शनिवार, 26 सितंबर 2009

जब चिकित्सा-कर्मी ही बीमारी परोसने लगे …

अभी उस दिन ही हम लोग चर्चा कर थे चीन में कुछ लोगों की पागलपंथी की जिन्होंने एच.आई.व्ही दूषित सिरिंज से हमला कर के आतंक फैला रखा है।
और आज डेनवर कि यह खबर दिख गई कि वहां के एक अस्पताल के सर्जीकल विभाग में एक 26 वर्षीय चिकित्सा-कर्मी को बीस साल की सजा हो गई है।
इस का दोष ? –इस महिला ने उस अस्पताल में दाखिल दर्जनों लोगों को हैपेटाइटिस-सी इंफैक्शन की “सौगात” दे डाली। इस न्यूज़-रिपोर्ट में यह भी दिखा कि यह अस्पताल में भर्ती मरीज़ों की दर्द-निवारक दवाईयां पार कर जाया करती थी।
और फिर उन के सामान में हैपेटाइटिस-सी संक्रमित सिरिंज सरका दिया करती थी---यह महिला स्वयं भी हैपेटाइटिस-सी से संक्रमित थी।
यह तो ऐसी बात है जिस की कभी कोई मरीज़ शायद कल्पना भी नहीं कर सकता। मैं सोच रहा हूं कि दुनिया में हर देश की, हर समुदाय की अपनी अलग सी ही समस्यायें हैं---हमारे देश का मीडिया अकसर दिखाता रहता है कि किस तरह से दूषित रक्त का धंधा चल रहा है –—देश में कुछ जगहों पर कमरों में लोगों ने अवैध रक्त-बैंक ( रक्त की दुकानें) की दुकानें खोल रखी हैं।
और अमीर देशों की हालत देखियें कि वहां पर वैसे तो वैसे तो कानूनी नियंत्रण कितने कड़े हैं लेकिन वहां भी अगर बाड़ ही खेत को खाने पर उतारू हो जाये तो ……..!
हैपेटाइटिस-सी 
हैपैटाइटिस-सी की बीमारी एक खतरनाक बीमारी है जिस के फैलने का रूट हैपेटाइटिस बी जैसा ही है ---दूषित रक्त, दूषित सिरिंजों, संक्रमित व्यक्ति के विभिन्न शारीरिक द्व्यों ( body fluids of the infected individuals) जिन में वीर्य, लार आदि सम्मिलित हैं। इस से संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंधों के द्वारा भी इस का संचार होता है।
हैपेटाइटिस सी से संबंधित जानकारी इस पेज पर पड़ी हुई है।
और दूषित रक्त में जो हैपैटाइटिस सी का मुद्दा है उसके बारे में यह कहा जाता है कि हमारे यहां तो ब्लड-बैंकों में इस टैस्ट को अनिवार्य किये हुये तो कुछ ही समय हुया है ----इस का मतलब उस से पहले सब कुछ राम भरोसे ही चल रहा था –लेकिन इस बीमारी के कुछ पंगे ये हैं कि इस से बचाव का अभी तक कोई टीका नहीं है और शरीर में इस बीमारी के कईं कईं वर्षों तक कोई लक्षण ही नहीं होते।

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