बुधवार, 13 अप्रैल 2016

ओए जट्टा आई वैसाखी...

आज सुबह टहल रहा था तो स्कूल के ज़माने से मित्र रमन बब्बर के अमृतसर से वैसाखी के कुछ संदेश आए...यहां पेस्ट कर रहा हूं..बहुत अच्छा लगा...इतने सजीव मैसेज पा कर...रमन बब्बर कज़िन है राज बब्बर साहब के...हर समय मुस्कुराते हैं..और हमें हंसाते रहते हैं...स्कूल के दिनों से ही ...



बाग से लौटने के बाद मैंने सोचा कि हम भी वैसाखी मना लें...जलेबियां-मिठाईयां शाम में खा लेंगे..अभी ऑनलाईन ही इस का जश्न मना लेते हैं...

 मैंने जैसे ही लिखा जट्ट मेले आ गया...तुरंत इस पंजाबी फिल्म का बढ़िया सा ट्रेलर खुल गया...मैंने सोचा चलिए कुछ शुरूआत तो हुई...यह फिल्म २२ अप्रैल को आने वाली है ...इस में जिम्मी शेरगिल ने काम किया है ..शायद कुछ न जानते हों कि जिम्मी शेरगिल हिंदोस्तान की एक महान् हस्ती अमृता शेरगिल के पोते हैं...

जिम्मी को मैंने माचिस फिल्म के प्रीमियर वाले दिन पहली बार १९९५ के आस पास बंबई के मेट्रो थियेटर में देखा था..मुझे अच्छे से याद है ..सब लोग थियेटर से बाहर आ रहे थे ..अचानक मैंने देखा कि यश चोपड़ा साहब किसी युवक से बात करते चल रहे थे...उन्होंने इस के काम की तारीफ़ की ...और अपना कार्ड जिम्मी को दिया...जिम्मी ने बड़े सम्मान-पूर्वक उन के इस अभिवादन को स्वीकार किया...

दो दिन पहले भी हम लोग टाटास्काई के मिनिप्लेक्स पर इन की फिल्म युवा देख रहे थे...आप भी ज़रूर देखिए, अभी तो इस ट्रेलर को देखिए और वैसाखी की खुशियों के रंग में रंग जाइए...
वैसाखी को दिन देश के विभिन्न प्रदेशों में अलग अलग ढंग से मनाया जाता है ..सभी ढंग मुबारक हैं...सभी जश्न का माहौल ही बनाते हैं...

पंजाब में फसल के पकने के बाद आज से इस की कटाई शुरू होती है ..इस का विशेष महत्व पंजाब के लिए इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन गुरू गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ का सृजन किया था..

मुझे लग रहा है कि आज बातें कम करूं...वह तो करता ही रहता हूं...आज इस पोस्ट को वैसाखी स्पैशल ही रहने देते हैं..


आज तो लग रहा है आप से पंजाबी गीत शेयर करता रहूं सारा दिन....इस समय जो याद आ रहे हैं...यहां एम्बेड कर रहा हूं...सैंकड़ों पंजाबी गीतों की मेरे पास कलेक्शन भी है...मुझे भी कईं बार लगता है कि लोग ठीक ही कहते हैं मैं अगर मैं इस तरह की कलेक्शनों के चक्कर में ही पड़ा रहा तो पढ़ाई वढ़ाई कब की होगी...बिल्कुल ठीक है...तभी तो कुछ भी ढंग से कर ही नहीं पाया..

जसविंदर बराड़ के खुले अखाड़े मुझे बेहद पसंद हैं.....२००५ से २०१२ तक मैं नियमित इन की सी.डी देखा सुना करता था...खुले अखाड़े का मतलब है जब ये कलाकार किसी खुले मैदान, गांव में अपने फन से लोगों को निहाल करते हैं...कोई टिकट का झंझट नहीं, कोई सिक्यूरिटी नहीं....बस आप होते हैं और ये कलाकार...आप अपनी फरमाईश करते जाइए और ये थकते नहीं....किस किस का नाम लूं...पंजाब के सभी महान गायकों के खुले अखाड़ों बड़े लोकप्रिय होते हैं क्योंकि ये आम आदमी के दिल की बातें करते हैं..सभ्याचार को पल्लित-पुष्पित करते हैं...और बहुत बार कुछ कुछ बढ़िया नसीहत भी दे जाते हैं...पहली वीडियो में बराड़ मिरजा सुना रही हैं और पहले पांच मिनट जो बातें कर रही हैं वे डायरी में तो क्या अपने मन में नोट करने वाली हैं...पंजाबी नहीं आती, तो भी सुनिए... अपने आप समझ आने लगेगी..

दूसरी वीडियो में बराड़ देश की एक आम समस्या की तरफ़ ध्यान दिला रही हैं युवाओं का ...बिल्कुल बागबान फिल्म के थीम जैसी बात कह रही हैं अपने भाईयों को घर का सारा सामान चाहे तो बांट लो, ज़मीनें बांट लो..लेकिन बापू-बेबे को मत बांट लेना, वे एक दूसरे के बिना रह नहीं पाएंगे.... 

मैंने ऊपर लिखा है ना कि प्यार, मोहब्बत, अपनेपन की कोई भाषा नहीं होती, शुक्र है जश्न का कोई कोड-ऑफ-कंडक्ट भी नहीं होता...बरसों पहले मैंने इस मराठी महिला का यह वीडियो देखा था...मेरे मन में बस गया था यह ...सरबजीत के उस सुपर-़डुपर गीत पर इतना बेहतरीन डांस किया इस महिला ने....Have you noticed she is enjoying what she is doing?...Great lady! वैसे भी कहते हैं कि नाचना, गाना अपनी रूह के लिए होना चाहिए...यानि उस समय आप को यह फिक्र न हो कि कोई देख रहा है कि नहीं... इस औरत ने वही किया है..

जाते जाते अगर टाइम हो तो गुरदास मान को भी थोड़ा सुन लिया जाए...

आज के वैसाखी के पर्व के लिए कहने को बहुत कुछ है, गीत बहुत से हैं..लेकिन अच्छा होगा इस समय आप के सब्र का इम्तिहान न ही लिया जाए...