939973451837344..comments2024-03-28T14:59:05.780+05:30Comments on मीडिया डाक्टर : अब इस कंबल के बारे में भी सोचना पड़ेगा क्या !Dr Parveen Choprahttp://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-90703365092802530532008-03-20T00:20:00.001+05:302008-03-20T00:20:00.001+05:30डाक्टर साहब,हम तो आपके इसी फ़लसफ़े के मुरीद हैं । आप...डाक्टर साहब,<br>हम तो आपके इसी फ़लसफ़े के मुरीद हैं । आपकी पालीथीन वाली पोस्ट ने सीधा असर किया था । कुछ दिन पहले मैं अपने रूममेट से बात कर रहा था कि यहाँ ह्यूस्टन में कितना कबाडा हर रोज पैदा होता है मेरे अपार्टमेंट में, हर चीज तो डिब्बाबंद है ।<br><br>खैर आप लिखते रहे, हम पढने और अमल में लाने का प्रयास करने के लिये तैयार हैं । एक बात का सुकून है कि हमारे घर पर सबकी अपनी रजाई/कंबल फ़िक्स है और सभी पर सफ़ेद सूती कवर चढे हुये हैं । अब याद आ रहा है कि सर्दी की शुरूआत में बडे सन्दूक से रजाई गद्दे निकालकर धूप लगाकर और कवर धो-सुखा कर प्रयोग में लाये जाते थे । ठीक यही उपक्रम सर्दी खत्म होने पर उनको सन्दूक में रखने से पहले किया जाता था ।Neeraj Rohillahttp://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-77964542465612684752008-03-19T22:24:00.001+05:302008-03-19T22:24:00.001+05:30डा साहब आप मेरे भाई जैसे दिखते हैं।एक डॉक्टर साहब...डा साहब आप मेरे भाई जैसे दिखते हैं।<br>एक डॉक्टर साहब को ब्लॉग पर देखकर अच्छा लगा।Kaput Pratapgarhihttp://www.blogger.com/profile/09096811504855530470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-12320298283988848792008-03-19T21:47:00.001+05:302008-03-19T21:47:00.001+05:30बहुत काम का लेख लिखा है.पत्नियां अक्सर सही ही होती...बहुत काम का लेख लिखा है.<br>पत्नियां अक्सर सही ही होती हैंगुस्ताखी माफhttp://www.blogger.com/profile/15385098727493867212noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-85133094828037678212008-03-20T15:10:00.000+05:302008-03-20T15:10:00.000+05:30सच में डाक्टर साहब - यात्रा में सरकारी कम्बल की बज...सच में डाक्टर साहब - यात्रा में सरकारी कम्बल की बजाय मैं अपनी रजाई घर से ले कर चलता हूं। कभी फंस गये तो मजबूरी है। वैसी अवस्था मे एक बार स्किन एलर्जी भी हो चुकी है।Gyandutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-30773724713824840172008-03-20T00:20:00.000+05:302008-03-20T00:20:00.000+05:30डाक्टर साहब,हम तो आपके इसी फ़लसफ़े के मुरीद हैं । आप...डाक्टर साहब,<br>हम तो आपके इसी फ़लसफ़े के मुरीद हैं । आपकी पालीथीन वाली पोस्ट ने सीधा असर किया था । कुछ दिन पहले मैं अपने रूममेट से बात कर रहा था कि यहाँ ह्यूस्टन में कितना कबाडा हर रोज पैदा होता है मेरे अपार्टमेंट में, हर चीज तो डिब्बाबंद है ।<br><br>खैर आप लिखते रहे, हम पढने और अमल में लाने का प्रयास करने के लिये तैयार हैं । एक बात का सुकून है कि हमारे घर पर सबकी अपनी रजाई/कंबल फ़िक्स है और सभी पर सफ़ेद सूती कवर चढे हुये हैं । अब याद आ रहा है कि सर्दी की शुरूआत में बडे सन्दूक से रजाई गद्दे निकालकर धूप लगाकर और कवर धो-सुखा कर प्रयोग में लाये जाते थे । ठीक यही उपक्रम सर्दी खत्म होने पर उनको सन्दूक में रखने से पहले किया जाता था ।Neeraj Rohillahttp://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-23094847275066678712008-03-19T22:24:00.000+05:302008-03-19T22:24:00.000+05:30डा साहब आप मेरे भाई जैसे दिखते हैं।एक डॉक्टर साहब...डा साहब आप मेरे भाई जैसे दिखते हैं।<br>एक डॉक्टर साहब को ब्लॉग पर देखकर अच्छा लगा।Kaput Pratapgarhihttp://www.blogger.com/profile/09096811504855530470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-10965608082521138492008-03-19T21:47:00.000+05:302008-03-19T21:47:00.000+05:30बहुत काम का लेख लिखा है.पत्नियां अक्सर सही ही होती...बहुत काम का लेख लिखा है.<br>पत्नियां अक्सर सही ही होती हैंगुस्ताखी माफhttp://www.blogger.com/profile/15385098727493867212noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-63912649131683164222008-03-19T21:35:00.000+05:302008-03-19T21:35:00.000+05:30सफाई का नया संस्कार ही सिखा दिया आपने। वैसे मेरी प...सफाई का नया संस्कार ही सिखा दिया आपने। वैसे मेरी पत्नीश्री कई साल से पूरे परिवार को इसकी ट्रेनिंग दे रही हैं। सब के तौलिये अलग, कंबल अलग, साबुन अलग। स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है यह सब।अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-13465370124542212012008-03-19T21:34:00.000+05:302008-03-19T21:34:00.000+05:30चोपडा जी आप ने लेख तो बहुत अच्छा लिखा हे बिजली के ...चोपडा जी आप ने लेख तो बहुत अच्छा लिखा हे बिजली के स्वीच, दरवाजे के हेडिल, जाली वाले दरवाजे , ओर बर्तनॊ पर लगे स्टीकर तो छोड ही दिये,ओर भी बहुत सी चीजे हे,हमारे नोट जिन्हे हाथ लगने को भी दिल नही करता कभी इन पर भी लिखऎ,बहुत उप्योगी बाते लिखी हे.राज भाटिय़ाhttp://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com