शनिवार, 20 दिसंबर 2014

20 साल की लड़की ने बनाया 70 साल के बुज़ुर्ग का एमएमएस

एम एम एस से याद आया...रागिनी एमएमएस मैंने नहीं देखी, कईं बार चैनल सर्फिंग करते करते पता चलता कि कोई चैनल दिखा रहा होता है तो भी नहीं........क्या हासिल यह सब देख कर!

हम लोगों के आस पास ही क्या कम क्राइम पसरा पड़ा है कि अब इस तरह की फिल्में देखने की ज़रूरत महसूस हो। दो िदन पहले लखनऊ में ही एक बैंक की एक लेडी ब्रांच-मैनेजर को उस के पति ने ही किसी सुनसान जगह पर जाकर कत्ल कर दिया....अगले दिन उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट करने जा पहुंचा। लेकिन पुलिसिया पूछताछ में सब कुछ बक गया।

दो चार दिन पहले अखबार में एक गैंग की खबर थी कि वे एटीएम के बाहर खड़े होकर किसी के एटीएम का नंबर देख लेते और फिर अंदर जा कर उस के पिन पर भी नज़र रख लेते, बस इन दोनों जानकारियों के साथ ऑनलाइन शॉपिगं करते और रेल हवाई टिकट बुक करवाते ...आखिर चढ़ गये पुलिस के हत्थे। 

अब इस तरह की ब्लेकमेलिंग नहीं चलती ..
मैं अकसर बहुत बार यह कहता हूं कि जैसे हर तरह का हुनर सीखने के लिए किसी उस्ताद की शरण में जाना पड़ता है, शागिर्दी ज़रूरी है, हम लोग अकसर फिल्मों में देखते हैं कि जेबकतरों की भी ट्रेनिंग होती है ..कितनी सफाई से वे जेब कतर जाते हैं......बिना भनक लगे। शायद इन के ऊपर वह आंखों से काजल चुराने वाली कहावत चरितार्थ होती है।

लेकिन अब तो और भी आसान हो गया......इस तरह की फांदेबाजी सीखना........सुबह का अखबार खोलते ही किसी भी श्रेणी में जुर्म करने के नये नये ढंग से आज कोई भी रू-ब-रू हो सकता है। 


आज की टाइम्स ऑफ इंडिया के लखनऊ संस्करण में एक जैसी ही खबर छपी है...... Woman makes retired man's MMS. 

यह जनाब ७० वर्ष के रिटायर्ड हैं...इन का कोर्ट कचहरी में अकसर जाना रहता था, केस वेस चल रहे थे....वहां पर इन की मुलाकात एक २० वर्ष की युवती से हो जाती है जो इन की मदद करने के बहाने इन के पास आने लगती है और उन्हें बताती है कि वह एक हर्बल सेंटर चलाती है जहां पर इन की शारीरिक तकलीफ़ों का हल हो जाएगा। बहला-फुसला कर वह उन्हें ले जाती है किसी हर्बल-सेंटर में जहां इन की मुलाकात वहां के मालिक आदि से भी होता है....दो महीने यह वहां से लेकर दवाईयां खाते रहते हैं......एक दिन यही युवती उन्हें कोई स्पेशल दवाई वहां पर खिला देती है जिसे खाते ही ये जनाब बेहोश हो जाते हैं और सुध आने पर अपने आप को बिल्कुल निर्वस्त्र पाते हैं.....तभी वह युवती और उस के दो दल्ले आकर उन्हें उन का एमएमएस दिखाते हैं जिस में उन्हें इस युवती के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। 

वहीं से ब्लैकमेलिंग का घिनौना खेल शुरू होता है.....ये जालसाज़ इस आदमी से पांच लाख की राशि मांगते हैं, वरना एमएमएस नेट पर डाल देने की धमकी देते हैं......जैसे तैसे यह आदमी इन्हें पांच लाख रूपया दे देते हैं.....लेकिन इन की मांग आगे से आगे बढ़ती ही जाती है.....ब्लैकमेलिंग करते करते यह इस बुज़ुर्ग का गुर्दा ही मांग बैठते हैं....

यह बात मेरठ शहर की है और आज की टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने पर छपी है..

अब मुझे इस खबरिया चैनल की तरह यह भी कहना पड़ेगा क्या.......चैन से जीना है तो जाग जाईए..... हसीन धोखे आप के आसपास भी हो सकते हैं। पक्की उम्र में तो और भी सचेत रहिए........पंजाबी में कहावत है.......कच्ची उम्र दा प्यार वी कच्चा, पक्की उम्र दा पक्का......चलिए जागर्स-पार्क से एक गीत सुनते हैं, यह फिल्म कभी ज़रूर देखिएगा....आप को ज़रूर गुदगुदाएगी ... ..यू-ट्यूब पर भी पड़ी हुई है......

सरकारी मीडिया पर सेहत संबंधी जानकारी

अभी मैं डीडी न्यूज़ के टोटल हैल्थ कार्यक्रम के जो वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड किए गये हैं उन की लिस्ट देख रहा था....मुझे यह देख कर बहुत दुःख हुआ कि १७३ के करीब वीडियो इन्होंने अपलोड किए हुए हैं ...लेकिन अभी तक ५००० से भी कम लोगों ने इन्हें देखा है।


कारण यह हो सकता है कि लोगों को इस के बारे में पता नहीं है, अगर नहीं पता तो लोगों को पता होना चाहिए कि डी डी न्यूज़ पर इतने बेहतरीन सेहत से संबंधित प्रोग्राम के वीडियो भी यू-ट्यूब पर उपलब्ध हैं.

मेरे विचार में सेहत और जीवनशैली से जुड़े जितने भी बेहतरीन प्रोग्राम हैं वे सरकारी मीडिया पर ही आते हैं....मैं जिस कार्यक्रम की बात कर रहा हूं यह भी हिंदी में आता है.....हर सप्ताह यह सेहत से जुड़ा कोई भी विषय चुनते हैं.. और उस के लिए देश के सुप्रसिद्द विशेषज्ञों की एक टीम को बुलाते हैं....मैं शायद पहले भी लिख चुका हूं कि मैंने इस से बेहतर शायद ही कोई कार्यक्रम देखा हो।

सब से बड़ी बात यह होती है कि निमंत्रित विशेषज्ञों का कोई भी वेस्टेड इंट्रस्ट होता ही नहीं है....क्योंिक कुछ प्राइव्हेट टीवी चैनलों पर सेहत से जुड़े कार्यक्रम बहुत से प्रायोजित होते हैं किसी कारपोरेट अस्पताल के द्वारा ...अगर परोक्ष रूप से स्पांसर्ड नहीं भी होंगे तो इन प्राइव्हेट चैनलों पर अकसर डाक्टरों की चर्चा को मछलियां फंसाने के लिए कांटे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.....बहुत से प्राईव्हेट चैनल बढ़िया काम भी कर रहे होंगे, लेकिन जो मेरा अनुभव रहा, मैं उस की बात कर रहा हूं।

यह डीडी न्यूज़ पर टोटल हैल्थ कार्यक्रम की अच्छी गुणवत्ता की ही बात नहीं है, जितने भी सरकारी चैनल हैं, अलग अलग भाषा में भी .....जो भी सेहत से संबंधी जानकारियां ये लोग मुहैया करवाते हैं ये उत्कृष्ट ही होती हैं। इसलिए जब भी मौका मिलता है मैं इन को देखता रहता हूं...अगर समय नहीं भी मिल पाता तो कभी कभी यू-ट्यूब का ही रूख कर लेता हूं।

लेकिन इस तरह के प्रोग्राम को लाइव देखने का अलग ही फायदा है, प्रोग्राम के चलते आप विशेषज्ञों से फोन पर बात कर सकते हैं, प्रोग्राम प्रसारित होने से पहले और यहां तक कि प्रोग्राम के दौरान आप अपने प्रश्नों को ई-मेल भी कर सकते हैं जिन्हें ये विशेषज्ञ तुरंत ले कर आप की उलझन को दूर करते हैं और सही रास्ता बतलाते हैं।

आज के जमाने में ऐसी बहुत सी कम जगहें हैं जहां पर किसी जिज्ञासु को बिना किसी चक्कर में डाले सीधे सीधे उसे कुछ समाधान सुझा दिया जाए......यह एक ऐसा ही कार्यक्रम है.......रविवार की सुबह आता है यह डीडी न्यूज़ चैनल पर, सोमवार को पुनःप्रसारित भी होता है. हो सके तो देखा करिए......कोई काम की बात ही पता चल जाती है.....इन के बुलाए सभी विशेषज्ञ उस स्तर के होते हैं जिन तक वैसे तो पहुंचना ही कितना मुश्किल होता होगा, और यही विशेषज्ञ अगर आप की बैठक में आकर आप का हाल चाल पूछने लगें तो इस का फायदा उठाना चाहिए कि नहीं?