शनिवार, 2 जुलाई 2011

अमेरिकी लोगों की एचआईव्ही टैस्टिंग के परिणाम

अमेरिका में सितंबर 2007 से सितंबर 2010 तक 27 लाख लोगों की एचआईव्ही जांच की गई – जिन में से एक प्रतिशत से थोड़ा ऊपर लगभग 29503 लोगों को एचआईव्ही से ग्रस्त पाया गया। इन में से 18000 लोग तो ऐसे थे जिन्हें अपने एचआईव्ही पॉज़िटिव होने का पता ही नहीं था। और इन 29000 लोगों में से लगभग 72प्रतिशत पुरूष थे।

अमेरिका में लगभग 12 लाख लोग एचआईव्ही से ग्रस्त हैं जिन में लगभग 20 प्रतिशत लोगों को यह भी नहीं पता कि उन्हें यह रोग है। और अहम् बात यह है कि वहां पर हर वर्ष जो एचआईव्ही के संक्रमण के नये केस, लगभग 56000 प्रतिवर्ष, पाये जाते हैं उन में से ज़्यादातर उन लोगों के कारण ही होते हैं जिन्हें अपने एचआईव्ही स्टेट्स का पता ही नहीं होता।

आंकड़े –आंकड़े –आंकड़े ---- चलिये, उन के पास आंकड़े तो हैं, यहां तो तुक्के ही तुक्के हैं। होता तो यहां पर भी बहुत प्रचार है कि अपनी इच्छा से अपना एचआईव्ही टैस्ट करवाने के लिये सरकारी सुविधाओं का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन कभी इस तरह के आंकड़े मीडिया में दिखे नहीं कि इस वर्ष इतने लोगों ने ऐच्छिक तौर पर यह टैस्ट करवाया और इतने प्रतिशत लोगों को पॉज़िटिव पाया गया।

अपनी इच्छा से यह टैस्ट करवाने के अपने फायदे हैं – एक तो यह कि अगर कोई हाई-रिस्क बिहेवियर से है तो उसे एचआईव्ही निगेटिव होने पर एक तरह की निश्चिंता सी हो जायेगी ताकि उसे आगे से अपना बिहेवियर दुरूस्त करने के लिये एक प्रेरणा सी मिल जाएगी।

और अगर कोई पाज़िटिव निकलता है तो उसे एक रास्ता दिख जाएगा --- ART –Anti-retroviral therapy—जल्दी शुरू करने का एक अवसर मिल जायेगा ताकि उस के शरीर में वॉयरस के फैलने पर नियंत्रण किया जा सके --- इन सब का यह प्रभाव होता है कि उस व्यक्ति की आयु काफ़ी बढ़ जाती है। और अब तो बार बार मैडीकल विशेषज्ञ एवं अनुसंधानकर्त्ता एचआईव्ही ग्रसित व्यक्ति को एचआरटी जल्दी शीघ्र करने के लिये प्रेरित करते रहते हैं।

मैं सोच रहा था कि हमारे देश में इस तरह का अभियान चलना चाहिये जिस के अंतर्गत लाखों-करोड़ों लोगों की जांच की जाए ताकि समस्या का सही आंकलन हो सके। लेकिन इस के साथ यह भी लगता है कि इस देश की एचआईव्ही संक्रमण के साथ साथ अपनी और भी बहुत सी सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएं हैं --- आज ही के अखबार में देख रहा था कि अब सरकार लाखों लोगों की शूगर की जांच करेगी ताकि उन को इस महामारी के मुंह से बचाया जा सके। लेकिन सोचने वाली बात यह भी है कि क्या सारा काम सरकार ही करेगी, समस्याएं इस देश की इतनी विकराल हैं कि सब के हल सरकार से ही खोजना मुनासिब नहीं लगता।
Source : Awareness- HIV compaign finds 18000 new cases

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