शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल...

आज की अखबार में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह - 14 नवंबर से 21 नवंबर 2014 तक.. से संबंधित उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ़ से एक पोस्टर देखा..

इस में बहुत सी काम की बातें लिखी हुई हैं....शायद हर पाठक इस से कोई ऐसी नईं बात जानेगा जिसे वह पहले न जानता होगा। इसलिए मैंने सोचा कि इसे एक पोस्ट के द्वारा नेट पर डाल दूं...ये सब काम की बातें अत्यंत अनुभवी विशेषज्ञों के अनुभवों के आधार पर पोस्टर पर लिखनी तय होती हैं......इसलिए कोई किंतु-परंतु की गुंजाइश नहीं होती......चुपचाप सब कुछ आंखे बंद कर मान लेने में ही बेहतरी है.....जच्चा और बच्चा दोनों की......

                        नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल

  • प्रसव अस्पताल में ही करायें और शिशु का नियमित टीकाकरण करायें।
  • प्रसव के पश्चात् 48 घंटे तक अस्पताल में मां एवं नवजात की उचित देखभाल हेतु रूकें। 
  • विटामिन-K का इंजेक्शन अवश्य लगवाएं। 
  • नाभि को सूखा रहने दें, संक्रमण से बचाव करें, मां शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें।
  • बच्चे को ठंडक (हाइपोथर्मिया) से बचाएं, मां अपने नवजात को सीने से चिपका कर गर्म रखें। जन्म के तुरन्त बाद न नहलायें। 
  • कम वजन वाले शिशुओं की विशेष देखभाल करें। 
  • जन्म के बाद नवजात का वजन अवश्य लें। 
  • जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध पिलायें। शुरू में निकलने वाला मां का पीला गाढ़ा दूध नवजात को बीमारियों से सुरक्षित एवं तन्दरूस्त रखता है। 
  • स्तनपान बार-बार करायें, शिशु जितनी बार चाहे, दिन और रात में मां का दूध पिलायें। 
  • बच्चे को शहद, घुटटी इत्यादि न पिलायें, छः माह तक पानी बिल्कुल भी ना पिलायें। 
  • कुपोषण से बचाव के लिये 6 माह तक बच्चे को केवल स्तनपान करायें। 

नवजात को न 
तुरन्त नहलायें, 
पोंछ उसे कपड़े पहनायें। 
मां की छाती से 
तुरन्त लगायें, 
ठंड निमोनिया से 
उसे बचायें। 


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